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रायपुर जिला अस्पताल में 7 बच्चों की मौत की खबर, नर्सरी इंचार्ज ने किया इनकार

रायपुर जिला अस्पताल में 7 बच्चों की मौत होने की खबर सामने आई है. परिजनों का आरोप है कि तबियत बिगड़ने पर बच्चों को बिना ऑक्सीजन लगाए दूसरे अस्पताल रेफर किया जा रहा था. हालांकि इस बात का खंडन करते हुए अस्पताल के नर्सरी इंचार्ज डॉक्टर ओंकार खंडेलवाल ने कहा कि बीते 24 घंटे में केवल दो बच्चों की मौत हुई है.

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Published : Jul 21, 2021, 3:06 PM IST

रायपुर: राजधानी के जिला अस्पताल में मंगलवार रात 7 बच्चों की मौत होने की खबर सामने आई है. अस्पताल में मौजूद परिजनों के मुताबिक, यहां हर घंटे बच्चों के शव निकाले जा रहे थे. जिसके बाद बच्चों के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. परिजनों का आरोप है कि तबियत बिगड़ने पर बच्चों को बिना ऑक्सीजन लगाए दूसरे अस्पताल रेफर किया जा रहा था. हालांकि इस बात का खंडन करते हुए अस्पताल के नर्सरी इंचार्ज डॉक्टर ओंकार खंडेलवाल ने कहा कि बीते 24 घंटे में केवल दो बच्चों की मौत हुई है.

अस्पताल ने किया इनकार

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि हमारे पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. मंगलवार को अस्पताल में 15 से ज्यादा बच्चे वेंटिलेटर पर थे. यदि ऑक्सीजन की कमी होती, तो सभी की मृत्यु होती न कि एक या दो की. फिलहाल अस्पताल में 37 बच्चे भर्ती हैं. इनमें से 23 बच्चों की हालत गंभीर है.

परिजनों का आरोप

जिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए अपनी पत्नी को लेकर पहुंचे घनश्याम सिन्हा ने बताया कि उसके बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे प्राइवेट अस्पताल रेफर करने को कहा. बच्चे की स्थिति गंभीर थी. उसे ले जाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हम लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग करते रहे. इसी बीच दो और बच्चों की मौत हो गई. एक के बाद एक बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया.

पढ़ें :- यूपी : नन्हीं जान की मौत का जिम्मेदार कौन? पीएम केयर्स फंड से लगा था वेंटिलेटर

ढाई घंटे बाद शांत हुए लोग

बच्चों की मौत की खबर को लेकर जिला अस्पताल में देर रात जमकर हंगामा हुआ. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में कोई सही जवाब नहीं दे रहा. सूचना मिलने पर पंडरी थाना प्रभारी याकूब मेमन पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे. पुलिस के दखल के ढाई घंटे बाद परिजन शांत हुए. जानकारी के मुताबिक, रात करीब 11 बजे तक तीनों बच्चों के शव के साथ परिजन लौट गए.

बेमेतरा से आए एक परिजन ने कहा कि उन्होंने अस्पताल से एक के बाद एक 7 शव निकलते देखा. हर दूसरे घंटे में एक बच्चे का शव बाहर आ रहा था. उन्होंने कहा कि उनके दो बच्चों का पिछले 3 दिनों से इलाज किया जा रहा है, मगर उनकी स्थिति की भी कोई जानकारी उन्हें नहीं मिल पा रही है. हालांकि मामले पर जिला अस्पताल ने कहा कि गरियाबंद के एक बच्चा को लेकर भी भ्रामक जानकारी दी जा रही हैं. गरियाबंद का जो बच्चा था, वह प्रीमेच्योर था. वह अभी भी जिंदा है. उसके लिए हमने बहुत ही महंगी दवाई का इस्तेमाल कर उसे बचाया है. उसके पिता ने नशे में धुत होकर हंगामा किया गया था.

रायपुर: राजधानी के जिला अस्पताल में मंगलवार रात 7 बच्चों की मौत होने की खबर सामने आई है. अस्पताल में मौजूद परिजनों के मुताबिक, यहां हर घंटे बच्चों के शव निकाले जा रहे थे. जिसके बाद बच्चों के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. परिजनों का आरोप है कि तबियत बिगड़ने पर बच्चों को बिना ऑक्सीजन लगाए दूसरे अस्पताल रेफर किया जा रहा था. हालांकि इस बात का खंडन करते हुए अस्पताल के नर्सरी इंचार्ज डॉक्टर ओंकार खंडेलवाल ने कहा कि बीते 24 घंटे में केवल दो बच्चों की मौत हुई है.

अस्पताल ने किया इनकार

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि हमारे पास ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. मंगलवार को अस्पताल में 15 से ज्यादा बच्चे वेंटिलेटर पर थे. यदि ऑक्सीजन की कमी होती, तो सभी की मृत्यु होती न कि एक या दो की. फिलहाल अस्पताल में 37 बच्चे भर्ती हैं. इनमें से 23 बच्चों की हालत गंभीर है.

परिजनों का आरोप

जिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए अपनी पत्नी को लेकर पहुंचे घनश्याम सिन्हा ने बताया कि उसके बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उसे प्राइवेट अस्पताल रेफर करने को कहा. बच्चे की स्थिति गंभीर थी. उसे ले जाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हम लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग करते रहे. इसी बीच दो और बच्चों की मौत हो गई. एक के बाद एक बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया.

पढ़ें :- यूपी : नन्हीं जान की मौत का जिम्मेदार कौन? पीएम केयर्स फंड से लगा था वेंटिलेटर

ढाई घंटे बाद शांत हुए लोग

बच्चों की मौत की खबर को लेकर जिला अस्पताल में देर रात जमकर हंगामा हुआ. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में कोई सही जवाब नहीं दे रहा. सूचना मिलने पर पंडरी थाना प्रभारी याकूब मेमन पुलिस बल के साथ अस्पताल पहुंचे. पुलिस के दखल के ढाई घंटे बाद परिजन शांत हुए. जानकारी के मुताबिक, रात करीब 11 बजे तक तीनों बच्चों के शव के साथ परिजन लौट गए.

बेमेतरा से आए एक परिजन ने कहा कि उन्होंने अस्पताल से एक के बाद एक 7 शव निकलते देखा. हर दूसरे घंटे में एक बच्चे का शव बाहर आ रहा था. उन्होंने कहा कि उनके दो बच्चों का पिछले 3 दिनों से इलाज किया जा रहा है, मगर उनकी स्थिति की भी कोई जानकारी उन्हें नहीं मिल पा रही है. हालांकि मामले पर जिला अस्पताल ने कहा कि गरियाबंद के एक बच्चा को लेकर भी भ्रामक जानकारी दी जा रही हैं. गरियाबंद का जो बच्चा था, वह प्रीमेच्योर था. वह अभी भी जिंदा है. उसके लिए हमने बहुत ही महंगी दवाई का इस्तेमाल कर उसे बचाया है. उसके पिता ने नशे में धुत होकर हंगामा किया गया था.

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