नई दिल्ली: रेलवे ने 47 स्टेशनों को आदर्श स्टेशनों के तौर पर विकसित ((Railways built 47 Adarsh stations) ) किया है और 295 स्टेशनों में वाईफाई सुविधा ( WiFi at 295 stations) शुरू की गई. रेल मंत्रालय के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे ने मुख्य रूप से यात्री-उन्मुख प्रणाली है. इसने 2021 के दौरान जनता को सुरक्षित, तेज, आरामदायक और विश्वसनीय परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने में अपने आप को एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में स्थापित किया है.
साल 2021 के दौरान रेलवे ने बुनियादी ढांचा विकसित कर जिन परियोजनाओं को शुरू किया है उनमें 47 किमी लाइन का गेज परिवर्तन: शाहजहांपुर-शहबाज नगर (4 किमी) और मैलानी-शाहगढ़ (41 किमी), 101 किमी का दोहरीकरण और विद्युतीकरण, औंरिहार-गाजीपुर शहर (40 किलोमीटर), सीतापुर-परसेंडी (16.8 किमी), माधोसिंह-ज्ञानपुर रोड (14.6 किमी), बलिया-फाफना (10.5 किमी), औंरिहार-धोभी (20 किमी), 40 किमी का विद्युतीकरण बलिया और गाजीपुर में कोच रखरखाव सुविधाएं स्थापित की गई हैं.
वहीं यात्रियों की सुविधा के लिए पूर्वोत्तर रेलवे ने 10 विभिन्न स्टेशनों पर 24 एस्केलेटर उपलब्ध कराए हैं. 8 अलग-अलग स्टेशनों पर 22 लिफ्ट लगाई गई हैं, 47 रेलवे स्टेशनों को आदर्श स्टेशनों के रूप में विकसित किया गया है. साथ ही सभी 295 पात्र स्टेशनों में वाईफाई प्रदान किया गया है. सुरक्षा के मद्देनजर यात्रियों के साथ अप्रिय घटनाओं को कम करने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं. जांच विफलताओं पर विशेष जोर दिया गया है और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न उपचारात्मक उपाय अपनाए गए हैं. (टीवीयू) वाले सभी लेवल क्रॉसिंग गेट इंटरलॉक किए गए. इसके अलावा 50,000 से कम टीवीयू वाले 16 लेवल क्रॉसिंग गेट भी इंटरलॉक किए गए.
78 किमी ट्रैक का नवीनीकरण किया गया इसके साथ ही 192 किमी प्लेन ट्रैक की डीप स्क्रीनिंग की गई और 145 टर्नआउट पूरे हुए. वहीं माल लदान के लिए पिछले वर्ष की तुलना में अब तक संचयी लदान लगभग 60 प्रतिशत अधिक रही है. लोडिंग बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, जिनमें चौबीसों घंटे काम करने के लिए 26 प्रमुख गुड्स शेड्स चालू किए गए, मालगाड़ियों की औसत गति बढ़ाई गई और वर्ष के दौरान लगातार गति 50 किमी/घंटा से अधिक बरकरार रखना शामिल हैं.
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व्यापार विकास इकाइयों (बीडीयू) के जोनल और मंडल स्तर पर किए गए ठोस प्रयासों के कारण किसान रेल के 22 रेकों की लोडिंग हुई और उन्हें इज्जतनगर मंडल के फरुर्खाबाद रेलवे स्टेशन से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे तक भेजा गया. पूर्वोत्तर रेलवे ने पिछले साल ऑटोमोबाइल लोडिंग की तुलानात्मक रूप से नई यातायात स्कीम की शुरूआत की. इस साल हल्दी रोड से ऑटोमोबाइल की 113 रेक के साथ 41 प्रतिशत से अधिक लोडिंग की गई.
दो प्रमुख ऑटोमोबाइल रख-रखाव टर्मिनल विकसित किए गए हैं, इनमें से एक बख्शी का तालाब में और दूसरा नौतनवा में है. यह पड़ोसी देश नेपाल की परिवहन जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं. इन स्टेशनों पर 77 रेकों से माल उतारा जाता है. ऑटोमोबाइल की लोडिंग में सहायता प्रदान करने के लिए गोरखपुर और इज्जतनगर की कार्यशालाओं में 550 खराब आईसीएफ कोचों को एनएमजी वैगनों में परिवर्तित किया गया. यह एक साल में भारतीय रेलवे द्वारा किया गया कोचों का सबसे बड़ा रूपांतरण है.
व्यय नियंत्रण और लागत कम करने के लिए रेलवे ने स्टेशन की सफाई, ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सेवाओं (ओबीएचएस) और मशीनीकृत सफाई को जीईएम के माध्यम से अनुबंधित किया गया है. कुल 10 अनुबंधों को अंतिम रूप दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप 40 प्रतिशत से अधिक की बचत हुई है.
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रेलकर्मियों को विभिन्न अनुरक्षण कार्य करने के लिए उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित और कुशल बनाया गया है. ये कार्य वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) के माध्यम से किए जाते थे परिणामस्वरूप रेलवे राजस्व की बचत हुई. जोनल और सभी मंडल रेलवे अस्पतालों को ऑक्सीजन प्लांट की सुविधा से लैस किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 70 फीसदी चिकित्सा ऑक्सीजन व्यय की बचत हुई है। इन सुधारों से कुल 20 करोड़ की बचत होने की उम्मीद है.
वहीं लगातार निगरानी और सक्रिय कार्रवाई के माध्यम से, रेल मदद निपटान समय को पिछले वर्ष के 3 घंटे 6 मिनट की तुलना में घटाकर 13 मिनट कर दिया गया है. यह भारतीय रेलवे का सबसे तेज निपटान समय है. सीपी ग्राम्स पर प्राप्त शिकायतों का भी इसी तरह से निपटारा किया जा रहा है और पिछले वर्ष के 11 दिनों की तुलना में निपटान का समय अब एक दिन कर दिया गया है. यह भारतीय रेलवे का सबसे तेज निपटान समय है.
(आईएएनएस)