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तमिलनाडु में चुनावी 'पोंगल', भाजपा-कांग्रेस की रेस

तमिलनाडु का सबसे बड़ा त्योहार पोंगल बहुत ही खास अंदाज में मनाया जाता है. यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां इसके जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करती हैं. खासकर राष्ट्रीय पार्टियां. इस बार भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने तरीके से पोंगल पर जनता के बीच जा रहीं हैं. किस पार्टी को कितनी स्वीकार्यता मिलेगी, कहना मुश्किल है. एक विश्लेषण ईटीवी भारत के चेन्नई ब्यूरो प्रमुख एमसी राजन का.

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Published : Jan 12, 2021, 11:00 PM IST

हैदराबाद : तमिलनाडु में इसी साल चुनाव होने वाले हैं. लिहाजा, राजनीतिक पार्टियां अपने तरीके से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहीं हैं. द्रविड़ राजनीति में पनपने वाली पार्टियां यहां की संस्कृति से पूरी तरह अवगत हैं. इसलिए उन्हें पता है कि कब क्या करना है. लेकिन राष्ट्रीय पार्टियों के लिए थोड़ी मुश्किल स्थिति है, खासर उनके लिए जिनके पास स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय चेहरे नहीं हैं. जाहिर है, इसमें सबसे पहला नाम भारतीय जनता पार्टी का आता है. वैसे, इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 14 जनवरी को पोंगल उत्सव में शरीक होंगे. मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख, भी इस उत्सव में शामिल होंगे. ऐसे में कांग्रेस कैसे पीछे रहती. राहुल गांधी मुदरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में शामिल होंगे.

आपको बता दें कि तमिलनाडु में पोंगल जैसे उत्सव के जरिए जनता तक कैसे पहुंचा जाता है, इसकी शुरुआत डीएमके के दिग्गज नेता एम करुणानिधि ने की थी. उन्होंने इस त्योहार पर समानता का विशेष आह्वान किया था.

भाजपा ने इस बार 'नम्मा ओरु पोंगल' (घर में पोंगल) की शुरुआत की है. इसके जरिए पार्टी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. इसके पहले भाजपा ने कभी भी इस तरह के प्रयास नहीं किए थे. इसी तरह के एक कार्यक्रम में नड्डा खुद मौजूद रहेंगे. मोहन भागवत भी पहले ही घोषणा कर चुके हैं. कांग्रेस ने इस कार्यक्रम की भनक लगते ही राहुल गांधी के लिए योजना बना डाली. राहुल 14 जनवरी को मदुरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.

भाजपा 'वेल यात्रा' (मुरुगन देवता के छह प्रतिष्ठित निवास स्थानों को जोड़ने वाली यात्रा) के जरिए तमिल लोगों को रिझाने का प्रयास कर रही है. हाल ही में भाजपा में शामिल हुईं अभिनेत्री खुशबू और कॉलीवुड की हॉट गर्ल नमिता इसमें भाग ले रहीं हैं. इस तरह का आयोजन कांग्रेस ने भी अपने प्रदेश कार्यालय में आयोजित किया, लेकिन उसे बहुत अधिक मीडिया का कवरेज नहीं मिला.

नड्डा इस बार तुगलक मैगजीन के वार्षिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे. अमित शाह किसी कारणवश इसमें हिस्सा नहीं ले सकेंगे.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि राहुल गांधी मुदरै में चार घंटे तक रुकेंगे. उनके लिए यह बहुत अच्छा मौका है. क्योंकि विदेश यात्रा के बाद राहुल पहली बार किसी सार्वजनिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. पार्टी के राज्य अध्यक्ष केएस अलागिरि ने हालांकि स्पष्ट कर दिया है कि उनकी मुलाकात डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से नहीं होगी. कांग्रेस के लिए इस यात्रा का बहुत महत्व है. क्योंकि कांग्रेस लगातार पिछड़ती जा रही है. यह पार्टी कभी राज्य में सत्ता में हुआ करती थी, लेकिन आज उसकी लोकप्रियता न्यूनतम है.

पढ़ें - पोंगल का त्यौहार तमिलनाडु में मनाएंगे भाजपा अध्यक्ष नड्डा

कांग्रेस और भाजपा के तमिल प्रेम को देखकर डीएमके भी पसोपेश में है. यही वजह है कि पार्टी के नेता बार-बार करुणानिधि की उस भूमिका को याद दिला रहे हैं, जिस दौरान उन्होंने समतुवा पोंगल का नाम दिया था.

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ सी लक्षमणन कहते हैं कि भाजपा तमिलनाडु में तमिल संस्कृति के जरिए प्रवेश करना चाहती है. पार्टी चाहती है कि उस पर उत्तर भारतीय का टैग हटे. पार्टी को इसका भान है कि यहां पर हिंदुत्व कार्ड के जरिए आगे बढ़ना संभव नहीं है. लेकिन उन्हें यह भी याद रखना होगा कि द्रविड़ राजनीति में स्थानीय पार्टियों ने पहले ही स्थान भर लिया है. लिहाजा रास्ता बनाना इतना आसान नहीं होगा.

हैदराबाद : तमिलनाडु में इसी साल चुनाव होने वाले हैं. लिहाजा, राजनीतिक पार्टियां अपने तरीके से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहीं हैं. द्रविड़ राजनीति में पनपने वाली पार्टियां यहां की संस्कृति से पूरी तरह अवगत हैं. इसलिए उन्हें पता है कि कब क्या करना है. लेकिन राष्ट्रीय पार्टियों के लिए थोड़ी मुश्किल स्थिति है, खासर उनके लिए जिनके पास स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय चेहरे नहीं हैं. जाहिर है, इसमें सबसे पहला नाम भारतीय जनता पार्टी का आता है. वैसे, इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 14 जनवरी को पोंगल उत्सव में शरीक होंगे. मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख, भी इस उत्सव में शामिल होंगे. ऐसे में कांग्रेस कैसे पीछे रहती. राहुल गांधी मुदरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में शामिल होंगे.

आपको बता दें कि तमिलनाडु में पोंगल जैसे उत्सव के जरिए जनता तक कैसे पहुंचा जाता है, इसकी शुरुआत डीएमके के दिग्गज नेता एम करुणानिधि ने की थी. उन्होंने इस त्योहार पर समानता का विशेष आह्वान किया था.

भाजपा ने इस बार 'नम्मा ओरु पोंगल' (घर में पोंगल) की शुरुआत की है. इसके जरिए पार्टी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. इसके पहले भाजपा ने कभी भी इस तरह के प्रयास नहीं किए थे. इसी तरह के एक कार्यक्रम में नड्डा खुद मौजूद रहेंगे. मोहन भागवत भी पहले ही घोषणा कर चुके हैं. कांग्रेस ने इस कार्यक्रम की भनक लगते ही राहुल गांधी के लिए योजना बना डाली. राहुल 14 जनवरी को मदुरै में जल्लीकट्टू कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.

भाजपा 'वेल यात्रा' (मुरुगन देवता के छह प्रतिष्ठित निवास स्थानों को जोड़ने वाली यात्रा) के जरिए तमिल लोगों को रिझाने का प्रयास कर रही है. हाल ही में भाजपा में शामिल हुईं अभिनेत्री खुशबू और कॉलीवुड की हॉट गर्ल नमिता इसमें भाग ले रहीं हैं. इस तरह का आयोजन कांग्रेस ने भी अपने प्रदेश कार्यालय में आयोजित किया, लेकिन उसे बहुत अधिक मीडिया का कवरेज नहीं मिला.

नड्डा इस बार तुगलक मैगजीन के वार्षिक कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे. अमित शाह किसी कारणवश इसमें हिस्सा नहीं ले सकेंगे.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि राहुल गांधी मुदरै में चार घंटे तक रुकेंगे. उनके लिए यह बहुत अच्छा मौका है. क्योंकि विदेश यात्रा के बाद राहुल पहली बार किसी सार्वजनिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. पार्टी के राज्य अध्यक्ष केएस अलागिरि ने हालांकि स्पष्ट कर दिया है कि उनकी मुलाकात डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से नहीं होगी. कांग्रेस के लिए इस यात्रा का बहुत महत्व है. क्योंकि कांग्रेस लगातार पिछड़ती जा रही है. यह पार्टी कभी राज्य में सत्ता में हुआ करती थी, लेकिन आज उसकी लोकप्रियता न्यूनतम है.

पढ़ें - पोंगल का त्यौहार तमिलनाडु में मनाएंगे भाजपा अध्यक्ष नड्डा

कांग्रेस और भाजपा के तमिल प्रेम को देखकर डीएमके भी पसोपेश में है. यही वजह है कि पार्टी के नेता बार-बार करुणानिधि की उस भूमिका को याद दिला रहे हैं, जिस दौरान उन्होंने समतुवा पोंगल का नाम दिया था.

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ सी लक्षमणन कहते हैं कि भाजपा तमिलनाडु में तमिल संस्कृति के जरिए प्रवेश करना चाहती है. पार्टी चाहती है कि उस पर उत्तर भारतीय का टैग हटे. पार्टी को इसका भान है कि यहां पर हिंदुत्व कार्ड के जरिए आगे बढ़ना संभव नहीं है. लेकिन उन्हें यह भी याद रखना होगा कि द्रविड़ राजनीति में स्थानीय पार्टियों ने पहले ही स्थान भर लिया है. लिहाजा रास्ता बनाना इतना आसान नहीं होगा.

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