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राहुल ने पीएम मोदी को 'दुर्जेय शत्रु' बताया, उन्हें परास्त करने का संकल्प लिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तमिलनाडु में केंद्र पर निशाना साधा. नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह एक सांप्रदायिक हथियार है और यही कारण है कि मुझे यह पसंद नहीं है.

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Published : Feb 28, 2021, 9:58 PM IST

Updated : Feb 28, 2021, 10:21 PM IST

तिरुनेलवेल्ली (तमिलनाडु) : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐसा 'दुर्जेय शत्रु' बताया, जो अपने विरोधियों को 'कुचल' देते हैं. साथ ही, राहुल ने प्रेम और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्हें राजनीतिक गुमनामी में भेजने का भी संकल्प लिया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने तमिलनाडु में छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य के अपने दौरे पर यहां सेंट जेवियर कॉलेज में 'एजुकेटर्स मीट' परिचर्चा के दौरान यह भी कहा कि वह भाजपा को परास्त करने के लिए लोगों के समर्थन की उम्मीद करते हैं.

इस दौरान जब एक प्रतिभागी ने यह जानना चाहा कि क्या उन्हें (राहुल को) लगता है कि सत्ता में आने का इंतजार किए बिना मोदी सरकार पर उनके (राहुल गांधी के) 'अच्छे विचारों' को लागू कराने के लिए दबाव बनाया जा सकता है, इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह लोगों के 'प्रबल' और 'मूल्यवान' समर्थन से किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि बड़े सपने देखना महत्वपूर्ण है, हालांकि हो सकता है कि उनमें से कुछ साकार नहीं हों. उनका परोक्ष तौर पर इशारा केंद्र में भाजपा के हाथों से सत्ता छीनने की ओर था.

गांधी ने कहा, 'हां, हम एक ऐसे दुर्जेय शत्रु (मोदी) से लड़ रहे हैं जो इस देश में धन की ताकत को हावी कर रहा है. हम एक ऐसे शत्रु से लड़ रहे हैं जो अपने विरोधियों को कुचल रहा है. हालांकि हमने पहले ऐसा किया है, हमने इस नए दुश्मन की तुलना में बहुत बड़े दुश्मन (अंग्रेजों) को हराया है.'

उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को याद करते हुए कहा कि मोदी की तुलना में अंग्रेज अधिक शक्तिशाली थे.

उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश साम्राज्य की तुलना में नरेंद्र मोदी क्या हैं? कुछ भी नहीं. इस देश के लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंका और उसी तरह हम नरेंद्र मोदी को नागपुर (महाराष्ट्र में आरएसएस मुख्यालय) वापस भेज देंगे.'

राहुल का परोक्ष रूप से यह मतलब था कि लोगों के समर्थन के साथ कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिलने के बाद मोदी राजनीतिक गुमनामी में चले जाएंगे.

उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी या उनकी पार्टी के प्रति किसी भी घृणा, क्रोध या हिंसा के बिना हासिल किया जाएगा, भले ही वे (भाजपा) उनके खिलाफ 'दुर्व्यवहार' या 'हिंसा' का इस्तेमाल करें.

कांग्रेस तमिलनाडु में द्रमुक की सहयोगी है और भाजपा सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की सहयोगी है.

'भाजपा का आस्था से कोई लेना-देना नहीं'

कांग्रेस नेता ने एक अन्य प्रतिभागी के सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने अपने कई विचारों में 'हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने' का दावा किया है, लेकिन वास्तव में इसका उस आस्था से कोई लेना-देना नहीं है.

राहुल ने कहा कि हिंदू धर्म लोगों का अपमान करना, लोगों को मारना-पीटना नहीं सिखाता है. उन्होंने आरोप लगाया, 'लेकिन वे (भाजपा नीत केंद्र सरकार) ऐसा करते हैं.'

उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सार प्रेम है, लेकिन केंद्र सरकार का 'पूरा खेल' किसानों सहित आम लोगों के पैसे नये कृषि कानून जैसी पहल के जरिए चुराना और उसे बड़े उद्योगों को देना है.

राहुल बोले, सांप्रदायिक हथियार है नई शिक्षा नीति

उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा कि उन्हें केंद्र की नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 भी पसंद नहीं है.

जब एक प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि एनईपी एजेंडा से प्रेरित है, तो राहुल ने कहा कि शिक्षा संबंधी कोई भी नीति छात्रों और शिक्षकों के साथ विचार-विमर्श का परिणाम होनी चाहिए.

उन्होंने दावा किया, 'दुर्भाग्य से यह नहीं किया गया.' उन्होंने कहा कि इसके जरिये केंद्र के हाथों में बहुत अधिक शक्ति केंद्रित की गई है और यह शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने के लिए लायी गई है.'

उन्होंने कहा कि हालांकि एनईपी में लचीलेपन का एक सकारात्मक पहलू है, लेकिन, यह 'एक विशेष विचारधारा को भारतीय प्रणाली पर थोपने के लिए एक सांप्रदायिक हथियार है और यही कारण है कि मुझे यह पसंद नहीं है.'

अधिक छात्रवृत्ति का समर्थन किया

उन्होंने अधिक छात्रवृत्ति का समर्थन किया, ताकि अधिक से अधिक गरीब छात्रों को शिक्षा पाने में मदद मिल सके. उन्होंने महिला सशक्तीकरण को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि चाहे वह शिक्षा हो, कृषि या स्वास्थ्य सेवा, इन्हें 'वित्तीय वस्तु' के रूप में देखा जा रहा है और वह इसके विरुद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि अमीर हो या गरीब, पुरुष हो या महिला, राष्ट्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने सभी लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराये.

शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से राज्य सूची में वापस लाने की मांग पर उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता. हम इसे देखेंगे.' उन्होंने कहा कि सब कुछ केंद्रीकृत करना एक खराब विचार है और विकेंद्रीकरण तथा देश के सभी कोनों से शिक्षा तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना मूलभूत विचार है.

गौरतलब है कि 1976 में, इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शिक्षा को समवर्ती सूची में डाल दिया था, जो पहले राज्य सूची में था. राहुल यहां नेल्लियापर मंदिर गए और एक चाय की दुकान सहित कई स्थानों पर लोगों से संवाद किया.

पढ़ें- कांग्रेस-लेफ्ट की रैली में बोले चौधरी, टीएमसी-भाजपा पर भारी पड़ेगा महागठबंधन

गांधी ने छोटे व्यापारियों और किसानों के साथ बातचीत के बाद कहा कि वह यह समझ सकते हैं कि 'बुरी तरह से बनाया गया माल और सेवा कर (जीएसटी) ने हमारे नींबू किसानों को कैसे नुकसान पहुंचाया है' और बीड़ी उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को किस तरह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

तिरुनेलवेल्ली (तमिलनाडु) : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ऐसा 'दुर्जेय शत्रु' बताया, जो अपने विरोधियों को 'कुचल' देते हैं. साथ ही, राहुल ने प्रेम और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्हें राजनीतिक गुमनामी में भेजने का भी संकल्प लिया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने तमिलनाडु में छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य के अपने दौरे पर यहां सेंट जेवियर कॉलेज में 'एजुकेटर्स मीट' परिचर्चा के दौरान यह भी कहा कि वह भाजपा को परास्त करने के लिए लोगों के समर्थन की उम्मीद करते हैं.

इस दौरान जब एक प्रतिभागी ने यह जानना चाहा कि क्या उन्हें (राहुल को) लगता है कि सत्ता में आने का इंतजार किए बिना मोदी सरकार पर उनके (राहुल गांधी के) 'अच्छे विचारों' को लागू कराने के लिए दबाव बनाया जा सकता है, इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि यह लोगों के 'प्रबल' और 'मूल्यवान' समर्थन से किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि बड़े सपने देखना महत्वपूर्ण है, हालांकि हो सकता है कि उनमें से कुछ साकार नहीं हों. उनका परोक्ष तौर पर इशारा केंद्र में भाजपा के हाथों से सत्ता छीनने की ओर था.

गांधी ने कहा, 'हां, हम एक ऐसे दुर्जेय शत्रु (मोदी) से लड़ रहे हैं जो इस देश में धन की ताकत को हावी कर रहा है. हम एक ऐसे शत्रु से लड़ रहे हैं जो अपने विरोधियों को कुचल रहा है. हालांकि हमने पहले ऐसा किया है, हमने इस नए दुश्मन की तुलना में बहुत बड़े दुश्मन (अंग्रेजों) को हराया है.'

उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को याद करते हुए कहा कि मोदी की तुलना में अंग्रेज अधिक शक्तिशाली थे.

उन्होंने कहा, 'ब्रिटिश साम्राज्य की तुलना में नरेंद्र मोदी क्या हैं? कुछ भी नहीं. इस देश के लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंका और उसी तरह हम नरेंद्र मोदी को नागपुर (महाराष्ट्र में आरएसएस मुख्यालय) वापस भेज देंगे.'

राहुल का परोक्ष रूप से यह मतलब था कि लोगों के समर्थन के साथ कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिलने के बाद मोदी राजनीतिक गुमनामी में चले जाएंगे.

उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी या उनकी पार्टी के प्रति किसी भी घृणा, क्रोध या हिंसा के बिना हासिल किया जाएगा, भले ही वे (भाजपा) उनके खिलाफ 'दुर्व्यवहार' या 'हिंसा' का इस्तेमाल करें.

कांग्रेस तमिलनाडु में द्रमुक की सहयोगी है और भाजपा सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की सहयोगी है.

'भाजपा का आस्था से कोई लेना-देना नहीं'

कांग्रेस नेता ने एक अन्य प्रतिभागी के सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने अपने कई विचारों में 'हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने' का दावा किया है, लेकिन वास्तव में इसका उस आस्था से कोई लेना-देना नहीं है.

राहुल ने कहा कि हिंदू धर्म लोगों का अपमान करना, लोगों को मारना-पीटना नहीं सिखाता है. उन्होंने आरोप लगाया, 'लेकिन वे (भाजपा नीत केंद्र सरकार) ऐसा करते हैं.'

उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सार प्रेम है, लेकिन केंद्र सरकार का 'पूरा खेल' किसानों सहित आम लोगों के पैसे नये कृषि कानून जैसी पहल के जरिए चुराना और उसे बड़े उद्योगों को देना है.

राहुल बोले, सांप्रदायिक हथियार है नई शिक्षा नीति

उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा कि उन्हें केंद्र की नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 भी पसंद नहीं है.

जब एक प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि एनईपी एजेंडा से प्रेरित है, तो राहुल ने कहा कि शिक्षा संबंधी कोई भी नीति छात्रों और शिक्षकों के साथ विचार-विमर्श का परिणाम होनी चाहिए.

उन्होंने दावा किया, 'दुर्भाग्य से यह नहीं किया गया.' उन्होंने कहा कि इसके जरिये केंद्र के हाथों में बहुत अधिक शक्ति केंद्रित की गई है और यह शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने के लिए लायी गई है.'

उन्होंने कहा कि हालांकि एनईपी में लचीलेपन का एक सकारात्मक पहलू है, लेकिन, यह 'एक विशेष विचारधारा को भारतीय प्रणाली पर थोपने के लिए एक सांप्रदायिक हथियार है और यही कारण है कि मुझे यह पसंद नहीं है.'

अधिक छात्रवृत्ति का समर्थन किया

उन्होंने अधिक छात्रवृत्ति का समर्थन किया, ताकि अधिक से अधिक गरीब छात्रों को शिक्षा पाने में मदद मिल सके. उन्होंने महिला सशक्तीकरण को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि चाहे वह शिक्षा हो, कृषि या स्वास्थ्य सेवा, इन्हें 'वित्तीय वस्तु' के रूप में देखा जा रहा है और वह इसके विरुद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि अमीर हो या गरीब, पुरुष हो या महिला, राष्ट्र का यह कर्तव्य है कि वह अपने सभी लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराये.

शिक्षा को संविधान की समवर्ती सूची से राज्य सूची में वापस लाने की मांग पर उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता. हम इसे देखेंगे.' उन्होंने कहा कि सब कुछ केंद्रीकृत करना एक खराब विचार है और विकेंद्रीकरण तथा देश के सभी कोनों से शिक्षा तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना मूलभूत विचार है.

गौरतलब है कि 1976 में, इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शिक्षा को समवर्ती सूची में डाल दिया था, जो पहले राज्य सूची में था. राहुल यहां नेल्लियापर मंदिर गए और एक चाय की दुकान सहित कई स्थानों पर लोगों से संवाद किया.

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गांधी ने छोटे व्यापारियों और किसानों के साथ बातचीत के बाद कहा कि वह यह समझ सकते हैं कि 'बुरी तरह से बनाया गया माल और सेवा कर (जीएसटी) ने हमारे नींबू किसानों को कैसे नुकसान पहुंचाया है' और बीड़ी उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को किस तरह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

Last Updated : Feb 28, 2021, 10:21 PM IST
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