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एक बार फिर बाहर निकला रैगिंग का जिन्न, रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं पिछली घटनाएं - Ragging Cases in Engineering College

बिहार में रैगिंग की खबर ने एक बार फिर से पुरानी घटनाओं की याद ताजा कर दी है, जिनको पढ़ते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आइए डालते हैं इन घटनाओं पर एक नजर और पाते हैं.. Ragging Cases in India की विस्तार से जानकारी..

Ragging Cases in India
(कांसेप्ट फोटो)
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Published : Sep 14, 2022, 3:23 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 6:41 AM IST

नई दिल्ली : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) पटना की प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा ने परिसर के अंदर लगातार रैगिंग की शिकायत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से करके एक बार फिर से रैगिंग के जिन्न को बाहर निकाल दिया है. छात्रा की शिकायत के अनुसार, उसके सीनियर्स पिछले कुछ दिनों से नियमित रूप से उसे रात में बुलाकर सबके सामने डांस करने के लिए मजबूर करते हैं. उसने यह भी आरोप लगाया कि अगर वह मना करती है तो वे उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रशासकों को पत्र लिखकर 72 घंटे में जवाब मांगकर खलबली मचा दी है. इसी के कारण संस्थान के अधिकारी फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और कैंपस के अंदर अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एंटी रैगिंग सेल को सक्रिय कर दिया है.

Ragging Cases in India
रैगिंग के आंकड़े (कांसेप्ट फोटो)

ऐसे हैं पिछले कुछ सालों के आंकड़े (Ragging Cases with Medical Students)

कहा जाता है कि भारतीय चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में रैगिंग की शिकायतें जरुरत से ज्यादा ही मिलती हैं. जैसा कि हाल ही में एक आधिकारिक आंकड़ों की विज्ञप्ति से स्पष्ट है, जिसमें पता चला है कि शीर्ष चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को वर्ष 2015-16 से अब तक 73 से अधिक रैगिंग की शिकायतें मिली हैं. इन आंकड़ों को देखकर यह समझा जा सकता है कि ये वे शिकायतें हैं जो सीधे एमसीआई के एंटी-रैगिंग सेल के माध्यम से पहुंचीं और इसमें वो घटनाएं नहीं शामिल हैं, जिन्हें पुलिस और मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों द्वारा मौके पर ही दबा दिया जाता है.

एमसीआई के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 से 2019-20 बैच तक अब तक मेडिकल काउंसिल के अधिकारियों को कुल 73 शिकायतें मिली थीं. शीर्ष चिकित्सा नियामक को 2018-19 में ऐसी 13 शिकायतें मिली थीं और वर्ष 2017-18 में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इन घटनाओं की 25 शिकायतों में सीनियर्स पर रैगिंग का आरोप लगाया गया था, जिनमें 3 मौत के भी मामले थे. 73 में से रैगिंग की सबसे अधिक 17 शिकायतें यूपी स्थित मेडिकल कॉलेजों से प्राप्त हुयीं थीं.

2017-18 के आंकड़ों के अनुसार यह भी बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, सैफई, इटावा से 2016 से आज तक हर शैक्षणिक वर्ष में रैगिंग की घटनाएं सामने आती रही हैं. वहीं श्रीराम मूर्ति स्मारक आयुर्विज्ञान संस्थान, बरेली से रैगिंग की 3 शिकायतें आई थीं। रैगिंग की घटनाओं के वर्ष 2015-16 में केवल एक मामला सामने आया था. वर्ष 2016-17 में दो मामले सामने आए थे. 2017-18 में केवल एक मामला सामने आया था, जबकि 2018-19 में कोई मामला सामने नहीं आया था. साल 2019-20 में कर्नाटक के मेडिकल कॉलेजों से दो मामले सामने आए थे. अब ताजा मामला पटना में प्रकाश में आया है.

इन आंकड़ों को भी देख सकते हैं कि किस तरह से 2018 से 2021 के बीच इसकी शिकायतों पर कार्रवाइयां भी हुयीं हैं. कई संस्थाओं ने इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ा एक्शन लेकर अपने संस्थान की छवि सुधारने की पहल की है....

Ragging data in India
रैगिंग के आंकड़े

इस घटना के बाद से एक बार फिर से पुरानी घटनाओं की याद ताजा कर दी है, जिनको पढ़ते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आइए डालते हैं इन घटनाओं पर एक नजर (Ragging Cases in India)....

1984 में टीके चिदंबरम राजू अय्यर केस
खबरों के अनुसार 13-14 सितंबर 1984 की रात में 22 वर्षीय टीके चिदंबरम राजू अय्यर की उनके सीनियर्स ने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद में हत्या कर दी थी. 4 सीनियर स्टूडेंट्स ने उनकी रैगिंग की थी और उसके बाद उसकी मौत की खबर आयी थी.

1996 का Pon Navarasu केस
पोन नवरासु तमिलनाडु के मुथैया मेडिकल कॉलेज ( Muthaiah Medical College in Tamil Nadu) में वर्ष 1996 में मेडिकल प्रथम वर्ष का छात्र था. जिसकी रैगिंग के बाद हत्या के मामले को सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. बताया जाता है कि जब नवरासु ने एक सीनियर के चप्पल के तलवों को चाटने से इनकार कर दिया, तो उसी कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र और मद्रास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के बेटे जॉन डेविड ने कराटे के जरिए उसकी हत्या कर दी. साथ ही उसके शरीर को कई टुकड़ों में काटकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया था. इस चर्चित मामले के बाद तमिलनाडु में पहले रैगिंग विरोधी कानून ( First Anti Ragging Law) को पारित किया गया था.

2002 का अनूप कुमार केस
कानपुर के Institute of Engineering and Technology के मामले में अनूप कुमार को रैगिंग के नाम पर यौन उत्पीड़न का शिकार ( Sexual Harassment in IET Kanpur) होना पड़ा था. इसके साथ ही उसको कई तरह के अपमानजनक कृत्य करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके बाद उसने अपने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले की भी खूब चर्चा हुयी थी और मामले में कॉलेज के ही फाइनल इयर के छात्र विष्णु कुमार सिंह पर आरोप लगा था.

2004 का मोहन कार्तिक त्रिपाठी केस
2004 में मोहन कार्तिक त्रिपाठी ने तमिलनाडु के तांबरम में एसकेआर इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने छात्रावास के कमरे में छत के पंखे से फांसी लगा ली थी. कहा जा रहा था कि रैगिंग की शिकायतों को अनसुना किए जाने के बाद उसने जान दे दी थी. कहा गया था कि उसे मजबूरन अपने ही पेशाब में नहलाकर बेइज्जत करने की कोशिश की गयी थी.

2004 का सुशील कुमार पांडे केस
इसी साल एक और मामले में 18 वर्षीय सुशील कुमार पांडे ने मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में अपने सीनियर्स के द्वारा निर्वस्त्र परेड कराए जाने के बाद हुए अपमान को सहन न कर पाया और फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

इसे भी देखें : MP: इंदौर, रतलाम के बाद अब जबलपुर में रैंगिंग का मामला, छात्र को निर्वस्त्र कर घुमाया

2005 का सी. अब्राहम केस
इंजीनियरिंग फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट सी अब्राहम ने हैदराबाद स्थित अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी थी और अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि उसकी पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी है. उसके माता-पिता को संदेह था कि उसकी आत्महत्या रैगिंग के कारण हुयी है, क्योंकि वह वहां जाने के पहले ऐसा नहीं सोचता था.

2005 का श्रीधर केस
5 दिसंबर को 18 वर्षीय श्रीधर ने चेन्नई में अपने हॉस्टल के कमरे में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. इस मामले में भी रैगिंग की संभावना जतायी गयी थी.

2005 का अमित सहाय केस
11 अक्टूबर को अमित सहाय ने जालंधर में आ रही ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. वह एनआईटी जालंधर, पंजाब का छात्र था. सुसाइड नोट में उन्होंने जालंधर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नौ सीनियर स्टूडेंट्स पर बेरहमी से रैगिंग करने का आरोप लगाया था.

2005 का कमलेश सरकार केस
जुलाई में 19 वर्षीय कमलेश सरकार ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कल्याणी में एक निजी होटल प्रबंधन संस्थान में आत्महत्या कर ली थी. हालांकि शिकायत के बाद भी पुलिस ने रैगिंग का नहीं बल्कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करके जांच पड़ताल की थी.

इसे भी देखें : Ragging In Ratlam: शासकीय मेडिकल कॉलेज रैगिंग मामले में FIR, 7 सिनियर्स पर कार्रवाई और 1 साल के लिए हुए निष्कासित

2006 का एसपी मनोज केस
हैदराबाद में Mahatma Gandhi Institute of Technology के छात्र एसपी मनोज ने कई हफ्तों तक रैगिंग का अपमान झेलने के बाद फांसी लगा ली थी. आत्महत्या के तीन दिन बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले में पहल की जांच पड़ताल कराने के लिए मनोज के माता-पिता और परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी.

2006 का आजाद नायर केस
5 नवंबर को चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) के 22 साल के कैडेट आजाद नायर ने कमरे के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या से पहले उसने अपने भाई को टेलीफोन पर बताया था कि ओटीए में उसकी रैगिंग की जा रही है. उसने अपने पिता पद्मनाभन नायर से भी बचाने की गुहार लगाई थी.

2007 का दुर्गेश शुक्ला केस
18 सितंबर को दुर्गेश शुक्ला ने भोपाल के पॉयनियर कॉलेज में अपने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में सीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया था.

2007 का मनजोत सिंह केस
8 अगस्त को एमबीबीएस के छात्र मनजोत सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी. चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में अपने हॉस्टल में रैगिंग के कारण उन्होंने चंडीगढ़ में अपने आवास पर ऐसा किया था.

2007 का चेतन राज केस
20 सितंबर को 18 साल के चेतन राज ने मैसूर में आत्महत्या कर ली थी. उसका शव उसके लॉज रूम की छत से लटका मिला था. उसने पहले ही अपने माता-पिता से शिकायत की थी कि उसके कॉलेज में उसकी रैगिंग की जा रही है.

2009 का अमन काचरू केस
7 मार्च को डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज (Dr Rajendra Prasad Medical College) के फर्स्ट ईयर के छात्र अमन सत्य काचरू (Aman Satya Kachroo) को उसके सीनियर्स ने इस कदर बेरहमी से पीटा कि इससे ब्रेन हेमरेज हो गया. इस घटना में उसकी मौत हो गयी थी. कहा जा रहा था कि उसके सीनियर्स ने उसकी हत्या कर दी थी. हालांकि मौत से ठीक एक दिन पहले आरोपियों के खिलाफ रैगिंग करने की शिकायत दर्ज कराई थी.

2010 का नागेंद्रा एवी केस
25 वर्षीय नागेंद्रा एवी 19 अप्रैल को चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में मृत पाए गए थे. डॉक्टर ने दो महीने पहले ही इस पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान में ज्वाइन किया था. पुलिस ने कहा कि उसने छात्रावास की इमारत से कूदकर जान दे दी, जबकि उसके पिता ने कहा कि उसे धक्का दिया गया था. उसने पिता से कहा था कि एक दिन पहले उसने रैगिंग की शिकायत की थी.

2010 का अजूब अजीत केस
19 वर्षीय अजूब अजीत ने 31 मार्च को तिरुवनंतपुरम में अपने घर में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. वह साराभाई इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के छात्र थे. उसने अपनी मां से कहा था कि उसकी बुरी तरह रैगिंग की जा रही थी. उसकी शिकायत के बाद भी प्रिंसिपल ने कुछ नहीं किया था.

2010 का सतविंदर कुमार केस
28 साल के सतविंदर कुमार ने 3 मार्च को आत्महत्या कर ली थी. वह एडवांस्ड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, मुंबई का छात्र था. सुसाइड नोट में उसने सात सीनियर्स का नाम लिया है, जिन्होंने उसकी इतनी रैगिंग की थी. वह मिड टर्म एग्जाम देने के बजाय कुरुक्षेत्र के लिए घर चला गया था. घर पहुंचने से पहले ही उसने राजस्थान के झालावाड़ जिले में मालगाड़ी के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली.

2010 का प्रेमलता केस
22 वर्षीय प्रेमलता ने 5 फरवरी को बीएस अब्दुर रहमान क्रीसेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में सल्फ्यूरिक एसिड का सेवन करके आत्महत्या कर ली थी. उसके भाई ने चौथे वर्ष के छात्र 22 वर्षीय योगेश पर रैगिंग करने का आरोप लगाकर शिकायत की थी.

2010 का गौरव सदानंद राउत केस
22 वर्षीय गौरव सदानंद राउत ने 9 फरवरी को नासिक के मराठा विद्या प्रसारक समाज मेडिकल कॉलेज में अपने छात्रावास के कमरे में गला घोंटकर आत्महत्या कर ली थी. उसके पिता ने अपने रूममेट्स मंधर मोंडे और अनिल कावड़े को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था.

2012 का अजमल पीएम
2012 में रैगिंग का एक और चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब 2012 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के 17 वर्षीय छात्र अजमल पीएम (Ajmal PM) को उसके सीनियर्स ने आग के हवाले कर दिया था. छात्र बैंगलोर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था, जहां चार वरिष्ठों के एक समूह ने उसकी रैगिंग की थी और उसके बाद उसे जलाकर मार डाला था.

2014 का आकाश अग्रवाल केस
2014 में कलकत्ता इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी (Calcutta Institute of Pharmaceutical Technology) का एक फार्मेसी छात्र कोलकाता में रेलवे पटरियों के पास मृत पाया गया था. रिपोर्टों से पता चला है कि 20 वर्षीय युवक को कॉलेज में उसके सीनियर्स के द्वारा रैगिंग करके पीटा गया था और लाश को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था.

2015 का कृष्णा केस
चेन्नई में 19 साल के कृष्णा ने नवंबर के महीने में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उसने अपनी डायरी में लिखा कि उसे तृतीय वर्ष के छात्र शेखर के द्वारा बार बार प्रताड़ित किया जा रहा है. इस मामले में जब किसी ने उसकी मदद नहीं की तो उसने आत्महत्या कर ली.

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नई दिल्ली : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) पटना की प्रथम वर्ष की मेडिकल छात्रा ने परिसर के अंदर लगातार रैगिंग की शिकायत राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से करके एक बार फिर से रैगिंग के जिन्न को बाहर निकाल दिया है. छात्रा की शिकायत के अनुसार, उसके सीनियर्स पिछले कुछ दिनों से नियमित रूप से उसे रात में बुलाकर सबके सामने डांस करने के लिए मजबूर करते हैं. उसने यह भी आरोप लगाया कि अगर वह मना करती है तो वे उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं. आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रशासकों को पत्र लिखकर 72 घंटे में जवाब मांगकर खलबली मचा दी है. इसी के कारण संस्थान के अधिकारी फिलहाल इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और कैंपस के अंदर अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एंटी रैगिंग सेल को सक्रिय कर दिया है.

Ragging Cases in India
रैगिंग के आंकड़े (कांसेप्ट फोटो)

ऐसे हैं पिछले कुछ सालों के आंकड़े (Ragging Cases with Medical Students)

कहा जाता है कि भारतीय चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में रैगिंग की शिकायतें जरुरत से ज्यादा ही मिलती हैं. जैसा कि हाल ही में एक आधिकारिक आंकड़ों की विज्ञप्ति से स्पष्ट है, जिसमें पता चला है कि शीर्ष चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को वर्ष 2015-16 से अब तक 73 से अधिक रैगिंग की शिकायतें मिली हैं. इन आंकड़ों को देखकर यह समझा जा सकता है कि ये वे शिकायतें हैं जो सीधे एमसीआई के एंटी-रैगिंग सेल के माध्यम से पहुंचीं और इसमें वो घटनाएं नहीं शामिल हैं, जिन्हें पुलिस और मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों द्वारा मौके पर ही दबा दिया जाता है.

एमसीआई के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-16 से 2019-20 बैच तक अब तक मेडिकल काउंसिल के अधिकारियों को कुल 73 शिकायतें मिली थीं. शीर्ष चिकित्सा नियामक को 2018-19 में ऐसी 13 शिकायतें मिली थीं और वर्ष 2017-18 में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इन घटनाओं की 25 शिकायतों में सीनियर्स पर रैगिंग का आरोप लगाया गया था, जिनमें 3 मौत के भी मामले थे. 73 में से रैगिंग की सबसे अधिक 17 शिकायतें यूपी स्थित मेडिकल कॉलेजों से प्राप्त हुयीं थीं.

2017-18 के आंकड़ों के अनुसार यह भी बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, सैफई, इटावा से 2016 से आज तक हर शैक्षणिक वर्ष में रैगिंग की घटनाएं सामने आती रही हैं. वहीं श्रीराम मूर्ति स्मारक आयुर्विज्ञान संस्थान, बरेली से रैगिंग की 3 शिकायतें आई थीं। रैगिंग की घटनाओं के वर्ष 2015-16 में केवल एक मामला सामने आया था. वर्ष 2016-17 में दो मामले सामने आए थे. 2017-18 में केवल एक मामला सामने आया था, जबकि 2018-19 में कोई मामला सामने नहीं आया था. साल 2019-20 में कर्नाटक के मेडिकल कॉलेजों से दो मामले सामने आए थे. अब ताजा मामला पटना में प्रकाश में आया है.

इन आंकड़ों को भी देख सकते हैं कि किस तरह से 2018 से 2021 के बीच इसकी शिकायतों पर कार्रवाइयां भी हुयीं हैं. कई संस्थाओं ने इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ा एक्शन लेकर अपने संस्थान की छवि सुधारने की पहल की है....

Ragging data in India
रैगिंग के आंकड़े

इस घटना के बाद से एक बार फिर से पुरानी घटनाओं की याद ताजा कर दी है, जिनको पढ़ते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आइए डालते हैं इन घटनाओं पर एक नजर (Ragging Cases in India)....

1984 में टीके चिदंबरम राजू अय्यर केस
खबरों के अनुसार 13-14 सितंबर 1984 की रात में 22 वर्षीय टीके चिदंबरम राजू अय्यर की उनके सीनियर्स ने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गाजियाबाद में हत्या कर दी थी. 4 सीनियर स्टूडेंट्स ने उनकी रैगिंग की थी और उसके बाद उसकी मौत की खबर आयी थी.

1996 का Pon Navarasu केस
पोन नवरासु तमिलनाडु के मुथैया मेडिकल कॉलेज ( Muthaiah Medical College in Tamil Nadu) में वर्ष 1996 में मेडिकल प्रथम वर्ष का छात्र था. जिसकी रैगिंग के बाद हत्या के मामले को सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. बताया जाता है कि जब नवरासु ने एक सीनियर के चप्पल के तलवों को चाटने से इनकार कर दिया, तो उसी कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र और मद्रास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के बेटे जॉन डेविड ने कराटे के जरिए उसकी हत्या कर दी. साथ ही उसके शरीर को कई टुकड़ों में काटकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया था. इस चर्चित मामले के बाद तमिलनाडु में पहले रैगिंग विरोधी कानून ( First Anti Ragging Law) को पारित किया गया था.

2002 का अनूप कुमार केस
कानपुर के Institute of Engineering and Technology के मामले में अनूप कुमार को रैगिंग के नाम पर यौन उत्पीड़न का शिकार ( Sexual Harassment in IET Kanpur) होना पड़ा था. इसके साथ ही उसको कई तरह के अपमानजनक कृत्य करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके बाद उसने अपने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले की भी खूब चर्चा हुयी थी और मामले में कॉलेज के ही फाइनल इयर के छात्र विष्णु कुमार सिंह पर आरोप लगा था.

2004 का मोहन कार्तिक त्रिपाठी केस
2004 में मोहन कार्तिक त्रिपाठी ने तमिलनाडु के तांबरम में एसकेआर इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने छात्रावास के कमरे में छत के पंखे से फांसी लगा ली थी. कहा जा रहा था कि रैगिंग की शिकायतों को अनसुना किए जाने के बाद उसने जान दे दी थी. कहा गया था कि उसे मजबूरन अपने ही पेशाब में नहलाकर बेइज्जत करने की कोशिश की गयी थी.

2004 का सुशील कुमार पांडे केस
इसी साल एक और मामले में 18 वर्षीय सुशील कुमार पांडे ने मदन मोहन मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में अपने सीनियर्स के द्वारा निर्वस्त्र परेड कराए जाने के बाद हुए अपमान को सहन न कर पाया और फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

इसे भी देखें : MP: इंदौर, रतलाम के बाद अब जबलपुर में रैंगिंग का मामला, छात्र को निर्वस्त्र कर घुमाया

2005 का सी. अब्राहम केस
इंजीनियरिंग फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट सी अब्राहम ने हैदराबाद स्थित अपने घर पर फांसी लगाकर जान दे दी थी और अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि उसकी पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं रह गयी है. उसके माता-पिता को संदेह था कि उसकी आत्महत्या रैगिंग के कारण हुयी है, क्योंकि वह वहां जाने के पहले ऐसा नहीं सोचता था.

2005 का श्रीधर केस
5 दिसंबर को 18 वर्षीय श्रीधर ने चेन्नई में अपने हॉस्टल के कमरे में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. इस मामले में भी रैगिंग की संभावना जतायी गयी थी.

2005 का अमित सहाय केस
11 अक्टूबर को अमित सहाय ने जालंधर में आ रही ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली थी. वह एनआईटी जालंधर, पंजाब का छात्र था. सुसाइड नोट में उन्होंने जालंधर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नौ सीनियर स्टूडेंट्स पर बेरहमी से रैगिंग करने का आरोप लगाया था.

2005 का कमलेश सरकार केस
जुलाई में 19 वर्षीय कमलेश सरकार ने पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कल्याणी में एक निजी होटल प्रबंधन संस्थान में आत्महत्या कर ली थी. हालांकि शिकायत के बाद भी पुलिस ने रैगिंग का नहीं बल्कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करके जांच पड़ताल की थी.

इसे भी देखें : Ragging In Ratlam: शासकीय मेडिकल कॉलेज रैगिंग मामले में FIR, 7 सिनियर्स पर कार्रवाई और 1 साल के लिए हुए निष्कासित

2006 का एसपी मनोज केस
हैदराबाद में Mahatma Gandhi Institute of Technology के छात्र एसपी मनोज ने कई हफ्तों तक रैगिंग का अपमान झेलने के बाद फांसी लगा ली थी. आत्महत्या के तीन दिन बाद राज्य मानवाधिकार आयोग ने मामले में पहल की जांच पड़ताल कराने के लिए मनोज के माता-पिता और परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी.

2006 का आजाद नायर केस
5 नवंबर को चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) के 22 साल के कैडेट आजाद नायर ने कमरे के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या से पहले उसने अपने भाई को टेलीफोन पर बताया था कि ओटीए में उसकी रैगिंग की जा रही है. उसने अपने पिता पद्मनाभन नायर से भी बचाने की गुहार लगाई थी.

2007 का दुर्गेश शुक्ला केस
18 सितंबर को दुर्गेश शुक्ला ने भोपाल के पॉयनियर कॉलेज में अपने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में सीनियर्स को जिम्मेदार ठहराया था.

2007 का मनजोत सिंह केस
8 अगस्त को एमबीबीएस के छात्र मनजोत सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी. चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में अपने हॉस्टल में रैगिंग के कारण उन्होंने चंडीगढ़ में अपने आवास पर ऐसा किया था.

2007 का चेतन राज केस
20 सितंबर को 18 साल के चेतन राज ने मैसूर में आत्महत्या कर ली थी. उसका शव उसके लॉज रूम की छत से लटका मिला था. उसने पहले ही अपने माता-पिता से शिकायत की थी कि उसके कॉलेज में उसकी रैगिंग की जा रही है.

2009 का अमन काचरू केस
7 मार्च को डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज (Dr Rajendra Prasad Medical College) के फर्स्ट ईयर के छात्र अमन सत्य काचरू (Aman Satya Kachroo) को उसके सीनियर्स ने इस कदर बेरहमी से पीटा कि इससे ब्रेन हेमरेज हो गया. इस घटना में उसकी मौत हो गयी थी. कहा जा रहा था कि उसके सीनियर्स ने उसकी हत्या कर दी थी. हालांकि मौत से ठीक एक दिन पहले आरोपियों के खिलाफ रैगिंग करने की शिकायत दर्ज कराई थी.

2010 का नागेंद्रा एवी केस
25 वर्षीय नागेंद्रा एवी 19 अप्रैल को चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में मृत पाए गए थे. डॉक्टर ने दो महीने पहले ही इस पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान में ज्वाइन किया था. पुलिस ने कहा कि उसने छात्रावास की इमारत से कूदकर जान दे दी, जबकि उसके पिता ने कहा कि उसे धक्का दिया गया था. उसने पिता से कहा था कि एक दिन पहले उसने रैगिंग की शिकायत की थी.

2010 का अजूब अजीत केस
19 वर्षीय अजूब अजीत ने 31 मार्च को तिरुवनंतपुरम में अपने घर में छत के पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. वह साराभाई इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के छात्र थे. उसने अपनी मां से कहा था कि उसकी बुरी तरह रैगिंग की जा रही थी. उसकी शिकायत के बाद भी प्रिंसिपल ने कुछ नहीं किया था.

2010 का सतविंदर कुमार केस
28 साल के सतविंदर कुमार ने 3 मार्च को आत्महत्या कर ली थी. वह एडवांस्ड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, मुंबई का छात्र था. सुसाइड नोट में उसने सात सीनियर्स का नाम लिया है, जिन्होंने उसकी इतनी रैगिंग की थी. वह मिड टर्म एग्जाम देने के बजाय कुरुक्षेत्र के लिए घर चला गया था. घर पहुंचने से पहले ही उसने राजस्थान के झालावाड़ जिले में मालगाड़ी के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली.

2010 का प्रेमलता केस
22 वर्षीय प्रेमलता ने 5 फरवरी को बीएस अब्दुर रहमान क्रीसेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में सल्फ्यूरिक एसिड का सेवन करके आत्महत्या कर ली थी. उसके भाई ने चौथे वर्ष के छात्र 22 वर्षीय योगेश पर रैगिंग करने का आरोप लगाकर शिकायत की थी.

2010 का गौरव सदानंद राउत केस
22 वर्षीय गौरव सदानंद राउत ने 9 फरवरी को नासिक के मराठा विद्या प्रसारक समाज मेडिकल कॉलेज में अपने छात्रावास के कमरे में गला घोंटकर आत्महत्या कर ली थी. उसके पिता ने अपने रूममेट्स मंधर मोंडे और अनिल कावड़े को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था.

2012 का अजमल पीएम
2012 में रैगिंग का एक और चौंकाने वाला मामला तब सामने आया जब 2012 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के 17 वर्षीय छात्र अजमल पीएम (Ajmal PM) को उसके सीनियर्स ने आग के हवाले कर दिया था. छात्र बैंगलोर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था, जहां चार वरिष्ठों के एक समूह ने उसकी रैगिंग की थी और उसके बाद उसे जलाकर मार डाला था.

2014 का आकाश अग्रवाल केस
2014 में कलकत्ता इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल टेक्नोलॉजी (Calcutta Institute of Pharmaceutical Technology) का एक फार्मेसी छात्र कोलकाता में रेलवे पटरियों के पास मृत पाया गया था. रिपोर्टों से पता चला है कि 20 वर्षीय युवक को कॉलेज में उसके सीनियर्स के द्वारा रैगिंग करके पीटा गया था और लाश को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था.

2015 का कृष्णा केस
चेन्नई में 19 साल के कृष्णा ने नवंबर के महीने में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उसने अपनी डायरी में लिखा कि उसे तृतीय वर्ष के छात्र शेखर के द्वारा बार बार प्रताड़ित किया जा रहा है. इस मामले में जब किसी ने उसकी मदद नहीं की तो उसने आत्महत्या कर ली.

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Last Updated : Sep 15, 2022, 6:41 AM IST
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