नई दिल्ली : भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल समुद्री जेट विमानों का करार होने वाला है. इसका एयर वर्जन भारत के पास पहले ही पहुंच चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा से पहले ही रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इसे मंजूरी प्रदान कर दी थी. इसकी कीमत क्या होगी, यह तय नहीं हुआ है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह एयर वर्जन से सस्ती होगी. इस डील को भी दो सरकारों के बीच ही मंजूरी प्रदान की गई है.
रक्षा खरीद परिषद (डिफेंस एक्विजिशन काउंसल) ने 26 राफेल मैरीन फाइटर जेट्स की खरीद को मंजूरी प्रदान की है. इसके साथ ही तीन स्कॉर्पियन सबमरीन खरीद को भी हरी झंडी प्रदान की गई है. इस परिषद की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं. रक्षा सौदों के बड़े डील की अंतिम मंजूरी डीएसी से ही होती है.
डीएसी ने इस सौदे को लकर एओएन (एक्सप्टेंस ऑफ नेसेसिटी) पर मुहर लगा दी. हालांकि, इसकी कीमत क्या होगी और इस खरीद की अन्य शर्तों पर बाद में फैसला होगा. यह समझौता फ्रांस की सरकार के साथ होगा. पूरा समझौता इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट के तहत किया जा रहा है.
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VIDEO | "Rafale M fighter jets will boost Indian Navy's capabilities vastly. It will allow Indian Navy to increase its influence from the Horn of Africa to Indo-Pacific region," says defence expert Major General (retd) PK Sehgal on India's deal to buy 26 Rafale M jets from… pic.twitter.com/UqFwobdnOB
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राफेल जेट (एयर वर्जन) और राफेल मैरीन वर्जन में अंतर - राफेल फाइटर जेट वर्जन का नेवी वर्जन राफेल मैरीन फाइटर्स कहलाता है. यहां पर सरकार 26 फाइटर को लेकर समझौता करेगी. इसका निर्माण फ्रांस की दसॉ एविएशन ने किया है. एयर वर्जन में दो एडवांस इंजिन लगे हैं. फाइटर जेट एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकता है. यह आधुनिकतम हथियारों से लैस है. इसमें एयर टू एयर मार करने वाली मिसाइलें, एयर टू सरफेस पर मार करने वाली हैमर स्मार्ट वेपन सिस्टम, स्काल्प क्रूज मिसाइल फिट हैं. साथ ही लक्ष्य की सटीक पहचान सुनिश्चित करने के लिए इसमें आधुनिकतम सेंसर और रडार लगे हुए हैं. यह जेट असाधारण रूप से हाई पेलोड ले जा सकता है. इसमें भारतीय परिस्थिति और जरूरत के मुताबिक कुछ परिवर्तन किए गए हैं. इसे लक्ष्य के अनुसार तैनात किया जा सकता है.
मैरीन वर्जन जेट वर्जन से थोड़ा अलग - इसे समुद्र में एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट किया जाएगा. इसमें फोल्डेबल विंग्स, कैरियर पर लैंडिंग करने के लिए लंबे एयरफ्रेम और एक टेल हुक लगा होगा. फ्रेंच कंपनी सफरान के अनुसार नोज और लैंडिंग गियर को एयरक्राफ्ट कैरियर के अनुसार मॉडिफाइ किया गया है. राफेल एम नोज गियर में जंप स्ट्रट तकनीक फिट किया गया है. यह एक शॉक ऑब्जर्बर की तरह कार्य करता है. पॉजिशनिंग के समय यह एंगल बदलकर इससे हमला किया जा सकता है. यह विमान भी अपने साथ अलग-अलग तरह के मिसाइल और हथियार को ले जा सकता है. इसमें एंटी शिप मिसाइल, एयर टू सरफेस पर मार करने वाली मिसाइलें और मैरीटाइम ऑपरेशंस किए जा सकते हैं.
- नेवी वर्जन में जहाज के डेक पर जेट की लैंडिंग करानी होती है, इसलिए इसकी ट्रेनिंग का तरीका थोड़ा अलग होता है.
- नेवी वर्जन में एंटी शिप मिसाइल और एंटी सबमरीन मिसाइल प्रमुख होते हैं.
- विमान को खारे पानी से बचाने के लिए स्पेशल कोटिंग की जाती है.
- एयर वर्जन के मुकाबले इसकी साइज छोटी होती है. इसका वजन भी उसके मुकाबले कम होता है.
- जगह बचाने के लिए फोल्डिंग विंग्स फिट किया जाता है.
अभी नेवी के पास क्या है - नेवी के पास अभी मिग 29-के है. इसे आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर की मदद से ले जाया जाता है. यह रूसी फाइटर एयरक्राफ्ट है. यह अधिकतम दो हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. यह 65 हजार फीट ऊंचाई तक पहुंच सकता है. इनमें से कई मिग रिटायर होने वाले हैं. नेवी के पास अभी दो ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. भारत स्वदेशी ट्वीन इंजिन डेक बेस्ड फाइटर पर काम कर रहा है. इसे डीआरडीओ के तहत एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी तैयार कर रहा है.
राफेल का नेवी वर्जन क्यों - मात्र दो एयरक्राफ्ट नेवी के फाइटर जेट डील की शर्तों पर खरा उतर पाया. बोइंग का एफ/ए-18 ई/एफ सुपर हॉर्नेट और डसॉल्ट एविएशन का राफेल-एम. राफेल को यहां पर थोड़ी बढ़त इसलिए मिली, क्योंकि उसका एयर वर्जन हमारे पास पहले से है. साथ ही स्पेयर्स पार्टस भी बहुत कुछ कॉमन हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 तक फ्रांस 192 राफेल का ऑर्डर दे चुका है. इसमें 12 एयरक्राफ्ट भी शामिल हैं, जो ग्रीक को बेचा गया. इनमें से 153 की डिलीवरी हो चुकी है. अभी 30 और राफेल का ऑर्डर इसी साल दिया जाना है. यह डिलीवरी क्रोएशिया को की जाएगी.
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