हैदराबाद : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमना ने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव को देश में आर्थिक सुधारों का जनक बताते हुए शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता के शासन के दौरान देश में सुधारों की शुरुआत हुई.
न्यायमूर्ति रमना ने यहां 'अंतरराष्ट्रीय पंचाट और मध्यस्थता केंद्र' को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि विवाद का समाधान बातचीत और मध्यस्थता के जरिये करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि शहर एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के लिए बेहतर है और केंद्र के माध्यम से विवाद समाधान की लागत अन्य देशों की तुलना में बहुत सस्ती होगी.
उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं देश में आर्थिक सुधारों के जनक कोई और नहीं बल्कि पी वी नरसिम्हा राव, तेलंगाना बिड्डा (तेलंगाना के बेटे) हैं. उनके नेतृत्व में भारत में पहली बार आर्थिक सुधार शुरू हुए.'
उन्होंने कहा, 'यह (पंचाट और मध्यस्थता) कोई नई बात नहीं है जिसे हमने नया रूप दिया है. आप जानते हैं कि भारतीय संस्कृति में हम अपने सभी विवादों को मध्यस्थता और बातचीत और सुलह के माध्यम से सुलझाते हैं. हर दिन हम अपने बच्चों, भाइयों और दोस्तों के साथ बातचीत करते हैं.'
न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र यहां मध्यस्थता केंद्र के आजीवन न्यासी होंगे और वे भविष्य में कुछ और सदस्यों को शामिल करेंगे.
उन्होंने कहा कि पहले विदेशी निवेशक भारतीय न्यायपालिका में विवाद समाधान प्रक्रिया में लगने वाले समय के बारे में आशंकित थे और उन्होंने कहा कि 1996 में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के अस्तित्व में आने के बाद, अदालत से बाहर प्रक्रियाओं में तेजी आनी शुरू हो गई है.
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उन्होंने राज्य सरकार और तेलंगाना उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली से कहा कि वे कंपनियों को पंचाट और मध्यस्थता के माध्यम से अपने विवादों को निपटाने के लिए प्रोत्साहित करें.
प्रधान न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को उनके प्रस्ताव पर शीघ्र कार्रवाई करने और केंद्र शुरू करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए धन्यवाद दिया.
(पीटीआई-भाषा)