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पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों ने CJI बोबडे को पत्र लिख उठाया किसानों का मुद्दा

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Published : Jan 4, 2021, 6:58 PM IST

पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज के छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को किसानों के मुद्दे पर पत्र लिखा है. उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर वाटर कैनन, आंसू गैसों और लाठियों का इस्तेमाल रोकने की मांग की है. साथ ही हरियाणा सरकार के खिलाफ एक याचिका भी दायर की है, जिसपर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है.

मुख्य न्यायाधीश
सीजेआई

नई दिल्ली : पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज के छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को एक पत्र लिखा. छात्रों ने हरियाणा पुलिस के खिलाफ जांच कराने और उन्हें और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की अपील की कि निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं.

पत्र में लिखा कि 'दो महीने तक अपने राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों की आवाज नहीं सुनी गई तो किसानों ने राजधानी दिल्ली का रुख किया. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों (किसानों) की पिटाई की गई. किसानों पर वाटर कैनन, आंसू गैसों और लाठियों का इस्तेमाल किया गया. देश के सर्वोच्च कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के लिए आवाज उठाने पर ऐसा किया गया.'

याचिका में छात्रों ने तर्क दिया कि इतनी भयावहता का सामना करने के बावजूद किसान अभी भी शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वह कानून व्यवस्था का सम्मान कर रहे हैं लेकिन सरकार अभी भी अड़ी हुई है. छात्रों ने अपील की कि केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह किसानों की सुरक्षा के साथ बुनियादी जरूरतें पूरी करने की सुविधा उपलब्ध कराएं. धरना दे रहे किसानों के लिए मोबाइल टॉयलेट्स लगवाए जाएं.

पढ़ें- किसान आंदोलन : 40वें दिन भी गतिरोध बरकरार, 8 जनवरी को अगली वार्ता

छात्रों ने आंदोलन को लेकर फर्जी खबरे चलाने वाले, पूरे मामले की गलत व्याख्या कर ध्रुवीकरण करने वाले सनसनीखेज मीडिया चैनलों पर भी कार्रवाई की मांग की है. हरियाणा सरकार के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है.

नई दिल्ली : पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज के छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को एक पत्र लिखा. छात्रों ने हरियाणा पुलिस के खिलाफ जांच कराने और उन्हें और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की अपील की कि निर्दोष किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं.

पत्र में लिखा कि 'दो महीने तक अपने राज्य में शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों की आवाज नहीं सुनी गई तो किसानों ने राजधानी दिल्ली का रुख किया. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों (किसानों) की पिटाई की गई. किसानों पर वाटर कैनन, आंसू गैसों और लाठियों का इस्तेमाल किया गया. देश के सर्वोच्च कानून द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के लिए आवाज उठाने पर ऐसा किया गया.'

याचिका में छात्रों ने तर्क दिया कि इतनी भयावहता का सामना करने के बावजूद किसान अभी भी शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वह कानून व्यवस्था का सम्मान कर रहे हैं लेकिन सरकार अभी भी अड़ी हुई है. छात्रों ने अपील की कि केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह किसानों की सुरक्षा के साथ बुनियादी जरूरतें पूरी करने की सुविधा उपलब्ध कराएं. धरना दे रहे किसानों के लिए मोबाइल टॉयलेट्स लगवाए जाएं.

पढ़ें- किसान आंदोलन : 40वें दिन भी गतिरोध बरकरार, 8 जनवरी को अगली वार्ता

छात्रों ने आंदोलन को लेकर फर्जी खबरे चलाने वाले, पूरे मामले की गलत व्याख्या कर ध्रुवीकरण करने वाले सनसनीखेज मीडिया चैनलों पर भी कार्रवाई की मांग की है. हरियाणा सरकार के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है.

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