हैदराबाद: आज का दौर सूचना क्रांति का दौर है और इसका श्रेय उस मोबाइल फोन को जाता है. जिसपर आज हमारे दिन का बड़ा हिस्सा फोन पर बीतता है. इसमें फोन पर बात करने से लेकर, इंटरनेट, सोशल मीडिया का इस्तेमाल शामिल है. लेकिन अगर नेटवर्क ना हो तो हर मोबाइल सिर्फ एक डिब्बा है. बड़े-बड़े शहरों में भी लोग मोबाइल नेटवर्क की परेशानी झेलते हैं, ऐसे में गांवों और खासकर पहाड़ी या दूर-दराज के इलाकों का हाल क्या होगा.
सवाल है कि भारत के कितने गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल में सरकार की तरफ से दिया गया. जिसके तहत देश के मौजूदा 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की सूची जारी कर बताया गया कि 2011 की जनगणना के हिसाब से किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में कितने गांव थे और साल 2020 में कितने गांवों तक मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा पहुंची.
इस सूची के हिसाब से देश के 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से चंडीगढ़, दादर-नगर हवेली और दमन दीव, दिल्ली, पुडुच्चेरी के सभी गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है. जबकि बाकी 4 केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, अंडमान और निकोबार में कई गांवों तक अब भी मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं पहुंची है. जबकि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के 6 में से सिर्फ एक गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से महरूम है.
इस सूची के मुताबिक राज्यों की बात करें तो केरल, हरियाणा, पंजाब का हर गांव मोबाइल कनेक्टिविटी से लैस है. 2011 की जनगणना के हिसाब से केरल में कुल 1017, हरियाणा में 6642 और पंजाब में 12,168 गांव हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में कुल 97813 गांव हैं जिनमें से 327 गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी के दायरे में लाना बाकी है.
गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी के सवाल पर लोकसभा में सरकार की तरफ से जो जवाब मिला. उसके हिसाब से साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में कुल 5,97,618 गांव थे. जिनमें से साल 2020 तक 5,72,551 गांव मोबाइल कनेक्टिविटी के दायरे में थे. जबकि 25,067 गांवों को अब भी मोबाइल कनेक्टिविटी का इंतजार है.
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