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पंजाब सरकार ने लद्दाख में शहीद सैनिकों के भाइयों को नौकरी देने के नियमों में ढील दी

पंजाब सरकार ने नियमों में बदलाव कर गलवान घाटी में शहीद हुए तीन सैनिकों के विवाहित भाइयों को नौकरी देने के लिए नियमों में बुधवार को रियायत दी.

अमरिंदर सिंह
अमरिंदर सिंह
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Published : Nov 18, 2020, 7:02 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने इस साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए तीन सैनिकों के विवाहित भाइयों को नौकरी देने के लिए नियमों में बुधवार को रियायत दी. पंजाब कैबिनेट ने शहीद हुए जवानों के विवाहित भाई-बहनों को राज्य सेवाओं में नौकरी प्रदान करने के लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी. दो सैनिक चीनी सैनिकों के साथ लड़ते हुए शहीद हुए, जबकि तीसरे सैनिक की वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब एक की नदी के नजदीक गश्त के दौरान जान गई थी.

अमरिंदर सिंह सरकार ने सिपाही गुरतेज सिंह, सिपाही गुरबिंदर सिंह और लांस नायक सलीम खान द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में यह निर्णय लिया है. मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल परिवार के आश्रित सदस्य या पत्नी/बेटा/बेटी नौकरी के लिए पात्र थे, लेकिन इन तीन जवानों के मामले में, चूंकि परिवार का कोई भी आश्रित सदस्य मौजूद नहीं था, इसलिए सरकार ने अपवाद बनाने और उनके शादीशुदा भाइयों को नौकरी देने का फैसला किया.

शादीशुदा भाइयों ने किया था नौकरी के लिए आवेदन

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सिपाही गुरतेज सिंह के भाई गुरप्रीत सिंह, सिपाही गुरबिंदर सिंह के भाई गुरप्रीत सिंह और लांस नायक सलीम खान के भाई नियामत अली ने युद्ध नायकों के आश्रित सदस्यों की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आने के बावजूद राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. मौजूदा नीति के तहत आश्रित सदस्य में विधवा या पत्नी, या आश्रित बेटा या आश्रित अविवाहित बेटी या गोद लिया गया आश्रित बेटा या गोद ली गई अविवाहित बेटी शामिल है.

पढ़ें-जम्मू-कश्मीर : हिमस्खलन की चपेट में आई सेना की चौकी, एक जवान शहीद

चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने इस साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए तीन सैनिकों के विवाहित भाइयों को नौकरी देने के लिए नियमों में बुधवार को रियायत दी. पंजाब कैबिनेट ने शहीद हुए जवानों के विवाहित भाई-बहनों को राज्य सेवाओं में नौकरी प्रदान करने के लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी. दो सैनिक चीनी सैनिकों के साथ लड़ते हुए शहीद हुए, जबकि तीसरे सैनिक की वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब एक की नदी के नजदीक गश्त के दौरान जान गई थी.

अमरिंदर सिंह सरकार ने सिपाही गुरतेज सिंह, सिपाही गुरबिंदर सिंह और लांस नायक सलीम खान द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान के सम्मान में यह निर्णय लिया है. मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल परिवार के आश्रित सदस्य या पत्नी/बेटा/बेटी नौकरी के लिए पात्र थे, लेकिन इन तीन जवानों के मामले में, चूंकि परिवार का कोई भी आश्रित सदस्य मौजूद नहीं था, इसलिए सरकार ने अपवाद बनाने और उनके शादीशुदा भाइयों को नौकरी देने का फैसला किया.

शादीशुदा भाइयों ने किया था नौकरी के लिए आवेदन

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सिपाही गुरतेज सिंह के भाई गुरप्रीत सिंह, सिपाही गुरबिंदर सिंह के भाई गुरप्रीत सिंह और लांस नायक सलीम खान के भाई नियामत अली ने युद्ध नायकों के आश्रित सदस्यों की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आने के बावजूद राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. मौजूदा नीति के तहत आश्रित सदस्य में विधवा या पत्नी, या आश्रित बेटा या आश्रित अविवाहित बेटी या गोद लिया गया आश्रित बेटा या गोद ली गई अविवाहित बेटी शामिल है.

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