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पंजाब में आप सरकार से भयभीत डॉक्टर ने दिया इस्तीफा - undefined

आम आदमी पार्टी की पंजाब में सरकार बने अभी एक माह भी नहीं हुआ कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों में भय का माहौल बन गया है. इसी भय में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा खानूजा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके साथ ही उसने सरकार को सलाह दी है कि पहले सरकार अस्पताल मे आधारभुत सुविधाएं मुहैया कराए फिर डॉक्टरों को धमकाए.

डॉ. प्रज्ञा खानूजा
डॉ. प्रज्ञा खानूजा
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Published : Mar 26, 2022, 8:22 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब में नवगठित आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार एक्शन मोड में दिख रही है. पंजाब के सीएम भगवंत मान और केजरीवाल जहां पंजाब के विधायकों, मंत्रियों और प्रशासनिक पदों पर आसीन अधिकारियों को किसी भी तरह से उपेक्षा न करने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं आप के नवनिर्वाचित विधायक भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी विभागों में छापेमारी कर रहे हैं.

इन दिनों एक डॉक्टर का बयान मीडिया की सुर्खियों में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आम आदमी पार्टी की सख्ती के चलते डॉक्टर ने नौकरी छोड़ दी. जानकारी के अनुसार फतेहगढ़ चुरिया में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा खानूजा ने इस्तीफा दे दिया है. इस मौके पर उन्होंने कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को भी संबोधित किया है. डॉ. प्रज्ञा ने भगवंत मान सरकार से कहा है कि सरकार को पहले व्यवस्था में सुधार करना चाहिए था.उन्होंने कहा कि सरकार को अस्पतालों में दवाएं और अन्य सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए थीं और फिर सरकार को ऐसे सख्त कदम उठाने चाहिए थे. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि पंजाब में सरकार द्वारा बनाए गए माहौल को देखकर वह डर गईं जिससे उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया. उसने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि उसकी दो बेटियां हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल ने कोरोना काल के प्रतिबंध को वापस ले लिया और अब बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने (drop and pick up) की जिम्मेदारी उनकी हैं. सरकार के बारे में बात करते हुए कहा कि नई सरकार ने सुबह 8 बजे स्कूल पहुंचने और 2 बजे तक स्कूल में शिक्षकों को रहने के सख्त आदेश जारी किए. जिससे बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने में काफी परेशानी हो रही थी.

उन्होंने कहा कि नौकरी छोड़ने का निर्णय कठिनाइयों के कारण लिया गया क्योंकि बच्चों को स्कूल से लाना और ले जाना बहुत मुश्किल था और दूसरी ओर सरकार की कठोरता का डर था. इस मौके पर उन्होंने सरकार को सलाह दी कि सरकार सत्ता में आते ही पत्र जारी करने लगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि किसी से जोर से बात नहीं करनी चाहिए. अस्पताल के बाहर की दवा नहीं लिखी जानी चाहिए और किसी को रेफर नहीं किया जाना चाहिए. डॉक्टर ने कहा कि इन सभी घोषणाओं से पहले सरकार को डॉक्टरों को अस्पताल में होने वाली समस्याओं के बारे में सुनना चाहिए था.उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवंत मान सरकार को पहले अस्पतालों में डॉक्टरों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए थी फिर उसके बाद ही उसे सख्त रुख अपनाना चाहिए. हालांकि उनके साथ इस तरह के व्यवहार नहीं हुए परंतु अन्य डॉक्टरों को ऐसे व्यवहार का सामना करना पड़ा जिससे उनमें डर पैदा हो गया था.उन्होंने कहा कि सरकार पहले व्यवस्था की खामियों को दूर करे और फिर सख्त आदेश जारी करे. उसने कहा कि उसने पहले ही फैसला कर लिया था कि अगर किसी ने उससे सवाल किया तो वो नौकरी छोड़ देगी. सूत्रों के मुताबिक एसएमओ ने कहा कि डॉक्टर ने निजी और घरेलू कारणों से इस्तीफा दिया है.

यह भी पढ़ें-पंजाब सरकार का फरमान, 26 मार्च तक सरकारी बंगला खाली करें पूर्व मंत्री

चंडीगढ़: पंजाब में नवगठित आम आदमी पार्टी की सरकार लगातार एक्शन मोड में दिख रही है. पंजाब के सीएम भगवंत मान और केजरीवाल जहां पंजाब के विधायकों, मंत्रियों और प्रशासनिक पदों पर आसीन अधिकारियों को किसी भी तरह से उपेक्षा न करने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं आप के नवनिर्वाचित विधायक भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी विभागों में छापेमारी कर रहे हैं.

इन दिनों एक डॉक्टर का बयान मीडिया की सुर्खियों में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आम आदमी पार्टी की सख्ती के चलते डॉक्टर ने नौकरी छोड़ दी. जानकारी के अनुसार फतेहगढ़ चुरिया में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रज्ञा खानूजा ने इस्तीफा दे दिया है. इस मौके पर उन्होंने कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को भी संबोधित किया है. डॉ. प्रज्ञा ने भगवंत मान सरकार से कहा है कि सरकार को पहले व्यवस्था में सुधार करना चाहिए था.उन्होंने कहा कि सरकार को अस्पतालों में दवाएं और अन्य सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए थीं और फिर सरकार को ऐसे सख्त कदम उठाने चाहिए थे. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि पंजाब में सरकार द्वारा बनाए गए माहौल को देखकर वह डर गईं जिससे उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया. उसने अपने परिवार के बारे में बताते हुए कहा कि उसकी दो बेटियां हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल ने कोरोना काल के प्रतिबंध को वापस ले लिया और अब बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने (drop and pick up) की जिम्मेदारी उनकी हैं. सरकार के बारे में बात करते हुए कहा कि नई सरकार ने सुबह 8 बजे स्कूल पहुंचने और 2 बजे तक स्कूल में शिक्षकों को रहने के सख्त आदेश जारी किए. जिससे बच्चों को स्कूल छोड़ने और स्कूल से लाने में काफी परेशानी हो रही थी.

उन्होंने कहा कि नौकरी छोड़ने का निर्णय कठिनाइयों के कारण लिया गया क्योंकि बच्चों को स्कूल से लाना और ले जाना बहुत मुश्किल था और दूसरी ओर सरकार की कठोरता का डर था. इस मौके पर उन्होंने सरकार को सलाह दी कि सरकार सत्ता में आते ही पत्र जारी करने लगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार कहा है कि किसी से जोर से बात नहीं करनी चाहिए. अस्पताल के बाहर की दवा नहीं लिखी जानी चाहिए और किसी को रेफर नहीं किया जाना चाहिए. डॉक्टर ने कहा कि इन सभी घोषणाओं से पहले सरकार को डॉक्टरों को अस्पताल में होने वाली समस्याओं के बारे में सुनना चाहिए था.उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवंत मान सरकार को पहले अस्पतालों में डॉक्टरों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए थी फिर उसके बाद ही उसे सख्त रुख अपनाना चाहिए. हालांकि उनके साथ इस तरह के व्यवहार नहीं हुए परंतु अन्य डॉक्टरों को ऐसे व्यवहार का सामना करना पड़ा जिससे उनमें डर पैदा हो गया था.उन्होंने कहा कि सरकार पहले व्यवस्था की खामियों को दूर करे और फिर सख्त आदेश जारी करे. उसने कहा कि उसने पहले ही फैसला कर लिया था कि अगर किसी ने उससे सवाल किया तो वो नौकरी छोड़ देगी. सूत्रों के मुताबिक एसएमओ ने कहा कि डॉक्टर ने निजी और घरेलू कारणों से इस्तीफा दिया है.

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