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बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि पर सर्वदलीय बैठक, सीएम चन्नी बोले- हम करेंगे विरोध

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि को लेकर सर्वदलीय बैठक में कहा कि हम इसका विरोध करेंगे. क्योंकि यह पंजाब और पंजाबियों से संबंधित मामला है, कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.

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Published : Oct 25, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 7:22 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि को संघीय ढांचे पर प्रहार बताया है. उन्होंने इस मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा कि हम सभी इसका विरोध करेंगे.

सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि यह संघीय ढांचे में हमारे अधिकारों पर कुठाराघात की तरह है. पंजाब में सभी राजनीतिक दल केंद्र से अधिसूचना वापस लेने की लड़ाई में एक साथ आएंगे. सभी दलों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया कि इस अधिसूचना को (केंद्र सरकार द्वारा) वापस लिया जाए.

पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि पर सर्वदलीय बैठक की और कहा कि सभी दलों ने कहा कि केंद्र सरकार अगर इसे वापस नहीं लेती है तो पार्टियों ने फैसला किया कि इस पर विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.

केंद्र की नई अधिसूचना

केंद्र सरकार ने हाल ही में बीएसएफ कानून में संशोधन किया था ताकि बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किमी के बदले 50 किमी के भीतर तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने का अधिकार मिल सके.

सिद्धू ने भी किया विरोध

पंजाब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को लेकर केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि वह राज्य के भीतर राज्य बनाकर संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है.

सिद्धू ने बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के साथ ही पंजाब के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की तथा राज्य में उत्पीड़न, झूठे मामलों, मनमाने तरीके से और अवैध गिरफ्तारी की आशंका भी जताई.

सिद्धू ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर केंद्र पर निशाना साधा. वह बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लिया.

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कई मामले हैं जहां बीएसएफ ने गोलीबारी की घटनाओं के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना नहीं दी. पिछले पांच साल में बंगाल सरकार ने बीएसएफ पर न्यायेतर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कुल 240 मामले, न्यायेतर सजा के 60 मामले और जबरन लापता करने के आठ मामले दर्ज किए थे.

यह भी पढ़ें-श्रीनगर में बोले शाह- कश्मीर के युवाओं को किया जा रहा गुमराह, 70 साल तक रखा अधिकारों से वंचित

सिद्धू ने कहा कि इनमें से 33 मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पीड़ितों या उनके परिजनों को मुआवजे की सिफारिश की. अगर यूपी पुलिस प्रियंका गांधी जी को बिना किसी वैध कारण के 60 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रख सकती है, तो बीएसएफ द्वारा हिरासत में लिए जाने पर किसी आम व्यक्ति की गारंटी कौन लेगा.

भाजपा छोड़ सभी पार्टियां एकजुट

भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, लोक इंसाफ पार्टी और अन्य दलों के प्रतिनिधि सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए. सिद्धू ने ट्वीट किया कि केंद्र राज्य के अंदर राज्य बनाकर देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है, बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल, सीमा की क्या परिभाषा है? 50 किमी ?? लोक व्यवस्था, जो लोक शांति और सुरक्षा का प्रतीक है, मुख्य रूप से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि को संघीय ढांचे पर प्रहार बताया है. उन्होंने इस मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा कि हम सभी इसका विरोध करेंगे.

सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि यह संघीय ढांचे में हमारे अधिकारों पर कुठाराघात की तरह है. पंजाब में सभी राजनीतिक दल केंद्र से अधिसूचना वापस लेने की लड़ाई में एक साथ आएंगे. सभी दलों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया कि इस अधिसूचना को (केंद्र सरकार द्वारा) वापस लिया जाए.

पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि पर सर्वदलीय बैठक की और कहा कि सभी दलों ने कहा कि केंद्र सरकार अगर इसे वापस नहीं लेती है तो पार्टियों ने फैसला किया कि इस पर विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.

केंद्र की नई अधिसूचना

केंद्र सरकार ने हाल ही में बीएसएफ कानून में संशोधन किया था ताकि बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किमी के बदले 50 किमी के भीतर तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने का अधिकार मिल सके.

सिद्धू ने भी किया विरोध

पंजाब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को लेकर केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि वह राज्य के भीतर राज्य बनाकर संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है.

सिद्धू ने बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के साथ ही पंजाब के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की तथा राज्य में उत्पीड़न, झूठे मामलों, मनमाने तरीके से और अवैध गिरफ्तारी की आशंका भी जताई.

सिद्धू ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर केंद्र पर निशाना साधा. वह बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में लिया.

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कई मामले हैं जहां बीएसएफ ने गोलीबारी की घटनाओं के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना नहीं दी. पिछले पांच साल में बंगाल सरकार ने बीएसएफ पर न्यायेतर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कुल 240 मामले, न्यायेतर सजा के 60 मामले और जबरन लापता करने के आठ मामले दर्ज किए थे.

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सिद्धू ने कहा कि इनमें से 33 मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पीड़ितों या उनके परिजनों को मुआवजे की सिफारिश की. अगर यूपी पुलिस प्रियंका गांधी जी को बिना किसी वैध कारण के 60 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रख सकती है, तो बीएसएफ द्वारा हिरासत में लिए जाने पर किसी आम व्यक्ति की गारंटी कौन लेगा.

भाजपा छोड़ सभी पार्टियां एकजुट

भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी पार्टी, लोक इंसाफ पार्टी और अन्य दलों के प्रतिनिधि सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए. सिद्धू ने ट्वीट किया कि केंद्र राज्य के अंदर राज्य बनाकर देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है, बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल, सीमा की क्या परिभाषा है? 50 किमी ?? लोक व्यवस्था, जो लोक शांति और सुरक्षा का प्रतीक है, मुख्य रूप से राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.

Last Updated : Oct 25, 2021, 7:22 PM IST
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