नई दिल्ली: एक तरफ पंजाब को लेकर कांग्रेस में सियासी घमासान चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शनिवार को पंजाब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पदाधिकारियों के साथ गहन बैठक की. बैठक में तमाम सियासी मुद्दों पर बातचीत की गई. इन्हीं मुद्दों पर 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना ने पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा से खास बातचीत की. पेश है कुछ प्रमुख अंश...
अश्विनी शर्मा ने कांग्रेस में चल रही सियासी उठापटक को कांग्रेस की अंदरूनी कलह बताते हुए कहा कि कांग्रेस का जनाधार खत्म हो चुका है. जिस तरह के आरोप कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी पर लगाया है या कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक-दूसरे पर लगाए हैं ये अपने आप में बेहद गंभीर बात है.
जनता को ठग रही कांग्रेस
कहा कि कांग्रेस में शुरू से ही यह घमासान चल रहा है, लेकिन इसमें अगर कोई ठगा जा रहा है तो वो है प्रदेश की जनता. साल 2022 में पंजाब में राज्य के चुनाव आने वाले हैं और उस पर जनता कांग्रेस का हिसाब कर देगी. भारतीय जनता पार्टी इस बार चुनाव में अकेले जाने के सवाल पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष शर्मा का कहना है कि बीजेपी ने पंजाब के साथ-साथ पूरे देश में बहुत काम किया है.
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केंद्र सरकार लगातार पंजाब का विशेष ध्यान दे रही है. काफी फंड भी पंजाब के लिए आवंटित किए गए हैं और यह पंजाब प्रदेश की जनता देख रही है और बीजेपी अपने बल पर चुनाव लड़ेगी भी और जीतेगी.
किसानों के मुद्दे पर हो रही राजनीति
अकाली दल से पूर्व में रहे गठबंधन और अब अलगाव के सवाल पर अश्विनी शर्मा का कहना है कि अकाली दल भले ही भारतीय जनता पार्टी के साथ न हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी उसका कोई नुकसान नहीं है. अकाली दल द्वारा मानसून सत्र में लाए जाने वाले स्थगन प्रस्ताव पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर राजनीति की जा रही है. केंद्र सरकार ने किसानों के हित में तीनों कृषि बिलों पारित किया है. इससे पूरे देश के किसान खुश हैं लेकिन एक तबका है जो इस पर राजनीति कर रहा है.
विपक्षी कर रहे साजिश
किसानों के आंदोलन पर अश्विनी शर्मा का कहना है कि ये जो धरना-प्रदर्शन चल रहा है. यह किसान आंदोलन से ज्यादा राजनीति है. सीधे-सीधे उन्होंने इस आंदोलन पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि आने वाले साल 2022 के विधानसभा चुनाव पर किसान आंदोलन का कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस आंदोलन को 2022 तक जानबूझकर जिंदा रखने की विपक्षी पार्टियां साजिश कर रही हैं.