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Punjab Election: सरहद पर बसा वह गांव जहां न बिजली न शौचालय, तीनों ओर नदी, एक तरफ पाकिस्तान - गांव कालूवाल की कहानी

पंजाब विधानसभा चुनाव (punjab assembly elections) में हम आपको भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे कालूवाला गांव की सैर कराते हैं जिसके एक ओर पाकिस्तान है और तीन तरफ नदी (Pakistan is on one side and river on three sides) है. यहां से शहर जाने के लिए बस नाव ही सहारा है. बीएसएफ भी शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे तक रास्ता बंद कर देती है और लोग उस समय भारत से खुद को कटा हुआ महसूस करते हैं. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

Punjab Assembly
पंजाब चुनाव
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Published : Feb 8, 2022, 10:51 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 11:00 PM IST

फिरोजपुर : पंजाब में चुनावी माहौल दिन पर दिन गर्म होता जा रहा है. तमाम राजनीतिक दल, लोगों को रिझाने के लिए अलग-अलग एजेंडा लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं. कोई 11 सूत्री कार्यक्रम लेकर आ रहा है तो कोई पंजाब मॉडल की बात कर रहा है लेकिन इन सबके बीच पंजाब में बसे लाखों गांवों का क्या हाल है, किसी से छिपा नहीं है. ऐसे ही एक गांव में ईटीवी भारत पहुंचा जिसके एक तरफ पाकिस्तान है, तीन तरफ नदी से घिरा हुआ है. यहां से शहर तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता नाव है. देश की आजादी के बाद भी यहां पुल नहीं बन सका. जिससे इन गांवों के निवासियों को सैकड़ों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आइए विस्तार से बताते हैं पंजाब के फिरोजपुर में बसे गांव कालूवाल की कहानी है.

बेशक, देश को स्वतंत्र हुए सात दशक से अधिक समय बीत चुका है लेकिन आज भी कुछ सीमावर्ती गांवों में जनजीवन मुश्किलों से भरा है. फिरोजपुर की सीमा पर कालूवाला गांव जो 3 तरफ सतलुज नदी से और एक तरफ पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है. इस गांव के लोगों को अपनी जरूरत का सामान लेने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है. इस गांव में कोई अस्पताल, डिस्पेंसरी या दुकान नहीं है. पिछले साल एक सरकारी स्कूल बनाया गया था लेकिन इसमें कोई शिक्षक नहीं है. लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए नाव से नदी पार करनी पड़ती है. बीएसएफ भी शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे तक मार्ग बंद कर देती है और लोग उस समय भारत से खुद को कटा हुआ महसूस करते हैं और किसी आपात स्थिति के लिए देर रात नदी पार करने के लिए लोगों को बीएसएफ से विशेष मंजूरी लेनी पड़ती है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

फिरोजपुर पाकिस्तान सीमा से सटा एक गांव है और तीन तरफ से सतलुज नदी से घिरा हुआ है, जहां 70 परिवार बसे हुए हैं. चौथी तरफ पाक सीमा लगती है. आबादी महज चार सौ है. सात दशक से शिक्षा से वंचित इस गांव में सिर्फ पांच लोग ही 12वीं पास हैं. बिजली की आपूर्ति होती है, लेकिन जब सावन में नदी में बाढ़ आती है तो बिजली चली जाती है. एक-दो महीने भी नहीं आती. मामला फिरोजपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र के कालू वाला (द्वीप) गांव का है.

गांव के परमजीत सिंह ने साझा किया दुख

सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की क्या स्थिति है, उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है? यह सब पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव कालूवाला में पहुंची. यहां गांव के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं जानीं. गांव निवासी परमजीत सिंह से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस गांव में स्कूल खोलने के लिए उन्हें सरकार को कई पत्र लिखने पड़े. यहां का पानी गंदा है और गांव के गरीब लोगों के कारण बड़े बोर भी नहीं हो पाते हैं. 20 से 25 फीट पर ही पानी लिया जाता है, जिससे बीमारियों का डर बना रहता है. उन्होंने कहा कि इस गांव से 10 किलोमीटर दूर दुलची के गांव में एक डिस्पेंसरी है और छोटे बच्चों को भी इंजेक्शन के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर हैं. गांव में आने वालों को दवा दी जाती है और मोटी फीस ली जाती है. अगर कोई रात में बीमार हो जाता है तो यह सड़क सीमा से होकर गुजरती है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

राजनेता तो चुनाव के समय ही आते हैं: दर्शन सिंह

हमारे रिपोर्टर ने गांव निवासी दर्शन सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि नेता भी चुनाव के दौरान ही आते हैं, बड़े-बड़े वादे करके दोबारा नहीं आते. शहर से कनेक्शन को लेकर दर्शन सिंह का कहना है कि जब नदी में पानी आता है तो शहर से कनेक्शन टूट जाता है, आने-जाने में काफी दिक्कत होती है. बीमार व्यक्ति को भी उसे ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यह पूछे जाने पर कि उन्होंने जो फसल बोई है, उसे शहर के अरहतों में ले जाया जाता है और उसकी कटाई कैसे की जाती है. उन्होंने कहा कि इन फसलों को ट्रॉलियों में लादकर नाव से कारीगरों के पास ले जाया जाता है, जिसमें लगभग पार करने के लिए 200/300 रुपये ट्राली और अगर 10 दिनों तक फसल नहीं बिकती है तो आपको बाजार में बैठना होगा. गांव में गरीबी अधिक होने के कारण दुकान नहीं है, बैंक भी नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में लाइट चली गई तो कई दिनों तक बिजली नहीं रहेगी. शिकायत करने के बाद भी कोई बिजली मिस्त्री नहीं आता.

विधायक ने नहीं किया काम : पंचायत सदस्य जोगिंदर सिंह

जब पंचायत सदस्य जोगिंदर सिंह से पूछा गया कि इस गांव को कोई सुविधा नहीं दी गई है. इसके क्या कारण हैं? उन्होंने कहा कि विधायक परमिंदर सिंह पिंकी से हमने मांग की है कि फिरोजपुर को जोड़ने के लिए हमारे गांव में कोई पुल नहीं है. विधायक 5 साल में 2 या 3 बार ही गांव आए. वह आज भी आए थे और चुनावी वादे के साथ चले गए थे कि पुल बनेगा लेकिन चुनाव के बाद कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया. 5 साल बाद फिर वोट मांगने आते हैं.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

आपात स्थिति में भी बीएसएफ की मंजूरी जरूरी

दर्शन सिंह ने कहा कि मेरे साथ कुछ दिन पहले ऐसा हुआ था. मेरी बेटी बीमार पड़ गई थी. हमने बीएसएफ जवानों को अपना आईडी प्रूफ दिखाया, काफी देर बाद अधिकारियों की इजाजत से हमें शहर जाने दिया गया. हालांकि ऐसे में मरीज को कुछ भी हो सकता है. गांव निवासी फौजा सिंह से बात करते हुए उसने कहा कि वह इस गांव में काफी समय से रह रहा है लेकिन पाकिस्तान की सीमा के एक तरफ थ्री-वे नदी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान की तरफ से हमें भी बीएसएफ के जरिए धमकाया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे समय में बीएसएफ के लोग हमें पीछे धकेल देते हैं, अगर यहां पुल बन जाए तो हम आसानी से गांव छोड़कर शहर की ओर जा सकते हैं.

हम शौचालय तक नहीं बना सकते : गुरदयाल कौर

गांव की बुजुर्ग महिला गुरदयाल कौर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम 20 से 25 साल से गांव में रह रहे हैं. आज तक हमें सरकार की ओर से गांव में घर बनाने के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया है. भले ही उन्हें सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई. हम अंग्रेजी शौचालय भी नहीं बना सकते क्योंकि उसके लिए गटर बनाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई बीमार पुरुष, महिला या बच्चा परेशानी में है तो उन्हें बीएसएफ के जवानों से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद ही वे रात में जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि गांव में कोई गुरुद्वारा साहिब नहीं था और स्कूल एक साल पहले बना था और वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे. गरीब परिवार से होने के कारण मुझे काम करने के लिए शहर जाना पड़ता है.

राजनीतिक नेताओं ने कही ये बात

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बसपा संयुक्त प्रत्याशी रोहित मोंटू वोहरा ने गांव कालूवाला में विकास कार्यों के बारे में बात करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी द्वारा हाल के दिनों में और केवल शहर में विकास कार्य किया गया है. इंटरलॉक टाइलें लगाई गई हैं और उन्होंने अपना घर विकसित किया है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रणबीर सिंह भुल्लर ने कहा कि कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने अपने रिश्तेदारों या अपने घर को विकसित किया है. जनता को कोई सुविधा प्रदान करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में कोई पैसा नहीं लगाया गया है. मौजूदा कांग्रेस विधायक से संपर्क किया गया तो वे ग्रामीणों की बदहाली के बारे में हंस पड़े. रिपोर्टर ने बार-बार पूछा तो वह हंसे और सिर्फ यह बोले कि करेंगे, करेंगे.

फिरोजपुर : पंजाब में चुनावी माहौल दिन पर दिन गर्म होता जा रहा है. तमाम राजनीतिक दल, लोगों को रिझाने के लिए अलग-अलग एजेंडा लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं. कोई 11 सूत्री कार्यक्रम लेकर आ रहा है तो कोई पंजाब मॉडल की बात कर रहा है लेकिन इन सबके बीच पंजाब में बसे लाखों गांवों का क्या हाल है, किसी से छिपा नहीं है. ऐसे ही एक गांव में ईटीवी भारत पहुंचा जिसके एक तरफ पाकिस्तान है, तीन तरफ नदी से घिरा हुआ है. यहां से शहर तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता नाव है. देश की आजादी के बाद भी यहां पुल नहीं बन सका. जिससे इन गांवों के निवासियों को सैकड़ों समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आइए विस्तार से बताते हैं पंजाब के फिरोजपुर में बसे गांव कालूवाल की कहानी है.

बेशक, देश को स्वतंत्र हुए सात दशक से अधिक समय बीत चुका है लेकिन आज भी कुछ सीमावर्ती गांवों में जनजीवन मुश्किलों से भरा है. फिरोजपुर की सीमा पर कालूवाला गांव जो 3 तरफ सतलुज नदी से और एक तरफ पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है. इस गांव के लोगों को अपनी जरूरत का सामान लेने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है. इस गांव में कोई अस्पताल, डिस्पेंसरी या दुकान नहीं है. पिछले साल एक सरकारी स्कूल बनाया गया था लेकिन इसमें कोई शिक्षक नहीं है. लोगों को अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए नाव से नदी पार करनी पड़ती है. बीएसएफ भी शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे तक मार्ग बंद कर देती है और लोग उस समय भारत से खुद को कटा हुआ महसूस करते हैं और किसी आपात स्थिति के लिए देर रात नदी पार करने के लिए लोगों को बीएसएफ से विशेष मंजूरी लेनी पड़ती है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

फिरोजपुर पाकिस्तान सीमा से सटा एक गांव है और तीन तरफ से सतलुज नदी से घिरा हुआ है, जहां 70 परिवार बसे हुए हैं. चौथी तरफ पाक सीमा लगती है. आबादी महज चार सौ है. सात दशक से शिक्षा से वंचित इस गांव में सिर्फ पांच लोग ही 12वीं पास हैं. बिजली की आपूर्ति होती है, लेकिन जब सावन में नदी में बाढ़ आती है तो बिजली चली जाती है. एक-दो महीने भी नहीं आती. मामला फिरोजपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र के कालू वाला (द्वीप) गांव का है.

गांव के परमजीत सिंह ने साझा किया दुख

सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों की क्या स्थिति है, उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है? यह सब पता लगाने के लिए ईटीवी भारत की टीम फिरोजपुर जिले के सीमावर्ती गांव कालूवाला में पहुंची. यहां गांव के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं जानीं. गांव निवासी परमजीत सिंह से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस गांव में स्कूल खोलने के लिए उन्हें सरकार को कई पत्र लिखने पड़े. यहां का पानी गंदा है और गांव के गरीब लोगों के कारण बड़े बोर भी नहीं हो पाते हैं. 20 से 25 फीट पर ही पानी लिया जाता है, जिससे बीमारियों का डर बना रहता है. उन्होंने कहा कि इस गांव से 10 किलोमीटर दूर दुलची के गांव में एक डिस्पेंसरी है और छोटे बच्चों को भी इंजेक्शन के लिए 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर हैं. गांव में आने वालों को दवा दी जाती है और मोटी फीस ली जाती है. अगर कोई रात में बीमार हो जाता है तो यह सड़क सीमा से होकर गुजरती है.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

राजनेता तो चुनाव के समय ही आते हैं: दर्शन सिंह

हमारे रिपोर्टर ने गांव निवासी दर्शन सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि नेता भी चुनाव के दौरान ही आते हैं, बड़े-बड़े वादे करके दोबारा नहीं आते. शहर से कनेक्शन को लेकर दर्शन सिंह का कहना है कि जब नदी में पानी आता है तो शहर से कनेक्शन टूट जाता है, आने-जाने में काफी दिक्कत होती है. बीमार व्यक्ति को भी उसे ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यह पूछे जाने पर कि उन्होंने जो फसल बोई है, उसे शहर के अरहतों में ले जाया जाता है और उसकी कटाई कैसे की जाती है. उन्होंने कहा कि इन फसलों को ट्रॉलियों में लादकर नाव से कारीगरों के पास ले जाया जाता है, जिसमें लगभग पार करने के लिए 200/300 रुपये ट्राली और अगर 10 दिनों तक फसल नहीं बिकती है तो आपको बाजार में बैठना होगा. गांव में गरीबी अधिक होने के कारण दुकान नहीं है, बैंक भी नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में लाइट चली गई तो कई दिनों तक बिजली नहीं रहेगी. शिकायत करने के बाद भी कोई बिजली मिस्त्री नहीं आता.

विधायक ने नहीं किया काम : पंचायत सदस्य जोगिंदर सिंह

जब पंचायत सदस्य जोगिंदर सिंह से पूछा गया कि इस गांव को कोई सुविधा नहीं दी गई है. इसके क्या कारण हैं? उन्होंने कहा कि विधायक परमिंदर सिंह पिंकी से हमने मांग की है कि फिरोजपुर को जोड़ने के लिए हमारे गांव में कोई पुल नहीं है. विधायक 5 साल में 2 या 3 बार ही गांव आए. वह आज भी आए थे और चुनावी वादे के साथ चले गए थे कि पुल बनेगा लेकिन चुनाव के बाद कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया. 5 साल बाद फिर वोट मांगने आते हैं.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसा कालूवाला गांव

आपात स्थिति में भी बीएसएफ की मंजूरी जरूरी

दर्शन सिंह ने कहा कि मेरे साथ कुछ दिन पहले ऐसा हुआ था. मेरी बेटी बीमार पड़ गई थी. हमने बीएसएफ जवानों को अपना आईडी प्रूफ दिखाया, काफी देर बाद अधिकारियों की इजाजत से हमें शहर जाने दिया गया. हालांकि ऐसे में मरीज को कुछ भी हो सकता है. गांव निवासी फौजा सिंह से बात करते हुए उसने कहा कि वह इस गांव में काफी समय से रह रहा है लेकिन पाकिस्तान की सीमा के एक तरफ थ्री-वे नदी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान की तरफ से हमें भी बीएसएफ के जरिए धमकाया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे समय में बीएसएफ के लोग हमें पीछे धकेल देते हैं, अगर यहां पुल बन जाए तो हम आसानी से गांव छोड़कर शहर की ओर जा सकते हैं.

हम शौचालय तक नहीं बना सकते : गुरदयाल कौर

गांव की बुजुर्ग महिला गुरदयाल कौर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम 20 से 25 साल से गांव में रह रहे हैं. आज तक हमें सरकार की ओर से गांव में घर बनाने के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया है. भले ही उन्हें सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई. हम अंग्रेजी शौचालय भी नहीं बना सकते क्योंकि उसके लिए गटर बनाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर कोई बीमार पुरुष, महिला या बच्चा परेशानी में है तो उन्हें बीएसएफ के जवानों से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद ही वे रात में जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि गांव में कोई गुरुद्वारा साहिब नहीं था और स्कूल एक साल पहले बना था और वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे. गरीब परिवार से होने के कारण मुझे काम करने के लिए शहर जाना पड़ता है.

राजनीतिक नेताओं ने कही ये बात

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बसपा संयुक्त प्रत्याशी रोहित मोंटू वोहरा ने गांव कालूवाला में विकास कार्यों के बारे में बात करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी द्वारा हाल के दिनों में और केवल शहर में विकास कार्य किया गया है. इंटरलॉक टाइलें लगाई गई हैं और उन्होंने अपना घर विकसित किया है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रणबीर सिंह भुल्लर ने कहा कि कांग्रेस विधायक परमिंदर सिंह पिंकी ने अपने रिश्तेदारों या अपने घर को विकसित किया है. जनता को कोई सुविधा प्रदान करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में कोई पैसा नहीं लगाया गया है. मौजूदा कांग्रेस विधायक से संपर्क किया गया तो वे ग्रामीणों की बदहाली के बारे में हंस पड़े. रिपोर्टर ने बार-बार पूछा तो वह हंसे और सिर्फ यह बोले कि करेंगे, करेंगे.

Last Updated : Feb 8, 2022, 11:00 PM IST
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