चंडीगढ़ : विश्व के कई देशों यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में शैडो कैबिनेट की परंपरा रही है लेकिन भारत में राजनीति शैडो कैबिनेट से भी एक कदम आगे निकल गई है. अब भारत के राज्यों में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कौन होंगे, यह भी चुनाव से पहले ही तय हो रहा है. पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में जोर आजमाइश कर रहे सभी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पदों को खास नेता के लिए रिजर्व कर दिया है. पहले सिर्फ प्रधानमंत्री और सीएम का चेहरा अनौपचारिक रूप से तय होता था, अब डिप्टी सीएम के नाम भी पहले से तय हो रहे हैं.
सबसे मजेदार यह है कि सीएम चेहरे की घोषणा के लिए शैडो वोटिंग भी हो रही है. 2022 के चुनाव में इसकी शुरुआत आम आदमी पार्टी ने शुरू की. उसने भगवंत मान के सीएम कैंडिडेट तय करने के लिए वोटिंग कराई, जिसमें 21 लाख लोगों ने अपनी राय रखी. पार्टी की तरफ से बताया गया कि भगवंत मान को 93 फीसदी लोगों ने समर्थन दिया. हालांकि उनकी रायशुमारी का यह तरीका विवादों में घिर गया. कांग्रेस ने पहले आप की इस रणनीति की आलोचना की, फिर बाद में वह भी इसी ढर्रे पर चल पड़ी. नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी की दावेदारी के बीच उसने भी जनता की राय लेने का मन बनाया. बताया जाता है कि 6 फरवरी को राहुल गांधी इस सर्वे के नतीजे घोषित करेंगे. फिर यह होगा कि कांग्रेस का पंजाब में सीएम का चेहरा कौन होगा. इस तरह कांग्रेस ने साफ कर दिया कि कांग्रेस की तरफ से कोई सिख ही सीएम बनेगा.
इसके बाद कांग्रेस में आंतरिक तौर पर विवाद शुरू हो गए हैं. पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दावा किया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई तय होने के बाद कांग्रेस के 42 विधायक उन्हें सीएम बनाना चाहते थे. सीएम चन्नी के समर्थन में सिर्फ दो विधायक थे. बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम कैंडिडेट घोषित किया था.
दूसरी ओर, शिरोमणि अकाली दल ने भी साफ कर दिया है कि अगर पार्टी चुनाव में बहुमत पाती है तो सुखबीर सिंह बादल चीफ मिनिस्टर बनेंगे. पांच बार सीएम और 10 बार विधायक रहे प्रकाश सिंह बादल अब सीएम की रेस से बाहर हो गए हैं. अकाली दल के चुनावी कैंपेन में भी सुखबीर सिंह बादल सीएम प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं. पोस्टरों पर सिर्फ सुखबीर सिंह का बादल की तस्वीर है. प्रकाश सिंह बादल अब मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा होंगे.
इस बार कई किसान संगठनों ने भी चुनाव में प्रत्याशी उतारे हैं. बलबीर सिंह राजेवाल इन किसानों का नेतृत्व कर रहे हैं. राजेवाल ने पहले आम आदमी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन का ऐलान किया था, मगर बाद में दोनों अलग हो गए. बताया जाता है कि सीएम कैंडिडेट पर आपसी सहमति नहीं बनने के कारण गठबंधन चुनाव से पहले ही टूट गया. राजेवाल आम आदमी पार्टी के सीएम पद की दावेदारी से सहमत नहीं थे. पंजाब लोक कांग्रेस के प्रमुख कैप्टन अमरिंदर सिंह भी सीएम कैंडिडेट हैं. उन्होंने बीजेपी के साथ समझौता किया है. हालांकि बीजेपी ने उन्हें सीएम चेहरे के तौर पर मानने से मना कर दिया है. पार्टी का कहना है कि बहुमत मिलने पर गठबंधन के कोई घटक सीएम हो सकता है.
संविधान के मुताबिक, जिस पार्टी को विधानसभा में बहुमत मिलता है, उसके विधायक दल के नेता मुख्यमंत्री चुने जाते हैं. विधायकों का समर्थन हासिल करने के बाद एक औपचारिक पत्र गवर्नर को भेजा जाता है, जिसके बाद गवर्नर नेता विधायक दल को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं.
पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर मनजीत सिंह के अनुसार, ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसके तहत चुनाव से पहले सीएम का चेहरा तय किया जाए. यह चुने गए विधायकों के अधिकार क्षेत्र में आता है. आम आदमी पार्टी के विधायक हरपाल सिंह चीमा का कहना है कि जनता ईमानदार और कड़ी मेहनत करने वाले को चीफ मिनिस्टर के तौर पर देखना चाहती है और सीएम कैंडिडेट के बारे में बताकर जनता की अकांक्षा को पूरा करने में कोई गलती नहीं है.
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