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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट सख्त: मास्क से नाक न ढकने पर हो सख्त कार्रवाई

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जो व्यक्ति मास्क पहनकर अपने मुंह या नाक को खुला छोड़ते हैं उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाए. मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के भी निर्देश दिए हैं.

हाईकोर्ट
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Published : Apr 24, 2021, 12:47 PM IST

चंडीगढ़ : काेराेना के बढ़ते मामलाें काे देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जो व्यक्ति मास्क पहनकर अपने मुंह या नाक को खुला छोड़ते हैं उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाए. हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के निकाय व स्वास्थ्य अधिकारियों को मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सार्वजनिक और निजी संस्थानों के प्रमुख अपने कर्मचारियों को उचित तरीके से मास्क पहनने के प्रति जागरूक करेंगे. कोर्ट ने मास्क पहन कर मुंह और नाक खुला रखने वालों के लिए दंडात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं. जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने कोविड-19 की स्थिति पर राज्य सरकार की व्यवस्था से संबंधित मुद्दे पर एक याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश पारित किए.

मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना के लिए उपायुक्त संबंधित पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में हर जिले में नोडल एजेंसी बनाई गई है, जिसमें नगर परिषद, निगम के प्रतिनिधि और सिविल सर्जन को शामिल किया गया है. यह भी तय किया गया है कि प्रत्येक जिले में सचिव कानूनी सेवा प्राधिकरण भी उक्त समिति के सदस्य होंगे, क्योंकि उन्हें कोविड-19 स्थिति से उत्पन्न कई शिकायतें मिलती हैं. हाई कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया गया कि यदि आवश्यक हो तो प्रशासन की बैठक आयोजित की जाएगी.

वहीं पंजाब सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य में कोरोना वायरस से जुड़ी जनता की शिकायतों पर विचार करने के लिए एक समिति के गठन किया जा रहा है. हेल्पलाइन नंबर 104 पहले से ही काम कर रहा है. वहीं, चंडीगढ़ के वकील ने कहा कि शहर में पहले से ही एक कंट्राेल रूम चल रहा है जो लोगों की शिकायतों पर विचार कर रहा है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को एक वकील द्वारा सूचित किया गया कि कुछ निजी अस्पताल अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं और मरीजों को दाखिल भी नहीं कर रहे हैं यह सब अधिकारियों द्वारा नियंत्रण नहीं होने के कारण हो रहा है.

इसे भी पढ़ें : कोरोना संकट: HC का हरियाणा सरकार से सवाल, इमरजेंसी में जिलों के बीच कैसे बैठाया जाएगा तालमेल ?

इस पर पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ ने आश्वासन दिया कि ऐसी शिकायतों पर तुरंत गौर किया जाएगा और अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे. कोर्ट ने दोनों राज्यों और केंद्र शासित चंडीगढ़ को कहा कि 1 सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में एक हलफनामे के माध्यम से हर जिले के घटनाक्रम के बारे में स्थिति रिपोर्ट दर्ज करें.

चंडीगढ़ : काेराेना के बढ़ते मामलाें काे देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जो व्यक्ति मास्क पहनकर अपने मुंह या नाक को खुला छोड़ते हैं उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाए. हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के निकाय व स्वास्थ्य अधिकारियों को मास्क पहनना सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सार्वजनिक और निजी संस्थानों के प्रमुख अपने कर्मचारियों को उचित तरीके से मास्क पहनने के प्रति जागरूक करेंगे. कोर्ट ने मास्क पहन कर मुंह और नाक खुला रखने वालों के लिए दंडात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं. जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने कोविड-19 की स्थिति पर राज्य सरकार की व्यवस्था से संबंधित मुद्दे पर एक याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश पारित किए.

मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि कोरोना के लिए उपायुक्त संबंधित पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में हर जिले में नोडल एजेंसी बनाई गई है, जिसमें नगर परिषद, निगम के प्रतिनिधि और सिविल सर्जन को शामिल किया गया है. यह भी तय किया गया है कि प्रत्येक जिले में सचिव कानूनी सेवा प्राधिकरण भी उक्त समिति के सदस्य होंगे, क्योंकि उन्हें कोविड-19 स्थिति से उत्पन्न कई शिकायतें मिलती हैं. हाई कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया गया कि यदि आवश्यक हो तो प्रशासन की बैठक आयोजित की जाएगी.

वहीं पंजाब सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि राज्य में कोरोना वायरस से जुड़ी जनता की शिकायतों पर विचार करने के लिए एक समिति के गठन किया जा रहा है. हेल्पलाइन नंबर 104 पहले से ही काम कर रहा है. वहीं, चंडीगढ़ के वकील ने कहा कि शहर में पहले से ही एक कंट्राेल रूम चल रहा है जो लोगों की शिकायतों पर विचार कर रहा है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को एक वकील द्वारा सूचित किया गया कि कुछ निजी अस्पताल अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं और मरीजों को दाखिल भी नहीं कर रहे हैं यह सब अधिकारियों द्वारा नियंत्रण नहीं होने के कारण हो रहा है.

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इस पर पंजाब, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ ने आश्वासन दिया कि ऐसी शिकायतों पर तुरंत गौर किया जाएगा और अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाए जाएंगे. कोर्ट ने दोनों राज्यों और केंद्र शासित चंडीगढ़ को कहा कि 1 सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में एक हलफनामे के माध्यम से हर जिले के घटनाक्रम के बारे में स्थिति रिपोर्ट दर्ज करें.

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