कांगड़ाः सरहद पर शहीद हुआ वो मां भारती का लाल एक कलाकार भी था. सरहद पर रहकर मातृभूमि की रक्षा और ड्यूटी से समय मिलने पर गीत लिखना, यही था उसका शौक. उसके भीतर एक कलाकार छिपा था. हम बात कर रहे हैं पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला अंतर्गत उपमंडल ज्वाली के धेवा गांव के निवासी तिलक राज उर्फ सानू की. उन्हें शहीद हुए दो साल बीत गये हैं, लेकिन उनके गाए पहाड़ी गाने सुनकर आज भी हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि देता है. शहीद तिलक राज बचपन से ही गाने का शौक रखते थे.
2007 में सीपीआरएफ में भर्ती हुए थे तिलक राज
घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तिलक राज ने 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और फोटोग्राफी का काम शुरू कर दिया था. ताऊ और चाचा के बेटे एवं उनके लगभग सभी भाई सेना में तैनात हैं तो देशभक्ति स्वभाविक थी. तिलक राज 2007 में केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल (सीपीआरएफ) में भर्ती हुए थे. तिलक राज माता-पिता के अलावा पत्नी सावित्री देवी और 22 दिन के बेटे विवान को छोड़ गए थे.
आज भी गीतों में जिंदा है वो शहीद
लेकिन एक चीज और थी जो शहादत के बाद भी तिलकराज को जिंदा रखे हुए हैं. वो थे उनके गाने जो लोगों के शादी-ब्याह जैसे मौके पर खूब बजाए जाते हैं.
शहीद तिलक राज की पत्नी सावित्री देवी बताती हैं कि उन्हें अपने पति की शहादत पर गर्व है. वो जब भी छुट्टी पर आते थे तो पहाड़ी गानों की शूटिंग में व्यस्त रहकर कांगड़ा की संस्कृति का प्रसार करते थे. उनका आखिरी गाना मेरा सिद्दू शराबी...आज भी जब विवाह समारोहों में बजता है तो उनकी याद ताजा हो जाती है.
'मेरा सिद्दू शराबी' 32 लाख से अधिक बार देखा गया
बता दें तिलक राज की शहादत के बाद उनका ये गाना खूब वायरल हुआ था. 'मेरा सिद्दू शराबी' गाने को 32 लाख से अधिक लोग सुन और देख चुके हैं. ये गाना कांगड़ा की संस्कृति को दर्शाने के साथ व्यंग्यात्मक तरीके से नशे के दुष्प्रभावों को भी बताता है. इसके अलावा ऐसे कई गाने हैं जिनमें तिलक राज ने अपनी आवाज दी थी.
'प्यारी मोनिका' मिला लोगों का प्यार
तिलक राज का एक और गीत 'प्यारी मोनिका' भी लोगों की जुबान पर खूब चढ़ा. शहादत के कुछ महीनों पहले ही इस गाने को यू-ट्यूब पर डाला गया था. इस गाने को 9 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है. आज भी उनके गाने सुने जाते हैं. अंतिम बार जब तिलक अपने दोस्तों से मिले थे तो अगली छुट्टियों में कुछ नया करने की बात कह गए थे.
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वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
14 फरवरी का दिन इतिहास में एक दुखद घटना के साथ दर्ज है. आतंकवादियों ने इस दिन सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमले के लिए चुना. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 जवानों की एक साथ शहीद होने की सूचना के बाद पूरा देश गमहीन हो गया था.
हजारों लोगों ने नम आंखों से दी थी अंतिम विदाई
जब शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचते ही जनसैलाब उमड़ आया था. हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी थी. शहीद अंतिम यात्रा में मानो पत्थर भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे.