नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को निर्धारित कार्यक्रम से छह दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और यह लगातार आठवां सत्र है जिसकी अवधि कम की गयी है. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च नामक संस्था द्वारा संकलित आंकड़ों से यह जानकारी मिली. शीतकालीन सत्र सात दिसंबर को शुरू हुआ और इसे 29 दिसंबर तक चलना था. हालांकि सदस्यों ने क्रिसमस और नये साल को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से कार्यवाही पहले ही स्थगित करने का आग्रह किया था.
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, "यह सत्र 13 कार्यदिवस का रहा. यह 17वीं लोकसभा के सबसे छोटे सत्रों में से एक है. इससे पहले 2020 में कोविड महामारी के दौरान मॉनसून सत्र भी छोटा, दस दिन का था." पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने कहा, "संसद का लगातार आठवां सत्र पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से पहले स्थगित हो गया. इस लोकसभा में तय समय से पहले सत्र के स्थगन के कारण 36 कार्य दिवस कम हुए."
रिपोर्ट के अनुसार पिछले करीब 50 साल में संसद सत्र की बैठकों की संख्या कम होती जा रही है और 1950 तथा 60 के दशकों के बाद यह आधी हो गयी है. थिंक टैंक के अनुसार 2020 में हुए बजट सत्र से अब तक के सभी संसद सत्र तय समय से पहले समाप्त हो गये. वर्ष 2020 में कोविड-19 के मामले बढ़ने की वजह से बजट और मॉनसून सत्र की अवधि कम कर दी गयी. बजट सत्र 11 दिन पहले स्थगित कर दिया गया, वहीं मॉनसून सत्र तय समय से आठ दिन पहले समाप्त हो गया था. उस साल महामारी के कारण शीतकालीन सत्र आयोजित ही नहीं हुआ.
संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल बजट सत्र निर्धारित कार्यक्रम से 14 दिन पहले ही स्थगित कर दिया गया. तब सरकार ने एक बयान में कहा था कि दोनों सदनों में अनेक सदस्यों ने मांग की थी कि आठ अप्रैल तक प्रस्तावित दोनों सदनों की बैठकों को पहले स्थगित कर दिया जाए ताकि वे विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकें. संस्थान के आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले वर्ष मॉनसून सत्र तय समय से दो दिन पहले और शीतकालीन सत्र निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले समाप्त कर दिया गया. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने कहा कि इस साल बजट सत्र तय कार्यक्रम से एक दिन पहले और मॉनसून सत्र चार दिन पहले स्थगित कर दिया गया.
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