नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले सैकड़ों शिक्षकों ने शिक्षा मंत्रालय के उप सचिव के साथ बैठक के बाद आज अपना संसद मार्च स्थगित कर दिया है. उप सचिव ने उन्हें तीन महीने के भीतर उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है. ये वे शिक्षक हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) द्वारा शुरू किया गया दो साल का DELED कोर्स पूरा किया है, जो शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है.
उल्लेखनीय है कि देश में DELED शिक्षकों की संख्या करीब 1.8 लाख बताई जाती है, जो अपने साथ लगे एनसी टैग को हटाने की मांग कर रहे हैं. इस बारे में DELED शिक्षक संघ के अध्यक्ष देबाशीष होता ने कहा कि आज का संसद मार्च को तब स्थगित कर दिया गया है, जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हमारे प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक में उप सचिव राहुल पचौरी ने तीन महीने में एनसी टैग हटाने का आश्वासन दिया. हमें उम्मीद है कि आश्वासन के अनुसार एनसी टैग तुरंत हटा दिया जाएगा. लेकिन, अगर एनसी टैग नहीं हटाया गया तो सभी शिक्षक पांच सितंबर 2022 शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जूते पॉलिश करेंगे.
यह चौथी बार था, जब विभिन्न राज्यों के शिक्षकों ने राष्ट्रीय राजधानी में धरना दिया. उनका दावा है कि शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछली बार उन्हें आश्वासन दिया था कि नॉट कन्फर्म टैग जल्द ही हटा दिए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार की अनभिज्ञता से परेशान शिक्षकों ने नवंबर 2021 में अपने-अपने राज्यों में जिला कलेक्टर के कार्यालयों में विरोध दर्ज कराया और फिर उसी महीने दिल्ली के जंतर मंतर पर पांच दिनों के लंबे धरने का आयोजन किया.
उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 2022 को भी सैकड़ों पीड़ित शिक्षक बोट क्लब पुलिस चौकी से संसद मार्च के लिए तैयार थे. तब भी शिक्षा मंत्री ने हस्तक्षेप किया था और मेरे नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर के प्रतिनिधिमंडल के साथ अपने वरिष्ठ पीपीएस सत्यव्रत पाढ़ी की बैठक आयोजित की. पीपीएस पाढ़ी ने तब यूपी चुनाव संपन्न होने के बाद इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने 2019 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक एजेंसी NIOS में दो साल का DELED कोर्स पूरा किया. प्रशिक्षुओं ने पाठ्यक्रम शुल्क के रूप में एक लाख रुपये का भुगतान किया और परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया. यही कारण है कि ये शिक्षक नॉट कन्फर्म कैटेगरी में आते हैं. उनमें से कइयों को उनकी नौकरी के लिए सहायता नहीं दी जा रही है और अब वे कहते हैं कि उनकी नौकरी भी जा सकती है. देबाशीष होता ने आगे बताया कि बिहार सरकार तीन साल पहले ही एनसी टैग का हवाला देते हुए 17 हजार शिक्षकों का वेतन रोक चुकी है.
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को आश्वासन दिया गया है कि तीन महीने में उनकी लंबित समस्या का समाधान कर दिया जाएगा, लेकिन अगर सरकार इस बार अपना आश्वासन पूरा नहीं करती है, तो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शिक्षक जूते पॉलिश कर विरोध करेंगे.