वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय इन दिनों विवादों में घिरा हुआ है. फीस वृद्धि और सीट आवंटन को लेकर के एक ओर छात्र अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं तो वहीं दूसरी ओर होटल मैनेजमेंट की सेमेस्टर परीक्षा एक सवाल ने विश्वविद्यालय में विरोध को और बढ़ा दिया है. सोशल मीडिया से लेकर के विश्वविद्यालय के परिसर तक छात्र जमकर इस सवाल का विरोध कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी लिखा कि 'याद रहे भारत रत्न पूज्य मालवीय जी विश्वविद्यालय में गोवंश की सेवा करते रहे इसके लिए उन्होंने बाकायदा गोशाला की भी स्थापना की, ताकि यहां के स्टाफ और विद्यार्थियों को शुद्ध दूध मिलने में कठिनाई न हो. गोशाला की वर्तमान हालत क्या है पता नहीं? मगर छात्रों से बीफ के जरिए गोमांस की रेसिपी जानने में कुछ लोगों की दिलचस्पी जगी है, तो एक जिज्ञासु होने के कारण अन्य की भी जिज्ञासा है कि इसे प्रश्नपत्र में डालने, क्लास में पढ़ाने और सिलेबस में रखने वाले कौन है?'
मुख्यमंत्री कार्रवाई की मांग: आगे उन्होंने लिखा है कि 'वैसे भी उत्तर प्रदेश में गोहत्या और बिक्री निषेध कानून लागू है, तो फिर बीफ को पकाने का शिक्षण दिया जाना भी इस कानून के अंतर्गत संगीन जुर्म बन सकता है. यह मामला सीधे तौर पर जन भावनाओं को भड़काने के लिए कानूनी रूप से भी जिम्मेदार है. कुलपति और मुख्यमंत्री से विनम्र प्रार्थना करता हूं कि इस मामले में यदि सच्चाई है तो स्वयं संज्ञान लेकर मामले में जांचकर आवश्यक कार्यवाई करें.
कुलपति इफ्तार में करेंगे शिरकत तो बीफ क्लासिफिकेशन ही पढ़ेंगे बच्चे: इसी कड़ी में बीएचयू के शोध के छात्रों ने भी फेसबुक पर महामना की एक फोटो शेयर कर इस सवाल का विरोध करते हुए लिखा है कि 'भारत में गोरक्षा आंदोलन के प्रणेता महामना मालवीय जी की बगिया में कुलपति के नेतृत्व में बीफ के वर्गीकरण को पढ़ाया और पूछा जा रहा है. जिस गो और गंगा की रक्षा को महामना जीवन भर समर्पित रहे, आज उन्हीं के विश्वविद्यालय में गोमांस के वर्गीकरण पढ़ाया जा रहा है. यह विश्वविद्यालय के मूल्यों के खिलाफ है. यह सब कुछ हिंदू विरोधी कुलपति के नेतृत्व में हो रहा है और उन्हीं के नेतृत्व में बीफ के वर्गीकरण का अध्ययन कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब कुलपति इफ्तार पार्टी में शिरकत करेंगे तो बीफ वर्गीकरण की क्लास तो चलाई ही जाएगी.'
फीस वृद्धि व सीट आवंटन को लेकर छात्र लामबंद, ओपीडी बन्द कर रहे प्रदर्शन: इस विरोध के साथ ही विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर भी अलग-अलग छात्रसंघों के छात्र धरने पर बैठे हैं. इसके अलावा सीट बढ़ाने को लेकर के बीते 13 दिनों से आयुर्वेद संकाय के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. मांगे पूरी न होने पर आयुर्वेद संकाय के छात्रों ने एक बार फिर से बुधवार को ओपीडी बंद कर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. छात्रों का कहना है कि उन्होंने सुबह तक विश्वविद्यालय को उनकी मांगों पर विचार करने का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन अभी तक कुछ फैसला नहीं हुआ है. इसके चलते वो फिर से ओपीडी बंद कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले सोमवार को भी छात्रों ने ओपीडी बंद की थी और जमकर विरोध किया था.
यह भी पढ़ें- BHU में मारपीट मामले में 4 छात्र निलंबित, 19 को चेतावनी