गुना : मध्य प्रदेश के गुना शहर में एक सड़क का नाम राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के दादा और दिवंगत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सागर सिंह सिसोदिया के नाम पर किए जाने पर बवाल मचा है.
इसका उद्घाटन राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था. इसके बाद से ही इंदौर में प्रदर्शनकारियों ने सिंधिया के खिलाफ विवादास्पद पोस्टर चिपका दिए. हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझाते हुए पोस्टर हटवा दिए. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने खुद को इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक अहिल्याबाई होलकर का भक्त बताया.
बताया जा रहा है कि पूर्व होलकर शासकों के इंदौर स्थित राजबाड़ा महल के सामने वीरवार को कुछ प्रदर्शनकारियों ने अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा के पास एक बैनर टांग दिया था, जिस पर लिखा था-'पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर, सिंधिया को सद्बुद्धि दें.' इस बैनर में अहिल्याबाई होलकर और सिंधिया, दोनों की तस्वीरें थीं. इसमें सिंधिया की तस्वीर पर लाल रंग से ‘क्रॉस’ का निशान भी बना था.
दरअसल गुना के नवीन मार्ग सोनी कॉलोनी और चौधरनी कॉलोनी को जोड़ते हुए बूढ़े बालाजी मंदिर और टेकरी मंदिर तक रास्ता जाता है. नगर पालिका परिषद गुना ने 6 अगस्त 2019 को पीआईसी से संकल्प पारित कर इस मार्ग का नाम स्वतंत्रता संग्रामी सेनानी सागर सिंह सिसौदिया के नाम पर किया था.
इस मार्ग के नाम का शुभारंभ एक मार्च 2021 को राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था.
ईटीवी भारत के पास भी नगर पालिका की कॉपी है. लेकिन अब सोशल मीडिया पर तथ्य प्रसारित किए जा रहे हैं कि उक्त मार्ग देवी अहिल्या बाई के नाम पर था जिसे हटाकर मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के दादा सागर सिंह सिसौदिया के नाम पर कर दिया है.
नगर पालिका अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया द्वारा उक्त मार्ग के संबंध में जो तथ्य प्रसारित हो रहा है कि अहिल्या बाई के नाम को हटाकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सागर सिंह सिसौदिया के नाम कर दिया गया है, यह असत्य एवं भ्रामक है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. सागर सिंह सिसौदिया जिले के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. इस आशय की पट्टिका जिला जेल में आज भी लगी हुई है.
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गुना के बमोरी क्षेत्र की विधानसभा के विधायक महेन्द्र सिंह सिसौदिया, सिंधिया के वफादार समर्थकों में गिने जाते हैं. वह राज्य में कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल थे जिनके साल भर पहले पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लेने से कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देने में मजबूर कर दिया था.