नई दिल्ली: गुजरात में बिल्किस बानो गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों को रिहा किए जाने पर प्रतिक्रियाओं का दौर लगातार जारी है. गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ महिला संगठन एकत्रित हुए और विरोध प्रदर्शन किया. इससे पहले विपक्षी पार्टियों की तरफ से भी इसका विरोध किया जा रहा है. उनका कहना है कि एक ओर जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला की प्राचीर से महिला सम्मान की बात की, वहीं दूसरी तरफ सामूहिक बलात्कार और जघन्य हत्या के दोषियों को रिहा कर दिया गया.
विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने न केवल 11 दोषियों की रिहाई पर रोष व्यक्त किया, बल्कि गृह मंत्रालय से इस पर स्पष्टीकरण भी मांगा. ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन की नेता मैमूना मोल्लाह ने कहा कि जल्द से जल्द इस निर्णय को वापस लिया जाना चाहिए और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस पर जवाब देना चाहिए. महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से भी अपील की है कि वह इसका संज्ञान लें.
ईटीवी भारत से बातचीत में मैमूना मोल्लाह ने कहा कि 'बेटी बचाओ' और नारी शक्ती के बड़े बड़े जुमले बोल कर और औरतों की गरिमा, उनकी इज्जत और अमन के खिलाफ इस तरह का निर्णय लिया गया है. आज बिल्किस बानो एक बार फिर डरी हुई है, उनकी जान को भी खतरा हो सकता है.
बता दें कि गैंगरेप और हत्या मामले में 11 दोषियों की रिहाई का विरोध हो रहा है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई थी, जिसके बाद अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेता भी इस बहस में कूद पड़े. महिला संगठनों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस गंभीर विषय का संज्ञान नहीं लेते हैं तो उन्हें ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ सकता है.
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वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि रिहाई सभी नियम कानूनों का पालन करते हुए और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही हुई है, लेकिन कुछ लोग बेवजह इसे मुद्दा बनाकर धार्मिक उन्माद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.