नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और इसके युवा मोर्चे बजरंग दल ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में भाजपा के दो पूर्व पदाधिकारियों नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल की विवादित टिप्पणियों के बाद हाल ही में हुई हिंसा के खिलाफ गुरुवार को देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया. विहिप ने कहा कि 'इस्लामी जिहादी कट्टरपंथियों के कारण बढ़ती चरमपंथी घटनाओं' को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 10 अनुमंडल अधिकारियों (एसडीएम) के कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया. इसके अलावा जम्मू कश्मीर, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया.
प्रदर्शनों के दौरान उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई, जिन्होंने 10 जून को जुमे की नमाज के बाद लोगों को 'उकसाया', जिसके चलते हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. विहिप-बजरंग दल के प्रदर्शनकारियों ने नंद नगरी के एसडीएम कार्यालय के बाहर 'भारत माता की जय', वंदे मातरम जैसे नारे लगाए और 'हिंदुओं पर हमलों को बर्दाश्त न करने' की बात कही.
वहीं विहिप-दिल्ली के अध्यक्ष सुरेंद्र गुप्ता ने कहा, 'हम पिछले सप्ताह कुछ तत्वों द्वारा पूरे भारत में किए गए प्रदर्शनों का विरोध करने के लिए यहां एकत्र हुए हैं. हम लोगों को उकसाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग करते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या विहिप नुपुर शर्मा के बयान का समर्थन करती है, तो गुप्ता ने कहा, 'मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. हम पिछले सप्ताह हुई हिंसा के विरुद्ध प्रदर्शन करने यहां आए हैं.' बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नुपुर शर्मा को निलंबित जबकि नवीन जिंदल को निष्कासित कर दिया था.
उनके अलावा विहिप के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने जम्मू-कश्मीर के सुंदरबनी में बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि, 'नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के मामलों में जब तक अदालत उन्हें किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराती, तब तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.' वहीं हरियाणा के रोहतक जिले में बजरंग दल की एक बैठक को संबोधित करते हुए विहिप के केंद्रीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि, 'जिहादी तत्वों को हिंसा के तांडव से बचना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और अत्याचार को अब पूरी तरह से रोकना होगा.'
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वहीं बजरंग दल ने राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन में मांग की कि जिन लोगों ने 3 और 10 जून को अपनी जुम्मे की नमाज (शुक्रवार की नमाज) के बाद मस्जिदों से बाहर निकले निर्दोष और बेपरवाह लोगों और उनकी संपत्ति पर हमला किया, ऐसे लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही यह भी कहा गया कि शुक्रवार 17 जून को मस्जिदों पर भी नजर रखी जानी चाहिए. ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि भारत और राष्ट्रीय समाज के खिलाफ लोगों के मन में जहर घोलने वाले भड़काऊ भाषण देने वालों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जिन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है उन्हें सुरक्षा देकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.