वाशिंगटन (अमेरिका) : वाशिंगटन स्थित भारतीय पत्रकार ललित झा पर वाशिंगटन डीसी में खालिस्तान समर्थक समर्थकों द्वारा शारीरिक हमला और मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया. यह घटना उस समय हुई जब वह शनिवार दोपहर (स्थानिय समयानुसार) भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तान समर्थक विरोध को कवर कर रहे थे. झा ने रविवार को यूएस सीक्रेट सर्विस को अपनी रक्षा करने. और उन्हें अपना काम करने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि खालिस्तान समर्थक समर्थकों ने उनके बाएं कान पर दो डंडे मारे. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर खालिस्तानी समर्थकों का एक वीडियो भी शेयर किया.
झा ने रविवार को ट्वीट किया कि धन्यवाद @SecretService 2 दिन मेरी सुरक्षा करने के लिए. इस वजह से मैं अपना काम कर पा रहा हूं. अन्यथा मैं यह अस्पताल से यह लिख रहा होता. उन्होंने लिखा कि वीडियो में दिख रहे सज्जन ने 2 डंडों से मेरे बाएं कान पर वार किया. मुझे मदद के लिए फोन करना पड़ा. दो पुलिस की वैन आई जिन्होंने मुझे सुरक्षा प्रदान की. झा ने एएनआई को बताया कि एक समय मुझे इतना खतरा महसूस हुआ कि मैंने 911 पर कॉल किया. सीक्रेट सर्विस के अधिकारी मेरी मदद के लिए आये.
हालांकि, झा ने उनके साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया. झा ने एएनआई को बताया कि अमृत पाल के समर्थन में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तान के झंडे लहराए और यूएस सीक्रेट सर्विस की मौजूदगी में दूतावास को घेर लिया. यहां तक कि उन्होंने खुले तौर पर दूतावास में तोड़फोड़ करने की धमकी दी. उन्होंने भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधू को भी धमकी दी.
वाशिंगटन डीसी स्थित एक भारतीय पत्रकार पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा हमला किए जाने के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय दूतावास ने शनिवार को जारी एक बयान में इस घटना की निंदा की है. बयान में कहा गया कि हम एक वरिष्ठ पत्रकार पर इस तरह के गंभीर और अनुचित हमले की निंदा करते हैं. इस तरह की गतिविधियां केवल तथाकथित 'खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों' और उनके समर्थकों की हिंसक और असामाजिक प्रवृत्ति को रेखांकित करती हैं, जो नियमित रूप से हिंसा और बर्बरता में लिप्त रहते हैं.
भारतीय दूतावास ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि हमने आज वाशिंगटन डीसी में तथाकथित 'खालिस्तान विरोध' को कवर करने के दौरान प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ भारतीय पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार, धमकी और शारीरिक हमले के परेशान करने वाले दृश्य देखे हैं. हम समझते हैं कि पत्रकार को पहले मौखिक रूप से धमकाया गया, फिर शारीरिक हमला किया गया. उन्हें अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और भलाई के लिए डरते हुए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को फोन करना पड़ा, जिन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया दी.
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