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Jagdalpur News: डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली कट्टम सुदर्शन की हार्ट अटैक से मौत - अखिल भारतीय विशेष अधिवेशन

डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली कट्टम सुदर्शन की इलाज के अभाव में हार्ट अटैक से मौत हो गई. सुदर्शन की याद में नक्सली 5 जून से तीन अगस्त तक सभा का आयोजन करेंगे.

Kattam Sudarshan dies of heart attack
कट्टम सुदर्शन की हार्ट अटैक से मौत
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Published : Jun 4, 2023, 3:24 PM IST

जगदलपुर: नक्सलियों के पोलित ब्यूरो के सदस्य आनंद उर्फ कट्टम सुदर्शन की 31 मई को हार्ट अटैक से मौत हो गई. नक्सली लीडर सुदर्शन पर अलग अलग राज्यों की ओर से तकरीबन डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित था. बताया जा रहा है कि इलाज के अभाव में नक्सली लीडर सुदर्शन ने दम तोड़ दिया. सुदर्शन कई माह से डायबिटीज, बीपी सहित अन्य बीमारियों से परेशान था.

पांच जून से शुरू होगी सभा: नक्सलियों ने मृत सुदर्शन को लेकर एक प्रेस नोट जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि नक्सलियों ने दंडकारण्य के जंगल में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. पांच जून से तीन अगस्त तक सुदर्शन की याद में देश भर के नक्सली सभा का आयोजन करेंगे. बता दें कि ये प्रेस नोट नक्सलियों ने सुदर्शन की तस्वीर के साथ दंतेवाड़ा में जारी किया है.

सुदर्शन की मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका: नक्सलियों द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार बेलमपल्ली के मजदूर परिवार में सुदर्शन का जन्म हुआ था. सुदर्शन पिछले करीब पांच दशक से नक्सल संगठन में सक्रिय था. उसने केंद्रीय कमेटी से लेकर आंध्र-तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में नक्सल संगठन की जिम्मेदारी संभाली. सुदर्शन नक्सल संगठन को मजबूती देने और संगठन का विस्तार कराने में माहिर था. उसकी मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है.

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1974 में सुदर्शन संगठन में हुआ सक्रिय: सुदर्शन साल 1974 में नक्सली संगठन में सक्रिय हुआ. उसने छात्र संगठन तैयार किया. बाद में बेलमपल्ली पार्टी सेल का सदस्य बनकर सिंगरेणी मजदूर संघ के संघर्ष में शामिल हुआ. साल 1978 में लक्सेटीपेटा-जगनम इलाके में पार्टी ऑर्गेनाइजर की जिम्मेदारी सुदर्शन को मिली. इसके बाद साल 1980 में वो आदिलाबाद जिला कमेटी का सदस्य बना और दंडकारण्य इलाकों में नक्स्ली संगठन को आगे बढ़ाया.

इन समितियों की भी संभाली जिम्मेदारी: साल 1987 में नक्सलियों की दंडकारण्य फॉरेस्ट समिति में सुदर्शन चुना गया. फिर साल 1995 में नक्सलियों की उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सचिव बना. इसके बाद अखिल भारतीय विशेष अधिवेशन में केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में चुना गया. साल 2001 में नक्सलियों की पोलित ब्यूरो का सदस्य बना और सेंट्रल रीजनल ब्यूरो के सचिव की जिम्मेदारी उसे दी गई. साल 2007 में केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य के बाद मध्य रीजनल ब्यूरो का सचिव बनाया गया. फिर 2017 तक मध्य रीजनल ब्यूरो सचिव रहा. उसके बाद से पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में काम करता रहा.

जगदलपुर: नक्सलियों के पोलित ब्यूरो के सदस्य आनंद उर्फ कट्टम सुदर्शन की 31 मई को हार्ट अटैक से मौत हो गई. नक्सली लीडर सुदर्शन पर अलग अलग राज्यों की ओर से तकरीबन डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित था. बताया जा रहा है कि इलाज के अभाव में नक्सली लीडर सुदर्शन ने दम तोड़ दिया. सुदर्शन कई माह से डायबिटीज, बीपी सहित अन्य बीमारियों से परेशान था.

पांच जून से शुरू होगी सभा: नक्सलियों ने मृत सुदर्शन को लेकर एक प्रेस नोट जारी किया है. जिसमें बताया गया है कि नक्सलियों ने दंडकारण्य के जंगल में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. पांच जून से तीन अगस्त तक सुदर्शन की याद में देश भर के नक्सली सभा का आयोजन करेंगे. बता दें कि ये प्रेस नोट नक्सलियों ने सुदर्शन की तस्वीर के साथ दंतेवाड़ा में जारी किया है.

सुदर्शन की मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका: नक्सलियों द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार बेलमपल्ली के मजदूर परिवार में सुदर्शन का जन्म हुआ था. सुदर्शन पिछले करीब पांच दशक से नक्सल संगठन में सक्रिय था. उसने केंद्रीय कमेटी से लेकर आंध्र-तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में नक्सल संगठन की जिम्मेदारी संभाली. सुदर्शन नक्सल संगठन को मजबूती देने और संगठन का विस्तार कराने में माहिर था. उसकी मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है.

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1974 में सुदर्शन संगठन में हुआ सक्रिय: सुदर्शन साल 1974 में नक्सली संगठन में सक्रिय हुआ. उसने छात्र संगठन तैयार किया. बाद में बेलमपल्ली पार्टी सेल का सदस्य बनकर सिंगरेणी मजदूर संघ के संघर्ष में शामिल हुआ. साल 1978 में लक्सेटीपेटा-जगनम इलाके में पार्टी ऑर्गेनाइजर की जिम्मेदारी सुदर्शन को मिली. इसके बाद साल 1980 में वो आदिलाबाद जिला कमेटी का सदस्य बना और दंडकारण्य इलाकों में नक्स्ली संगठन को आगे बढ़ाया.

इन समितियों की भी संभाली जिम्मेदारी: साल 1987 में नक्सलियों की दंडकारण्य फॉरेस्ट समिति में सुदर्शन चुना गया. फिर साल 1995 में नक्सलियों की उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सचिव बना. इसके बाद अखिल भारतीय विशेष अधिवेशन में केंद्रीय कमेटी सदस्य के रूप में चुना गया. साल 2001 में नक्सलियों की पोलित ब्यूरो का सदस्य बना और सेंट्रल रीजनल ब्यूरो के सचिव की जिम्मेदारी उसे दी गई. साल 2007 में केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्य के बाद मध्य रीजनल ब्यूरो का सचिव बनाया गया. फिर 2017 तक मध्य रीजनल ब्यूरो सचिव रहा. उसके बाद से पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में काम करता रहा.

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