लखनऊ : सड़क पर प्रशिक्षित ड्राइवर ही वाहन लेकर उतरें जिससे हादसों की रफ्तार पर रोक लग सके, इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में 16 ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग (डीटीटीआई) खोलने का फैसला लिया था. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने निजी कंपनियों को भी इन ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट को सीएसआर फंड से ऑपरेट करने का ऑफर दिया था. सरकार के प्रस्ताव के बाद अब मारुति सुजुकी कंपनी ने 16 में से दो ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट का ट्रैक ऑटोमेशन करने के लिए कदम बढ़ाया है. इतना ही नहीं मारुति कंपनी ने तीन साल के लिए ट्रैक को मेंटेन करने पर भी सहमति जताई है. परिवहन विभाग को सिम्युलेटर के साथ अन्य उपकरण खरीदकर देना होगा. परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो इससे सरकार को पांच करोड रुपए की बचत होगी.
परिवहन विभाग प्रदेश के 16 जनपदीय मंडलों में चालकों को प्रशिक्षित करने के लिए ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट खोल रहा है. 15 जगहों पर डीटीटीआई का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर मैन्युअल टेस्टिंग भी शुरू हो गई है, जबकि बांदा में अभी डीटीटीआई का काम पूरा नहीं हो पाया है. यहां पर निर्माण कार्य जारी है. ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट पर ड्राइवर को ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे वे यातायात नियमों को बारीकी से समझेंगे और सड़क पर सावधानी से चलेंगे. इससे न स्वयं सड़क हादसे का शिकार होंगे और न ही इनकी वजह से कोई और ही दुर्घटनाग्रस्त होगा. इन इंस्टीट्यूट्स में मुख्य रूप से ड्राइवर्स की ट्रेनिंग का काम होगा. जो ट्रेनिंग लेंगे उन्हें ऑटोमेटिक ट्रैक पर ट्रेनिंग दी जाएगी. आरटीओ ऑफिस में जो लोग लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं उनकी टेस्टिंग का काम इस ट्रैक पर होगा. कौशल विकास मिशन के कुछ प्रशिक्षण कोर्स तय किए गए हैं जिनमें गाड़ी की ओवरहालिंग का कोर्स, गाड़ी की सर्विसिंग का कोर्स, इलेक्ट्रिफिकेशन का कोर्स शामिल है. ऑटोमोबाइल से रिलेटेड कुछ कोर्स लांच किए जाएंगे. ड्राइवर को इन कोर्सों की ट्रेनिंग भी मिलेगी. जहां तक डीटीटीआई के संचालन की बात है तो सभी जगह इनका संचालन विभाग नहीं कर सकता इसलिए इन्हें संचालन के लिए निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर और रामनगरी अयोध्या के ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट के लिए मारुति सुजुकी ने ट्रैक ऑटोमेशन और मेंटेनेंस का काम संभालने की हामी भरी है. इन दोनों इंस्टिट्यूट को मारुति सुजुकी अपने सीएसआर फंड से संचालित करेगी. दो अन्य स्थानों के लिए भी मारुति सुजुकी कंपनी से बात चल रही है जिनमें प्रयागराज शामिल है.
परिवहन विभाग के कर्मचारी रहेंगे तैनात : विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, ड्राइविंग टेस्टिंग एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का संचालन परिवहन विभाग के कर्मचारियों के ही हाथ होगा. सिर्फ जिस कंपनी को काम मिलेगा वह परिवहन विभाग के कर्मचारियों को ट्रेंड करेगी. ट्रेनिंग लेने के बाद परिवहन विभाग के कर्मचारी ही इंस्टीट्यूट को संचालित करेंगे.
निजी संस्थाओं को भी मौका : जिन स्थानों पर अभी किसी बड़ी कंपनी ने डीटीटीआई नहीं लिए हैं तो अब निजी संस्थाओं को भी परिवहन विभाग की तरफ से ट्रैक ऑपरेट करने के लिए आमंत्रित किया गया है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि निजी संस्थाएं भी ट्रैक ऑटोमेशन में दिलचस्पी दिखा रही हैं. ऐसे में अब 5 अक्टूबर तक इच्छुक संस्थाएं परिवहन विभाग को अपना प्रस्ताव भेज सकती हैं. उन्हें भी ट्रैक ऑटोमेशन का काम मिल सकता है.
विभाग के मेन बोर्ड पर रहेगा कंपनी का नाम : ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट का काम करने वाली कंपनी का फायदा यह होगा कि जिस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट पर परिवहन विभाग का मुख्य बोर्ड लगा होगा, उस पर विभागीय कार्यालय के साथ ही संबंधित कंपनी का नाम भी दर्ज होगा. इससे कंपनी का प्रचार प्रसार होता रहेगा.
इन स्थानों पर खुल रहे हैं डीटीटीआई : उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा कोष से रायबरेली, कानपुर, बरेली, बस्ती, झांसी, आजमगढ़, प्रयागराज, मुरादाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा, बांदा और मेरठ में ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो रहा है. इन सभी स्थानों पर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट संचालित होने के बाद प्रशिक्षित ड्राइवर ही लाइसेंस होल्डर होंगे.
परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर तैनात संभागीय परिवहन अधिकारी संजय नाथ झा बताते हैं कि 'ड्राइविंग ट्रेनिंग और टेस्टिंग इंस्टीट्यूट अगर सरकार चलाती है तो प्रति इंस्टीट्यूट संचालन का खर्च तकरीबन ढाई करोड़ रुपए आता है. ऐसे में इंस्टीट्यूट को संचालित करने के लिए निजी कंपनियों और संस्थाओं को मौका दिया गया है, जिससे सरकार के पैसे की बचत हो सके. इनमें मारुति सुजुकी कंपनी ने गोरखपुर और अयोध्या में काम करने के लिए हाथ बढ़ाया है. इसी तरह अन्य स्थानों पर भी निजी कंपनियां और निजी संस्थाओं के लोग आगे आएंगे तो उन्हें भी मौका मिलेगा.