नई दिल्ली : दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और विषाक्त होती हवा को देखते हुए विशेषज्ञ और अभिभावक स्कूल बंद करने की मांग कर रहे थे. इसे देखते हुए शिक्षा विभाग ने शनिवार से दिल्ली के सभी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का आदेश जारी किया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्राइमरी कक्षा यानी नर्सरी से लेकर पांचवीं तक (Nursery to fifth grade) की क्लासें नहीं होंगी. पांचवी कक्षा से ऊपर तक के लिए स्कूल खुले रहेंगे लेकिन वहां आउटडोर एक्टिविटीज बंद रहेंगी ताकि बच्चे खुले में ना जाएं. केजरीवाल ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने सुना है कि उनके पोते को प्रदूषण से दिक्कत हो रही है. केजरीवाल बोले उनका पोता मेरा भी पोता है. मिलकर कोशिश करेंगे कि किसी भी बच्चे को दिक्कत नहीं हो.
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केजरीवाल ने कहा-राहत के लिए गंभीरता से हो रहा विचार : इसके अलावा केजरीवाल ने कहा कि प्रदूषण से लोगों को कैसे राहत मिले, इस पर भी सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. प्रदूषण का एक बड़ा कारक गाड़ियों से निकलने वाला धुआं है. इसे देखते हुए राजधानी की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम करने के लिए ऑड- इवन योजना को लागू करने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए एक अहम बैठक बुलाई गई है. शुक्रवार को अपने निवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी थे. संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों ने माना कि पंजाब में जिस तरह बड़े स्तर पर किसान पराली जला रहे हैं, इससे प्रदूषण फैल रहा है. लेकिन दोनों ही मुख्यमंत्रियों ने कहा कि सिर्फ पंजाब व दिल्ली से प्रदूषण की समस्या नहीं है. पूरे उत्तर भारत में इस समय प्रदूषण से आबोहवा खराब है. राजस्थान का भीलवाड़ा और बिहार के कटिहार, मोतिहारी, बेतिया आदि शहरों का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि वहां भी एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत ही खराब है. इसलिए सिर्फ दिल्ली की केजरीवाल सरकार और पंजाब के भगवंत मान सरकार को ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. केंद्र सरकार को इस पर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठकर एक विस्तृत प्लान बनाने की जरूरत है. यह मसला पूरे उत्तर भारत से संबंधित है.
मान बोले -अगले साल से पंजाब में कोई नहीं जलाएगा पराली : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब में धान के रिकॉर्ड पैदावार का जिक्र करते हुए कहा कि धान का उत्पादन हुआ है तो पराली भी स्वाभाविक है. किसान भी पराली जलाना नहीं चाहते हैं लेकिन उनकी भी मजबूरी है. क्योंकि धान की कटाई और गेहूं की रोपाई के बीच का समय काफी कम होता है. अभी पराली को खत्म करने के लिए जो व्यवस्था हो सकती है, उस पर सरकार काम कर रही है. इसलिए वह मजबूरी में पराली जलाते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार वादा करती है कि अगले साल नवंबर से पहले यह सुनिश्चित हो जाएगा कि कोई भी पंजाब का किसान खेतों में पराली नहीं जलाए. धान की खेती पंजाब के किसान करना भी नहीं चाहते. धान के साथ-साथ और कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं, इसकी वैकल्पिक व्यवस्था पर भी वे ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. धान की पराली से बिजली बनाने व क्या अन्य वैकल्पिक इंतजाम हो सकते हैं इस बारे में भी सरकार अध्ययन करा रही है. लेकिन इस समय कम से कम एक साल की मोहलत मिलेगा. इस बार सरकार के पास सिर्फ 6 महीने का समय मिला था तो चाहते हुए भी पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाया. एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली एनसीआर में जो भी प्रदूषण का स्तर है उसमें 26% हिस्सा पंजाब व अन्य पड़ोसी राज्यों में खेतों में जो पराली जलाई जा रही है, वह भी एक कारक है. ईटीवी भारत की ओर से पूछे गए सवाल कि पराली के निस्तारण को लेकर के पंजाब सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखी थी, उसका क्या हुआ ? इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने साफ कहा कि हमने पराली के बदले जो पैसा किसानों को देने की मांग की थी उस पर केंद्र सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है.
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