शिमला: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 अप्रैल को शिमला आ रही हैं. वे शिमला में जिस इमारत में रुकेंगी, उसका इतिहास करीब पौने दो सौ साल पुराना है. दरअसल बहुत कम लोग जानते हैं कि देश में राष्ट्रपति के तीन निवास हैं. सभी लोग दिल्ली के राष्ट्रपति भवन को तो जानते हैं लेकिन अन्य दो के बारे में कम ही लोगों को मालूम है. राष्ट्रपति के दो अन्य निवास तेलंगाना के हैदराबाद और हिमाचल के शिमला में है. हैदराबाद का राष्ट्रपति निवास 'राष्ट्रपति निलायम' जबकि हिमाचल वाला निवास 'रिट्रीट' कहलाता है.
भारत की 135 करोड़ की आबादी है और इस महादेश की राष्ट्रपति शिमला में जिस इमारत में रुकेंगी, वो मिट्टी और लकड़ी से बनी है. राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन निवास रिट्रीट की दीवारें मिट्टी की बनी हैं और उन्हें धज्जी दीवाल कहा जाता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चार दिन शिमला में रहेंगी, इस दौरान दिल्ली का राष्ट्रपति सचिवालय शिमला के मशोबरा स्थित मिट्टी व लकड़ी से बनी इमारत से चलेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पदभार संभालने के बाद पहली बार शिमला आ रही हैं. वे यहां राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन निवास में रुकेंगी. ऐसे में शिमला के समीप मशोबरा स्थित रिट्रीट के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा.
शिमला के समीप एक शांत: एकांत प्राकृतिक और सुरम्य वातावरण में रिट्रीट इमारत है. ये इमारत सन 1850 में बनी थी, जिसकी सबसे खास बात इसके निर्माण की शैली है. इमारत लकड़ी और मिट्टी से बनी है. समय के उस दौर में पहाड़ पर निर्माण शैली धज्जी दीवालों (दीवारों) वाली थी. ये दीवारें भूकंपरोधी होती हैं. रिट्रीट इमारत राजधानी के कंक्रीट के जंगल के शोर-शराबे से दूर प्रकृति की गोद में है.
अगर इतिहास की दृष्टि से देखा जाए तो रिट्रीट इमारत मूल रूप से शिमला के समीप की रियासत कोटी के शाही परिवार की थी. रिट्रीट इमारत का रकबा यानी क्षेत्रफल दस हजार वर्गफीट से भी अधिक है. ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेज हुकूमत ने इसे रियासत के शासकों से लीज पर लिया था. ये बात वर्ष 1850 की है. उसके बाद कोटी रियासत के शासक ने वर्ष 1886 में इसे वापिस ले लिया था. ब्रिटिश हुकूमत को ये इमारत पसंद आ गई थी, लिहाजा वर्ष 1895 में तत्कालीन वायसराय ने इसे फिर से ब्रिटिश शासन के अधीन ले लिया. इस इमारत के बाहर एक सुंदर लॉन है. इस लॉन में कई बार मेहमानों के लिए जलपान का इंतजाम होता है. वहीं, रिट्रीट की संपत्ति में बागीचा भी है, जिसमें सेब के देशी और विदेशी किस्म के पौधे लगे हैं. ये समय सेब की फ्लावरिंग का है. बागीचे के अलावा रिट्रीट की संपत्ति में एक सुंदर फुलवारी यानी उपवन भी है. उपवन में देशी और विदेशी किस्म के सुंदर फूल लगाए गए हैं. बागीचे व उपवन की देखभाल के लिए एक दर्जन से अधिक माली नियुक्त किए गए हैं.
प्रणब दा को पसंद था लॉन में टहलना: पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान यहां जरूर आते थे. वे रिट्रीट के लॉन में टहलना बहुत पसंद करते थे. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए प्रणब मुखर्जी ने यहां अपने 2015 के दौरे के समय की फोटो राष्ट्रपति भवन के ट्विटर अकाउंट पर शेयर की थी. उन तस्वीरों को तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था. जाहिर है, देश के राष्ट्रपतियों को ग्रीष्मकालीन निवास के तौर पर शिमला के समीप मशोबरा के रिट्रीट रहना पसंद आता रहा है.
राष्ट्रपति के शिमला आगमन पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहते हैं. राष्ट्रपति का विमान सीधे रिट्रीट के समीप बने कल्याणी हैलीपैड में उतरता है. सुरक्षा के कारण रिट्रीट के आसपास किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं है. राष्ट्रपति के शिमला आगमन पर उनके साथ दिल्ली से प्रेजीडेंट हाउस के सचिव स्तर के अफसर भी आते हैं. यदि राष्ट्रपति का दौरा लंबा हो तो कुछ जरूरी फाइलें भी काफिले के साथ ही यहां लाई जाती हैं. जरूरत पड़ने पर दिल्ली से भी जरूरी फाइलों को राष्ट्रपति के साइन के लिए रिट्रीट लाया जाता है. शिमला स्थित रिट्रीट में देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी आ चुकी हैं. अब द्रौपदी मुर्मू के रूप में दूसरी महिला राष्ट्रपति यहां आ रही हैं.
बड़ी बात ये है कि राष्ट्रपति के शिमला से प्रस्थान के बाद इस बार रिट्रीट को आम जनता के अवलोकन के लिए खोला जाएगा. बीते 173 सालों में ये पहला मौका है जब इस ऐतिहासिक इमारत का दीदार आम लोग भी कर सकेंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस इमारत को आम लोगों के लिए खोलने का ऐलान करेंगी. आगामी 23 अप्रैल से आम लोग और पर्यटक एक तय एंट्री फीस पर यहां घूम सकेंगे.