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राष्ट्रपति ने लोगों से भारत को गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेने को कहा

महात्मा गांधी की 152वीं जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने देशवासियों को संबोधित किया. उन्होंने गांधी जयंती की बधाई देने के साथ गांधीजी के दर्शन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया. उन्होंने और क्या कहा, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 1, 2021, 11:05 PM IST

राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति
राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. उनसे भारत को महात्मा गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेने को कहा. महात्मा गांधी की 152वीं जयंती की पूर्वसंध्या पर अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी जयंती सभी भारतीयों के लिये विशेष दिन है.

कोविंद ने कहा कि यह अवसर पर हम सभी के लिये गांधीजी के संघर्ष और बलिदान को याद करने का मौका है. यह अवसर हमें हमारे देश एवं नागरिकों की समृद्धि एवं विकास के लिये काम करने की प्रेरणा देता है.

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें भारत को महात्मा गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेना चाहिए और उनकी शिक्षा, आदर्शो एवं मूल्यों का पालन करें.

राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी दुनिया में अहिंसा के आंदोलन के लिये जाने जाते थे और उनकी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. गांधीजी अहिंसा के दर्शन एवं सिद्धांत में विश्वास करते थे और यह एक ऐसा प्रयोग है जो समाज को बेहतर बनाने का आधार हो सकता है.

पढ़ें : कांग्रेस करेगी 'बापू एक नमन' कार्यक्रम का आयोजन, जन जन तक पहुंचाएंगे गांधी-शास्त्री के विचार

इस मौके पर उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने देशवासियों को गांधी जयंती की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर अपने देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने विश्व को अन्याय के खिलाफ लड़ाई का एक नया रास्ता- सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया और मानवता पर अमिट छाप छोड़ी.

उन्होंने कहा कि गांधीजी ने भारत को औपनिवेशिक शासन से आजाद कराने के लिए अपने प्रयासों को सत्य (सत्याग्रह) और अहिंसा के मूल्यों पर स्थापित किया. 21वीं सदी में भी वे शोषितों के हिमायती और प्रतिनिधि बने हुए हैं. उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को उदाहरण स्वरूप पेश किया और कहा कि उनका जीवन ही उनका संदेश है. हम उनके जीवन और दर्शन से सतत विकास, आत्मनिर्भरता, गरीबों के सशक्तिकरण और 'ग्राम स्वराज' की प्रेरणा ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि गांधीजी की विचारधारा के ये विषय आधुनिक समय में और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं. उनका जीवन देश के लिए प्रकाश का स्त्रोत बना हुआ है, जो हमारे राष्ट्र की प्रगति में हमारा मार्गदर्शन कर रहा है. गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत हमारी शांति, सद्भावना और सार्वभौमिक भाईचारे की साझा खोज में हमारा और शेष विश्व का मार्गदर्शन करता रहेगा.

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) की पूर्व संध्या पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं. उनसे भारत को महात्मा गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेने को कहा. महात्मा गांधी की 152वीं जयंती की पूर्वसंध्या पर अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी जयंती सभी भारतीयों के लिये विशेष दिन है.

कोविंद ने कहा कि यह अवसर पर हम सभी के लिये गांधीजी के संघर्ष और बलिदान को याद करने का मौका है. यह अवसर हमें हमारे देश एवं नागरिकों की समृद्धि एवं विकास के लिये काम करने की प्रेरणा देता है.

उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें भारत को महात्मा गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेना चाहिए और उनकी शिक्षा, आदर्शो एवं मूल्यों का पालन करें.

राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी दुनिया में अहिंसा के आंदोलन के लिये जाने जाते थे और उनकी जयंती को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. गांधीजी अहिंसा के दर्शन एवं सिद्धांत में विश्वास करते थे और यह एक ऐसा प्रयोग है जो समाज को बेहतर बनाने का आधार हो सकता है.

पढ़ें : कांग्रेस करेगी 'बापू एक नमन' कार्यक्रम का आयोजन, जन जन तक पहुंचाएंगे गांधी-शास्त्री के विचार

इस मौके पर उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने देशवासियों को गांधी जयंती की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर अपने देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने विश्व को अन्याय के खिलाफ लड़ाई का एक नया रास्ता- सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया और मानवता पर अमिट छाप छोड़ी.

उन्होंने कहा कि गांधीजी ने भारत को औपनिवेशिक शासन से आजाद कराने के लिए अपने प्रयासों को सत्य (सत्याग्रह) और अहिंसा के मूल्यों पर स्थापित किया. 21वीं सदी में भी वे शोषितों के हिमायती और प्रतिनिधि बने हुए हैं. उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन को उदाहरण स्वरूप पेश किया और कहा कि उनका जीवन ही उनका संदेश है. हम उनके जीवन और दर्शन से सतत विकास, आत्मनिर्भरता, गरीबों के सशक्तिकरण और 'ग्राम स्वराज' की प्रेरणा ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि गांधीजी की विचारधारा के ये विषय आधुनिक समय में और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं. उनका जीवन देश के लिए प्रकाश का स्त्रोत बना हुआ है, जो हमारे राष्ट्र की प्रगति में हमारा मार्गदर्शन कर रहा है. गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत हमारी शांति, सद्भावना और सार्वभौमिक भाईचारे की साझा खोज में हमारा और शेष विश्व का मार्गदर्शन करता रहेगा.

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