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उत्तराखंड के छोलिया और झोड़ा नृत्य की प्रस्तुति को मिला World Book Of Records में स्थान, जानिए क्यों है खास

World Book of Records Granted Provisional Certificate to Uttarakhand उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में रंग बिरंगे परिधानों में लोक संस्कृति की छटा बिखेरते कलाकार जब एक साथ मैदान में उतरे तो देखने वालों ने दांतों तले उंगली दबा ली. पहली बार इतने बड़े समूह में लोक संस्कृति, परंपराओं और इतिहास को समेटे इन कलाकारों ने ढोल दमाऊं की थाप पर प्रस्तुति दी तो एक रिकॉर्ड ही कायम कर लिया. जी हां, छोलिया और झोड़ा लोक कलाकारों की इस प्रस्तुति को World Book Of Records में शामिल किया गया है. छोलिया नृत्य की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जानिए क्या है इसकी विशेषता...Choliya and Jhoda Folk Danc in Pithoragarh

Choliya and Jhoda Folk Dance
छोलिया और झोड़ा नृत्य
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 4:34 PM IST

Updated : Oct 17, 2023, 4:41 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड को अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है. इसमें लोकनृत्य छोलिया और झोड़ा चांचरी भी शामिल है. खास मौकों पर रंग बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजकर लोग ढोल दमाऊं की थाप पर जमकर थिरकते हैं. इसमें देवभूमि की लोक कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. इसके अलावा अतिथियों के स्वागत के लिए भी यह नृत्य करने की परंपरा रही है. इस नृत्य को पीएम नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ दौरे के बाद एक नई पहचान भी मिली है. जब पीएम मोदी पिथौरागढ़ के दौरे आए थे, तब एक साथ 3000 कलाकारों ने इसकी प्रस्तुति दी थी. खुद पीएम मोदी भी इन कलाकारों की प्रस्तुति को देख मंत्रमुग्ध हो गए थे. अब इन कलाकारों की प्रस्तुति को खास स्थान मिला है.

  • आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के 12 अक्टूबर को देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर उत्तराखण्ड के छोलिया और झोड़ा लोक नृतकों की लोक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।

    इस उपलब्धि हेतु माननीय मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी ने… pic.twitter.com/zmgHgPUtRF

    — Office Of Pushkar Singh Dhami (@OfficeofDhami) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

छोलिया-झोड़ा लोक कलाकारों की प्रस्तुति को मिला वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान: बीती 12 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिथौरागढ़ स्टेडियम में जनसभा कर रहे थे, तब दूसरी ओर छोलिया और झोड़ा लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही थी. ऐसा पहली बार था, जब 5,338 फीट यानी समुद्र तल से करीब 1627 मीटर की ऊंचाई पर इस तरह के नृत्य की प्रस्तुति की गई, जिसमें 3000 से ज्यादा कलाकार शामिल हुए. हालांकि, उत्तराखंड में इस तरह के आयोजन पहले भी होते रहे हैं, लेकिन इतनी ज्यादा संख्या में कलाकारों का लगातार कई घंटे तक प्रस्तुति देना अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया.
ये भी पढ़ेंः नंदा देवी महोत्सव में झोड़ा-चांचरी की धूम, दिखी लोक संस्कृति की झलक

सीएम धामी ने बताया गौरव का पलः इतना ही नहीं वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड (World Book of Records) लंदन ने इसे बाकायदा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया है. इतनी ऊंचाई पर ढोल दमाऊं की थाप पर एक साथ हजारों कलाकारों की ओर से नृत्य करना अपने आप में खास था. यही वजह है कि इस नृत्य ने एक रिकॉर्ड कायम किया. उधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छोलिया और झोड़ा नृत्य में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड मिलने पर कलाकारों और संस्कृति विभाग को बधाई दी है. साथ ही कहा कि इस रिकॉर्ड से उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा, लोक संस्कृति और लोकगीतों को और ज्यादा पहचान मिलेगी.

Choliya and Jhoda Folk Dance
छोलिया और झोड़ा नृत्य की प्रस्तुति

ये है इस नृत्य की पहचान और इतिहासः उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल है कि एक नृत्य को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है. उत्तराखंड में पांच तरह के नृत्य बताए गए हैं. इनमें पांडव नृत्य, भोटिया नृत्य, छोलिया नृत्य, झोड़ा नृत्य और मुखौटा नृत्य शामिल हैं. जिस नृत्य को सम्मान मिला है, उसे छोलिया नृत्य कहा जाता है. अमूमन यह नृत्य कुमाऊं क्षेत्र में किया जाता है, जो जनजाति की मार्शल आर्ट परंपराओं को दर्शाता है. यह नृत्य शैली करीब 1000 साल पुरानी है. पहले यह नृत्य राजपूत परिवारों की शादी में किया जाता था. जिसमें हाथों में तलवार ढाल तुरी के साथ वाद्य यंत्र के साथ मौजूद रहते थे. रंग बिरंगे घुमावदार कपड़े इनकी पहचान होते हैं.
ये भी पढ़ेंः बेरीनाग में दिखी लोक संस्कृति की झलक, छोलिया-झोड़ा-चांचरी पर छात्रों ने बांधा समां

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड को अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है. इसमें लोकनृत्य छोलिया और झोड़ा चांचरी भी शामिल है. खास मौकों पर रंग बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजकर लोग ढोल दमाऊं की थाप पर जमकर थिरकते हैं. इसमें देवभूमि की लोक कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. इसके अलावा अतिथियों के स्वागत के लिए भी यह नृत्य करने की परंपरा रही है. इस नृत्य को पीएम नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ दौरे के बाद एक नई पहचान भी मिली है. जब पीएम मोदी पिथौरागढ़ के दौरे आए थे, तब एक साथ 3000 कलाकारों ने इसकी प्रस्तुति दी थी. खुद पीएम मोदी भी इन कलाकारों की प्रस्तुति को देख मंत्रमुग्ध हो गए थे. अब इन कलाकारों की प्रस्तुति को खास स्थान मिला है.

  • आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के 12 अक्टूबर को देवभूमि उत्तराखण्ड आगमन पर उत्तराखण्ड के छोलिया और झोड़ा लोक नृतकों की लोक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ है।

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छोलिया-झोड़ा लोक कलाकारों की प्रस्तुति को मिला वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान: बीती 12 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिथौरागढ़ स्टेडियम में जनसभा कर रहे थे, तब दूसरी ओर छोलिया और झोड़ा लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जा रही थी. ऐसा पहली बार था, जब 5,338 फीट यानी समुद्र तल से करीब 1627 मीटर की ऊंचाई पर इस तरह के नृत्य की प्रस्तुति की गई, जिसमें 3000 से ज्यादा कलाकार शामिल हुए. हालांकि, उत्तराखंड में इस तरह के आयोजन पहले भी होते रहे हैं, लेकिन इतनी ज्यादा संख्या में कलाकारों का लगातार कई घंटे तक प्रस्तुति देना अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया.
ये भी पढ़ेंः नंदा देवी महोत्सव में झोड़ा-चांचरी की धूम, दिखी लोक संस्कृति की झलक

सीएम धामी ने बताया गौरव का पलः इतना ही नहीं वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड (World Book of Records) लंदन ने इसे बाकायदा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित भी किया है. इतनी ऊंचाई पर ढोल दमाऊं की थाप पर एक साथ हजारों कलाकारों की ओर से नृत्य करना अपने आप में खास था. यही वजह है कि इस नृत्य ने एक रिकॉर्ड कायम किया. उधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छोलिया और झोड़ा नृत्य में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड मिलने पर कलाकारों और संस्कृति विभाग को बधाई दी है. साथ ही कहा कि इस रिकॉर्ड से उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा, लोक संस्कृति और लोकगीतों को और ज्यादा पहचान मिलेगी.

Choliya and Jhoda Folk Dance
छोलिया और झोड़ा नृत्य की प्रस्तुति

ये है इस नृत्य की पहचान और इतिहासः उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल है कि एक नृत्य को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है. उत्तराखंड में पांच तरह के नृत्य बताए गए हैं. इनमें पांडव नृत्य, भोटिया नृत्य, छोलिया नृत्य, झोड़ा नृत्य और मुखौटा नृत्य शामिल हैं. जिस नृत्य को सम्मान मिला है, उसे छोलिया नृत्य कहा जाता है. अमूमन यह नृत्य कुमाऊं क्षेत्र में किया जाता है, जो जनजाति की मार्शल आर्ट परंपराओं को दर्शाता है. यह नृत्य शैली करीब 1000 साल पुरानी है. पहले यह नृत्य राजपूत परिवारों की शादी में किया जाता था. जिसमें हाथों में तलवार ढाल तुरी के साथ वाद्य यंत्र के साथ मौजूद रहते थे. रंग बिरंगे घुमावदार कपड़े इनकी पहचान होते हैं.
ये भी पढ़ेंः बेरीनाग में दिखी लोक संस्कृति की झलक, छोलिया-झोड़ा-चांचरी पर छात्रों ने बांधा समां

Last Updated : Oct 17, 2023, 4:41 PM IST
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