वाराणसी: लंका थाना क्षेत्र के मदरवा इलाके में बुधवार 29 नवंबर की शाम एक घर के अंदर उषा त्रिपाठी (52 वर्ष) की 1 साल पुरानी लाश मिली थी, जो पूरी तरह से कंकाल में तब्दील हो गई थी. सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि कंकाल में तब्दील हो चुकी इस लाश के साथ उसकी दो बेटियां पल्लवी और वैष्णवी 1 साल से रह रही थी. मां की लाश के साथ रह रही इन दोनों बेटियों की मानसिक हालत ठीक नहीं बताई जा रही है और दोनों को अभी पड़ोस के घर में रखा गया है, लेकिन अब पुलिस उन्हें नाना रामकृष्ण के साथ रखने की तैयारी कर रही है और वह भी उसी घर में जहां पर यह दोनों अपनी मां की कंकाल बन चुकी 1 साल पुरानी डेड बॉडी के साथ रह रही थीं.
दरअसल, अपनी मां उषा त्रिपाठी से बेहद प्यार करने वाली पल्लवी और वैष्णवी अब अकेली हैं. हालांकि उनकी मौसी सीमा और परिवार के कुछ सदस्य उनको हिम्मत दे रहे हैं, लेकिन मां उषा त्रिपाठी की लाश से अलग होने के बाद अब उनके चेहरे पर भी एक अजीब सी मायूसी है. बार-बार मां को खोज रही यह दोनों बेटियां एक ही बात बोल रही है मम्मी कहां गई, उन्हें बुलाओ. कल ही पुलिस ने ऊषा त्रिपाठी के कंकाल के शव के पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच की कोशिश की लेकिन पोस्टमार्टम हो नहीं पाया अब 3 दिसंबर को इस कंकाल का पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच होगी.
पुलिस बोली, मौत की वजह सामान्य लग रही
डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम का कहना है की मौत की वजह सामान्य लग रही है, शरीर की जो हड्डियां है वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं. कहीं से भी कोई हड्डी क्रैक या टूटी हुई नहीं है. जिससे यह स्पष्ट हो रहा है की मौत सामान्य है, लेकिन एक वर्ष तक डेड बॉडी के साथ बेटियां रहीं और लाश घर में ही रही इसलिए पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच जरूरी है, जो करवाई गई है. डीसीपी काशी जोन का कहना है, फिलहाल अभी अन्य किसी तरह की जांच की जरूरत समझ में नहीं आ रही है, यदि परिवार के सदस्य या कोई भी व्यक्ति इस पर आशंका जाता आएगा तो डीएनए या अन्य जांच करवाई जा सकती है.
मौसी की देखरेख में दोनों बच्चियां पड़ोसी के घर में
पुलिस का कहना है कि दोनों बच्चियों को अभी पड़ोस के पप्पू सिंह के मकान में उनकी मौसी और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों की देखरेख में रखा गया है, लेकिन उनके नाना रामकृष्ण वाराणसी पहुंच चुके हैं और उसी घर में अपनी दोनों नातिनों के साथ रहने को तैयार भी हो गए हैं. घर को साफ सुथरा, पेंट करने के साथ ही पूरी तरह से बदलने का काम रामकृष्ण की दोनों बेटियों के कहने पर किया जाएगा.
नाना बोले, दोनों बच्चियों को मां की कमी का अहसास नहीं होने दूंगा
पुलिस से रामकृष्ण का कहना है की बेटी उषा चली गई अब उसकी यह दो निशानियां मेरे पास है. मैं 22 साल से सबको संभाल रहा हूं, अब तो मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है. दोनों बहनों को समझ कर उनके भविष्य को बेहतर करने के लिए उनके साथ रहूंगा ताकि उन्हें अपनी मां की कमी का अहसास न हो. वहीं, फोरेंसिक जांच और पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद परिवार को डेड बॉडी जल्द सौंप दी. जाएगी. पूरी तरह से कंकाल में तब्दील हो चुकी ऊषा त्रिपाठी की लाश का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से करने के साथ ही श्राद्ध कर्म का आयोजन भी परिवार के सदस्य करेंगे.
पिता रामकृष्ण का कहना है की बेटी को खोने का मुझे बहुत गम है और जिस स्थिति में उसकी लाश घर में मिली है. उसकी आत्मा की शांति के लिए सभी कर्मों को पूर्ण किया जाएगा. मुझे बस इस बात का गम है की बेटी का सही तरीके से इलाज नहीं हो पाया शायद मैं उसके साथ रहता और उसका इलाज होता तो आज वह बच जाती फिर भी उसकी आत्मा की शांति के लिए पूरी तरह से रस्म अदा की जाएगी और मैं खुद अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करूंगा और अपनी दोनों नातिनों का ध्यान रखकर जरूरत पड़ी तो उनका इलाज भी करवाऊंगा ताकि उनका भविष्य बेहतर हो सके. वहीं, पड़ोसियों ने इन दोनों बच्चियों को सुरक्षित रखा है.
20 दिन तक पड़ोसी से मांगा खाना
पड़ोसी पप्पू सिंह का कहना है कि शायद यह मामला अभी और दिन ना खुल पाता. इसके खुलने की सबसे बड़ी वजह थी इन दोनों बच्चियों का लगभग 20 दिन से लगातार घर से बाहर निकलना, क्योंकि घर में राशन पूरी तरह से खत्म हो चुका था और 20 दिनों से सुबह शाम का खाना यह दोनों बच्चियां मेरे घर से ही लेकर जा रही थीं. सबसे बड़ी बात यह है कि यह दोनों अपने लिए ही खाना लेती थी, मां के लिए खाना ले जाने के लिए पूछने पर करती थी की मम्मी नहीं खाएंगी, उन्हें भूख नहीं है.
शव की दुर्गंध के साथ रहने की आदी हो गईं
इतना ही नहीं दोनों बहने शव की दुर्गंध के साथ रहने की आदि भी हो गई थी. उन्होंने पूछताछ में बताया है की शव से निकलने वाले कीड़े अक्सर घर की जमीन पर चलते थे, जिसे वह झाड़ू लगाकर हटा देती थी और साफ सफाई करके वहीं पर रहती थीं. खाना पीना भी वही खा लेती थ. उन्हें आदत पड़ गई थी, उस स्थिति में रहने की.
राशन के लिए मां के गहने 19000 रुपए में बेचे
इन्होंने ने अपने खर्च को पूरा करने के लिए फरवरी 2023 से लेकर जुलाई 2023 तक अपनी मां के 19000 के गहने बेचे थे. जिनमें एक बार 12000 और एक बार 7000 के गहनों को बेचकर यह अपनी जरूरत को पूरा कर रही थीं. दीपावली के समय भी यह लोग अपने घर में ही कैद थी. पड़ोस के लोग जब उनके घर में लगे अशोक के पेड़ से पत्तियां तोड़ने गए तो लोगों को अंदर नहीं घुसने दिया गया था. हालांकि बाद में मिठाई का डिब्बा लेकर पहुंचने पर बड़ी बेटी ने आधा गेट खोलकर डिब्बा ले लिया और फिर जाने के लिए कहा.
पड़ोसियों को इस वजह से होता था शक
पड़ोसियों का कहना है हमें कई बार शक इसलिए भी होता था की छत पर यह दोनों बराबर दिखाई देती थी और अपने कपड़े सुखाने के लिए आती थी लेकिन इनकी मां उषा त्रिपाठी ना कभी दिखती थी ना उनके कभी कपड़े या कोई भी समान दिखाई नहीं देता था. इससे शक सभी को था कि कुछ गड़बड़ हुई है लेकिन कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था. पड़ोस की अनीता का कहना है कि इन लोगों की एक्टिविटी हमेशा से बड़ी गड़बड़ थी.
मां की ज्वैलरी और साड़ी पहनकर छत पर घूमती थीं
कुछ दिन पहले ही यह लोग अपनी मां की साड़ी और कुछ ज्वैलरी पहन कर सज धज कर घर की छत पर घूम रही थीं. कभी हंसती थी, कभी तेज-तेज से रोती थी और कभी तालियां बजा कर नाचती थी. उनकी यह एक्टिविटी अक्सर हम लोगों के घर तक सुनाई देती थी.
ये भी पढ़ेंः बेटी को चाहिए था 10 लाख का लोन, इसलिए मां के शव के साथ एक साल तक सोती रहीं