लखनऊ : केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में स्पेशल सेशन बुलाने की नोटिफिकेशन जारी किया गया है. इसके साथ ही वन नेशन वन इलेक्शन के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया है. पूरे देश में वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा तेज हो गई है. ऐसे में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में निर्वाचन आयोग के स्तर पर क्या तैयारी है. अभी तक विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होते रहे हैं. तो इन दोनों चुनाव की वोटर लिस्ट भी अलग-अलग हैं. उत्तर प्रदेश में निर्वाचन आयोग किस प्रकार से दोनों चुनाव के एक साथ होने पर मतदाता सूची का काम कैसा आगे बढ़ेगा.
दरअसल उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अभी तक एक मतदाता सूची पर भी काम पूरी तरह से नहीं हो पाया है. कई बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा लोकसभा की मतदाता सूचियां को एक करने की पहल शुरू हुई, लेकिन इस पर कोई काम अभी आगे नहीं बढ़ पाया. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भी यह काम आगे बढ़ाने की कोशिश जरूर हुई, लेकिन निर्वाचन आयोग के साथ-साथ जिला स्तर पर निर्वाचन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह काम आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के साथ ही पंचायत चुनाव भी एक साथ कराए जाने की पहल होती रही, लेकिन इस पर भी काम आगे नहीं बढ़ पाया.
अब जब केंद्र सरकार के स्तर पर एक देश एक चुनाव की बात हो रही है तो इसमें तमाम तकनीकी पहलू भी हैं. अगर विधानसभा लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाने की बात हो रही है तो जानकारों का कहना है कि लोकसभा विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के साथ ही नगर निकाय के चुनाव और पंचायत के चुनाव भी एक साथ कराए जाएंगे तभी इसकी मंशा सफल हो पाएगी. वन नेशन वन इलेक्शन के लिए तमाम स्तरों पर तमाम तरह के काम किए जाने की आवश्यकता है. सबसे पहले उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में भौगोलिक दृष्टि से मतदाता केंद्र का निर्धारण के साथ ही सभी चुनाव की एक मतदाता सूची बनाए जाने की व्यवस्था करनी होगी. सबसे पहले उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भले ही पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस काम को आगे बढ़ाया जाए, तभी इसमें क्या-क्या चुनौतियां आएंगी. उनका निदान करते हुए इस काम को अंतिम रूप दिया जा सकेगा.
उत्तर प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी रहे अजय शुक्ला का कहना है कि मतदाता सूची यह करने की पहल शुरू हुई थी, लेकिन यह काम आगे नहीं बढ़ पाया इसके पीछे तमाम तरह के कारण सामने आए थे. उत्तर प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग में विशेष कार्य अधिकारी के पद पर कार्यरत एसके सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में करीब एक दशक पहले विधानसभा पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव की मतदाता सूची तैयार करने की पहल शुरू हुई थी. भारत निर्वाचन आयोग को प्रस्ताव भी भेजा गया था. मुजफ्फरनगर जिले की खतौली और बाराबंकी जिले को इसके लिए पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल करते हुए अभियान भी शुरू कराया गया था. इसमें केंद्रीय निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी राज्य निर्वाचन आयोग और दोनों जिला प्रशासन के स्तर से कार्यवाही होनी थी, लेकिन यह काम आगे नहीं बढ़ पाया. अब भविष्य में केंद्रीय निर्वाचन आयोग के स्तर पर जिस प्रकार की दिशा निर्देश आएंगे. उसके अनुरूप ही इस काम को आगे बढ़ाया जा सकेगा, लेकिन सबसे पहले यह जरूरी है कि एक मतदाता सूची पर ठीक से कम हो सके, जो सबसे बड़ा काम उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए अनिवार्य है.
राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त रहे एसके अग्रवाल का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन की बात तो शुरू हुई है, लेकिन जब तक इसका पूरा ड्राफ्ट तैयार नहीं हो जाएगा. इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा. यह जरूरी है कि वन नेशन वन इलेक्शन की जो परिकल्पना तैयार की जा रही है यह तभी साकार हो पाएगी. जब लोकसभा विधानसभा नगर निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराया जाए. इसके साथ ही चुनाव के दौरान कर्मचारियों की क्षमता सुरक्षा व्यवस्था आदि का भी काम किस प्रकार से आगे बढ़ेगा. कैसे सभी चीज संतुलित रहेगी. ऐसे तमाम बिंदुओं पर अभी विस्तार से चर्चा और फिर उसके अनुरूप रूपरेखा तैयार करनी होगी. भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश नवदीप रिणवा का कहना है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग के स्तर पर समय-समय पर मिलने वाले दिशा निर्देश के आधार पर आयोग में काम होते हैं. भविष्य में जिस प्रकार से दिशा निर्देश आयोग को मिलेंगे उसकी अनुरूप ही आगे की कार्य योजना बनाकर काम किया जाएगा.