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श्मशान में खाक होने के लिए मरने के बाद भी अस्पतालों के चक्कर काटती रही गर्भवती - हैदराबाद में अस्पताल की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला पावनी की मौत

तेलंगाना में एक गर्भवती महिला मरने के बाद भी अस्पतालों के चक्कर काटती रही. पहले तो निजी अस्पतालों के चक्कर काटते-काटते उसकी मौत हो गई और फिर श्मशान में खाक होने से पहले भी उसे अस्पतालों की ठोकरें खानी पड़ी. मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

पावनी
पावनी
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Published : May 15, 2021, 5:25 PM IST

हैदराबाद: कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में ऐसी तस्वीरें और खबरें सामने आ रही हैं जिनसे इंसानियत शर्मसार हो रही है. कोरोना से मौत के बाद कईयों को अपनों का साथ नहीं मिल रहा तो कईयों के अपने ही चिता को मुखाग्नि देने भी नहीं आ रहे हैं तो कईयों का मौत के बाद भी चिता की दाह संस्कार के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. ताजा मामला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का है जहां एक गर्भवती महिला ने अस्पताल की लापरवाही के चलते दम तोड़ दिया और जब बारी अंतिम संस्कार की आई तो उसकी लाश को श्मशान से भी लौटा दिया गया.

मौत तो शुरुआत है...

ये शब्द किसी सत्संग में आपने जरूर सुने होंगे. लेकिन हैदराबाद के मल्लापुर की पावनी के लिए एक सच्चाई थी क्योंकि उसके लिए मौत उस दर्द की शुरुआत थी जिससे उसके जिस्म को दर्द से छुटकारा तो मिल गया लेकिन उसकी आत्मा को दर्द अभी और झेलना शेष था. पावनी की मौत के बाद जो कुछ हुआ उससे इंसानियत भी तिल तिलकर मरती रही.

अस्पताल की लापरवाही ने ली पावनी की जान
अस्पताल की लापरवाही ने ली पावनी की जान

पूरा मामला क्या है

पावनी 9 महीने की गर्भवती थी और उसके स्वास्थ्य की देखभाल एक स्थानीय निजी अस्पताल के डाक्टर द्वारा रेगुलर किया जा रहा था. पावनी को थकावट महसूस होने लगी तो शुक्रवार सुबह वो उसी अस्पताल पहुंची जहां वो अपना नियमित चेकअप करवाया करती थी. लेकिन कोरोना के डर से अस्पताल ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया. पावनी अपनी मां के साथ एंबुलेंस में दूसरे, तीसरे और फिर कई अस्पताल के चक्कर काटे लेकिन किसी ने भी उसे भर्ती नहीं किया. हालांकि अस्पतालों में मिलने वाले लोग उसे किसी दूसरे अस्पताल या प्रसूति अस्पताल में जाने का मशवरा देते रहे. लेकिन 9 महीने की पावनी के धरती के भगवान यानि डॉक्टर तक पहुंचना जैसे नामुमकिन हो गया.

पावनी एंबुलेंस में बैठकर एक से दूसरे फिर अन्य अस्पताल में अपने दर्द की दवा खोजती रही लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. लेकिन मौत तो पावनी के लिए सिर्फ शुरुआत थी. पावनी की मौत के बाद उसकी मां ने बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों से काफी मिन्नतें की लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो चुकी है.

पावनी के शव को परिजन अंतिम संस्कार के लिए श्मशान पहुंचे तो वहां से भी उसे लौटा दिया गया क्योंकि वो गर्भवती थी. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक गर्भवती महिला का अंतिम संस्कार नहीं हो सकता. जब तक कि उसके गर्भ से उसके बच्चे को अलग नहीं किया जाता क्योंकि ऐसी मान्यता है कि मृ़त शरीर को सारे बंधनों से मुक्त करने के पश्चात ही दाह संस्कार किया जाता है.

पावनी का अंतिम संस्कार
पावनी का अंतिम संस्कार

मरने के बाद भी पावनी ने काटे अस्पतालों के चक्कर

जीते जी अस्पताल के चक्कर काटने वाली पावनी को मरने के बाद भी चैन नहीं मिला. अरथी पर लेटकर श्मशान पहुंच चुकी पावती को जब मरघट से भी लौटा दिया तो उसके परिजन फिर अस्पतालों के चक्कर काटने लगे, फर्क बस इतना था कि इस बार वो किसी से खुद मिन्नतें नहीं कर रही थी. परिजन पावनी की लाश को लेकर पांच अस्पतालों में गए लेकिन कहीं भी उसकी मृत शरीर का ऑपरेशन नहीं हुआ. आखिरकार पावनी और उसके बच्चे को स्थानीय अस्पताल में ऑपरेशन के बाद उसके गर्भ से अलग किया गया. तब जाकर शनिवार के दिन पावनी को श्मशान की आग नसीब हो पाई. पावनी और उसके बच्चे का अलग-अलग हुआ अंतिम संस्कार.

जांच के आदेश

दो जिंदगियां लापरवाही की भेंट चढ़ गई और अब जांच का हवाला देकर लकीर पीटी जा रही है. मेडचल मल्काजगिरी जिले की कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पावनी के घर जाकर परिजनों से पूरे की जानकारी जुटाई है. लेकिन ये तो हर मौत के बाद का दस्तूर हो गया है जब कोई जिंदगी लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है और फिर जांच की लकीर पीटी जाती है.

पावनी की मौत के बाद जांच के आदेश
पावनी की मौत के बाद जांच के आदेश

अस्पतालों पर सवाल

देशभर में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ इन दिनों कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में दिन रात जुटे हुए हैं. लेकिन वहीं कुछ अस्पतालों की लापरवाही जिंदगियों पर भारी पड़ रही है. सवाल है कि जब 9 महीने की गर्भवती पावनी अस्पताल के चक्कर काटती रही तो उसे इलाज क्यों नहीं मिला. अगर उसे कोई अस्पताल भर्ती कर लेता तो शायद आज पावनी और उसका बच्चा जिंदा होता और वो इंसानियत भी जो पावनी की लाश के साथ खाक हो गई. जिंदा रहते तो छोड़िये श्मशान में खाक होने के लिए भी उसे अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े. सवाल है कि ऐसे लापरवाह अस्पतालों के खिलाफ कब और क्या एक्शन होगा. एक सवाल यह भी है कि जब पावनी का रेगुलर चेकअप उस अस्पताल द्वारा किया जा रहा था तब उसने आखिरी वक्त पर कैसे मना कर दिया और वो भी सिर्फ कोरोना के डर की वजह से ऐसा किया गया. कोरोना की पुष्टि के लिए भी पावनी की जांच नहीं करवाई गई.

ये भी पढ़ें:कोरोना क्या ना दिखाए, इस शहर में अंतिम संस्कार के लिए होगी ऑनलाइन बुकिंग

हैदराबाद: कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में ऐसी तस्वीरें और खबरें सामने आ रही हैं जिनसे इंसानियत शर्मसार हो रही है. कोरोना से मौत के बाद कईयों को अपनों का साथ नहीं मिल रहा तो कईयों के अपने ही चिता को मुखाग्नि देने भी नहीं आ रहे हैं तो कईयों का मौत के बाद भी चिता की दाह संस्कार के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. ताजा मामला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का है जहां एक गर्भवती महिला ने अस्पताल की लापरवाही के चलते दम तोड़ दिया और जब बारी अंतिम संस्कार की आई तो उसकी लाश को श्मशान से भी लौटा दिया गया.

मौत तो शुरुआत है...

ये शब्द किसी सत्संग में आपने जरूर सुने होंगे. लेकिन हैदराबाद के मल्लापुर की पावनी के लिए एक सच्चाई थी क्योंकि उसके लिए मौत उस दर्द की शुरुआत थी जिससे उसके जिस्म को दर्द से छुटकारा तो मिल गया लेकिन उसकी आत्मा को दर्द अभी और झेलना शेष था. पावनी की मौत के बाद जो कुछ हुआ उससे इंसानियत भी तिल तिलकर मरती रही.

अस्पताल की लापरवाही ने ली पावनी की जान
अस्पताल की लापरवाही ने ली पावनी की जान

पूरा मामला क्या है

पावनी 9 महीने की गर्भवती थी और उसके स्वास्थ्य की देखभाल एक स्थानीय निजी अस्पताल के डाक्टर द्वारा रेगुलर किया जा रहा था. पावनी को थकावट महसूस होने लगी तो शुक्रवार सुबह वो उसी अस्पताल पहुंची जहां वो अपना नियमित चेकअप करवाया करती थी. लेकिन कोरोना के डर से अस्पताल ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया. पावनी अपनी मां के साथ एंबुलेंस में दूसरे, तीसरे और फिर कई अस्पताल के चक्कर काटे लेकिन किसी ने भी उसे भर्ती नहीं किया. हालांकि अस्पतालों में मिलने वाले लोग उसे किसी दूसरे अस्पताल या प्रसूति अस्पताल में जाने का मशवरा देते रहे. लेकिन 9 महीने की पावनी के धरती के भगवान यानि डॉक्टर तक पहुंचना जैसे नामुमकिन हो गया.

पावनी एंबुलेंस में बैठकर एक से दूसरे फिर अन्य अस्पताल में अपने दर्द की दवा खोजती रही लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. लेकिन मौत तो पावनी के लिए सिर्फ शुरुआत थी. पावनी की मौत के बाद उसकी मां ने बच्चे को बचाने के लिए डॉक्टरों से काफी मिन्नतें की लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो चुकी है.

पावनी के शव को परिजन अंतिम संस्कार के लिए श्मशान पहुंचे तो वहां से भी उसे लौटा दिया गया क्योंकि वो गर्भवती थी. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक गर्भवती महिला का अंतिम संस्कार नहीं हो सकता. जब तक कि उसके गर्भ से उसके बच्चे को अलग नहीं किया जाता क्योंकि ऐसी मान्यता है कि मृ़त शरीर को सारे बंधनों से मुक्त करने के पश्चात ही दाह संस्कार किया जाता है.

पावनी का अंतिम संस्कार
पावनी का अंतिम संस्कार

मरने के बाद भी पावनी ने काटे अस्पतालों के चक्कर

जीते जी अस्पताल के चक्कर काटने वाली पावनी को मरने के बाद भी चैन नहीं मिला. अरथी पर लेटकर श्मशान पहुंच चुकी पावती को जब मरघट से भी लौटा दिया तो उसके परिजन फिर अस्पतालों के चक्कर काटने लगे, फर्क बस इतना था कि इस बार वो किसी से खुद मिन्नतें नहीं कर रही थी. परिजन पावनी की लाश को लेकर पांच अस्पतालों में गए लेकिन कहीं भी उसकी मृत शरीर का ऑपरेशन नहीं हुआ. आखिरकार पावनी और उसके बच्चे को स्थानीय अस्पताल में ऑपरेशन के बाद उसके गर्भ से अलग किया गया. तब जाकर शनिवार के दिन पावनी को श्मशान की आग नसीब हो पाई. पावनी और उसके बच्चे का अलग-अलग हुआ अंतिम संस्कार.

जांच के आदेश

दो जिंदगियां लापरवाही की भेंट चढ़ गई और अब जांच का हवाला देकर लकीर पीटी जा रही है. मेडचल मल्काजगिरी जिले की कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पावनी के घर जाकर परिजनों से पूरे की जानकारी जुटाई है. लेकिन ये तो हर मौत के बाद का दस्तूर हो गया है जब कोई जिंदगी लापरवाही की भेंट चढ़ जाती है और फिर जांच की लकीर पीटी जाती है.

पावनी की मौत के बाद जांच के आदेश
पावनी की मौत के बाद जांच के आदेश

अस्पतालों पर सवाल

देशभर में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ इन दिनों कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में दिन रात जुटे हुए हैं. लेकिन वहीं कुछ अस्पतालों की लापरवाही जिंदगियों पर भारी पड़ रही है. सवाल है कि जब 9 महीने की गर्भवती पावनी अस्पताल के चक्कर काटती रही तो उसे इलाज क्यों नहीं मिला. अगर उसे कोई अस्पताल भर्ती कर लेता तो शायद आज पावनी और उसका बच्चा जिंदा होता और वो इंसानियत भी जो पावनी की लाश के साथ खाक हो गई. जिंदा रहते तो छोड़िये श्मशान में खाक होने के लिए भी उसे अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े. सवाल है कि ऐसे लापरवाह अस्पतालों के खिलाफ कब और क्या एक्शन होगा. एक सवाल यह भी है कि जब पावनी का रेगुलर चेकअप उस अस्पताल द्वारा किया जा रहा था तब उसने आखिरी वक्त पर कैसे मना कर दिया और वो भी सिर्फ कोरोना के डर की वजह से ऐसा किया गया. कोरोना की पुष्टि के लिए भी पावनी की जांच नहीं करवाई गई.

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