बेंगलुरू: उच्च न्यायालय ने बेलगावी जेल के मुख्य अधीक्षक कृष्ण कुमार के खिलाफ वी के शिशिकला को विशेष सुविधाएं प्रदान करने के आरोपों के संबंध में अभियोजन पक्ष को पूर्व स्वीकृति देने में सरकार की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है. तब शशिकला परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल में अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप में सजा काट रही थी. न्यायमूर्ति के नटराजन ने तीन आरोपी जेल कर्मचारियों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई की.
इस याचिका में सरकार के 2021 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें सरकार ने उनके खिलाफ अलग से केस चलाने की अनुमति दी थी. याचिकाएं गजराजा ने दायर की थीं, जो उस समय कर्नाटक राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल में पुलिस उप-निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे. जिन्हें केंद्रीय जेल सुरक्षा में तैनात किया गया था. उनके साथ केंद्रीय जेल की तत्कालीन सहायक अधीक्षक अनीता आर, तत्कालीन मुख्य अधीक्षक केंद्रीय कारागार कृष्ण कुमार ने भी सरकार के खिलाफ याचिकायें दायर की थीं.
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इस बीच, अदालत ने कहा कि सरकार कृष्ण कुमार कुमार के खिलाफ एक दूसरी याचिका दायर कर सकती है. अदालत ने कहा कि अभियोजन की अनुमति को रद्द करने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि सरकारी अधिकारी ने यह आदेश पारित करते समय 'दिमाग का उपयोग' नहीं किया. अदालत ने कहा कि मंजूरी देने वाले प्राधिकरण ने इस तथ्य की अनदेखी की थी कि जांच एजेंसी ने एच.एन. सत्यनारायण राव के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की थी.
सत्यनारायण राव, एक सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक (जेल), जिन्हें याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देते समय सरकार द्वारा दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया था. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अभियोजन की मंजूरी सिर्फ गजराजा, कुमार और अनीता आर के खिलाफ दिया है. जबकि उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है.
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डॉ. अनीता पर लगे आरोपों पर अदालत ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी देने वाले प्राधिकरण ने उसी आरोप पर उसके खिलाफ विभागीय जांच को रद्द कर दिया था. फिर उसी प्राधिकरण ने विभागीय जांच की अनदेखी करते हुए बिना दिमाग लगाए उन्हीं आरोपों पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. कुमार के आरोपों पर कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ रिश्वत की मांग या इसकी स्वीकृति के संबंध में कोई विशेष आरोप नहीं था, आरोप के मुताबिक वह शशिकला को उच्च सुरक्षा दे रहे थे जबकि उनकी जान को कोई खतरा नहीं था.
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