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छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट, जानें वजह

छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थापित पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. लगभग सभी पावर प्लांट के पास कोयले की कमी बनी हुई है. अगर यही हाल रहा तो छत्तीसगढ़ के साथ कई राज्यों में ऊर्जा संकट पैदा हो सकता है.

बिजली संकट
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Published : Sep 30, 2021, 12:23 AM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अन्य राज्यों को बिजली प्रदाय करने वाली ऊर्जाधानी कोरबा में स्थापित पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. लगभग सभी पावर प्लांट (power plant) के पास इन दिनों कोयले की कमी बनी हुई है. अधिक बारिश और अन्य कारणों से एसईसीएल (SECL) की कोयला खदानों में कोयला उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. कम कोयला उत्पादन का असर यह हुआ कि बिजली संयंत्रों को आवश्यक मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

नियमत: पावर प्लांट के पास कम से कम 15 दिनों का कोयले का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह स्टॉक महज 2-3 दिनों का ही है. कोयले की कमी की वजह से कोरबा ईस्ट पावर प्लांट (Korba East Power Plant) की 210 मेगावाट की एक विद्युत उत्पादन इकाई को बंद करना पड़ा है.

छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट

यदि समय रहते कोयले का उत्पादन बढ़ा कर विद्युत संयंत्रों को इसकी आपूर्ति का ठोस इंतजाम नहीं किया गया, तो बिजली संकट और ऊर्जा संकट (power crisis) के हालात पैदा हो सकते हैं. इससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी कोयले की समस्या खड़ी हो सकती है.

उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ा एसईसीएल
एसईसीएल की कोयला खदानों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 176 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन पिछली तिमाही में ही निर्धारित लक्ष्य का केवल 76 फीसदी उत्पादन ही पूरा हो सका है. पिछली तिमाही में एसईसीएल को 12.03 मिलियन टन कोयले का उत्पादन (Coal production) करना था, लेकिन इस लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ 9.18 मिलियन टन कोयले का उत्पादन ही किया जा सका. कम उत्पादन के कारण ही अब विद्युत संयंत्रों को निर्धारित मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

बिजली संयंत्रों में कोयला संकट
कोयले की कमी के साथ ही बरसात में खराब क्वालिटी के कोयले की भी आपूर्ति एसईसीएल द्वारा विद्युत संयंत्रों को की जा रही है. अधिकारियों का यहां तक कहना है कि इस तरह से कोयले की आपूर्ति के कारण ही पावर प्लांट से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. एचटीपीपी कोरबा वेस्ट पावर प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट को कोयले की कमी की वजह से बंद करना पड़ गया है. एचटीपीपी में अब महज 55 हजार टन कोयले का स्टॉक है, जोकि तीन दिन तक ही चलेगा.

इसके अलावा डीएसपीएम में 30 हजार टन कोयले का स्टॉक है, जोकि चार दिनों तक ही बिजली उत्पादन के लिए काम में लाया जा सकता है. इसके पश्चात यदि तत्काल कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो बिजली संयंत्रों को कोयले की कमी की वजह से बंद करने की नौबत पैदा हो जाएगी.

बिजली देने का भी है दबाव
एक ओर जहां कोयला खदानों से विद्युत संयंत्रों को मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, वहीं राज्य में इन दिनों बिजली की डिमांड भी बढ़ गई है. आमतौर पर राज्य भर से बिजली की डिमांड 1600 से 2000 मेगावाट के मध्य रहती है. वर्तमान में यह डिमांड 3000 मेगावाट तक जा पहुंची है. ऐसे में बिजली संयंत्रों पर मांग के अनुरूप बिजली आपूर्ति का भी दबाव बना हुआ है.

राज्य के विद्युत संयंत्रों से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित तेलंगाना जैसे राज्यों को भी बिजली आपूर्ति की जाती है. अगर पावर प्लांट की स्थिति ऐसी रही तो इन राज्यों में बिजली संकट गहरा सकता है.

जिले में पावर प्लांट
कोरबा जिले में एनटीपीसी 2600 मेगावाट, बालको 540, 1200 मेगावाट, डीएसपीएम 500 मेगावाट, कोरबा ईस्ट 500 मेगावाट, कोरबा वेस्ट 840, 500 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट स्थापित हैं, जोकि कोयला आधारित पावर प्लांट है. जिले में थर्मल पॉवर प्लांट के विद्युत उत्पादन की क्षमता 6000 मेगावाट से ज्यादा है, लेकिन यह सभी मिल कर औसतन 3650 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं.

डायरेक्टर टेक्निकल का दावा, नहीं होने देंगे कोयले की कमी
हाल ही में जिले के दौरे पर पहुंचे कोल इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर टेक्निकल विनय दयाल ने कोयला उत्पादन में आई कमी पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने अधिकारियों की बैठक ली और कोयला उत्पादन बढ़ाने पर उनका फोकस था. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में भी कोयले के दामों में बढ़ोतरी हुई है. इंपोर्ट (import) बंद हो गया है. एक तरफ उत्पादन कम हुआ है तो दूसरी तरफ कोयले की मांग में बढ़ोतरी हुई है.

यह भी पढ़ें- कोरबा में 'गेवरा कोयला खदान' का नहीं होगा विस्तार

कोरबा : छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अन्य राज्यों को बिजली प्रदाय करने वाली ऊर्जाधानी कोरबा में स्थापित पावर प्लांट इन दिनों कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. लगभग सभी पावर प्लांट (power plant) के पास इन दिनों कोयले की कमी बनी हुई है. अधिक बारिश और अन्य कारणों से एसईसीएल (SECL) की कोयला खदानों में कोयला उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है. कम कोयला उत्पादन का असर यह हुआ कि बिजली संयंत्रों को आवश्यक मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

नियमत: पावर प्लांट के पास कम से कम 15 दिनों का कोयले का स्टॉक होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह स्टॉक महज 2-3 दिनों का ही है. कोयले की कमी की वजह से कोरबा ईस्ट पावर प्लांट (Korba East Power Plant) की 210 मेगावाट की एक विद्युत उत्पादन इकाई को बंद करना पड़ा है.

छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट

यदि समय रहते कोयले का उत्पादन बढ़ा कर विद्युत संयंत्रों को इसकी आपूर्ति का ठोस इंतजाम नहीं किया गया, तो बिजली संकट और ऊर्जा संकट (power crisis) के हालात पैदा हो सकते हैं. इससे न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी कोयले की समस्या खड़ी हो सकती है.

उत्पादन लक्ष्य से पिछड़ा एसईसीएल
एसईसीएल की कोयला खदानों को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 176 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लेकिन पिछली तिमाही में ही निर्धारित लक्ष्य का केवल 76 फीसदी उत्पादन ही पूरा हो सका है. पिछली तिमाही में एसईसीएल को 12.03 मिलियन टन कोयले का उत्पादन (Coal production) करना था, लेकिन इस लक्ष्य के विरुद्ध सिर्फ 9.18 मिलियन टन कोयले का उत्पादन ही किया जा सका. कम उत्पादन के कारण ही अब विद्युत संयंत्रों को निर्धारित मात्रा में कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.

बिजली संयंत्रों में कोयला संकट
कोयले की कमी के साथ ही बरसात में खराब क्वालिटी के कोयले की भी आपूर्ति एसईसीएल द्वारा विद्युत संयंत्रों को की जा रही है. अधिकारियों का यहां तक कहना है कि इस तरह से कोयले की आपूर्ति के कारण ही पावर प्लांट से बिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है. एचटीपीपी कोरबा वेस्ट पावर प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट को कोयले की कमी की वजह से बंद करना पड़ गया है. एचटीपीपी में अब महज 55 हजार टन कोयले का स्टॉक है, जोकि तीन दिन तक ही चलेगा.

इसके अलावा डीएसपीएम में 30 हजार टन कोयले का स्टॉक है, जोकि चार दिनों तक ही बिजली उत्पादन के लिए काम में लाया जा सकता है. इसके पश्चात यदि तत्काल कोयले की आपूर्ति नहीं हुई तो बिजली संयंत्रों को कोयले की कमी की वजह से बंद करने की नौबत पैदा हो जाएगी.

बिजली देने का भी है दबाव
एक ओर जहां कोयला खदानों से विद्युत संयंत्रों को मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, वहीं राज्य में इन दिनों बिजली की डिमांड भी बढ़ गई है. आमतौर पर राज्य भर से बिजली की डिमांड 1600 से 2000 मेगावाट के मध्य रहती है. वर्तमान में यह डिमांड 3000 मेगावाट तक जा पहुंची है. ऐसे में बिजली संयंत्रों पर मांग के अनुरूप बिजली आपूर्ति का भी दबाव बना हुआ है.

राज्य के विद्युत संयंत्रों से गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित तेलंगाना जैसे राज्यों को भी बिजली आपूर्ति की जाती है. अगर पावर प्लांट की स्थिति ऐसी रही तो इन राज्यों में बिजली संकट गहरा सकता है.

जिले में पावर प्लांट
कोरबा जिले में एनटीपीसी 2600 मेगावाट, बालको 540, 1200 मेगावाट, डीएसपीएम 500 मेगावाट, कोरबा ईस्ट 500 मेगावाट, कोरबा वेस्ट 840, 500 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट स्थापित हैं, जोकि कोयला आधारित पावर प्लांट है. जिले में थर्मल पॉवर प्लांट के विद्युत उत्पादन की क्षमता 6000 मेगावाट से ज्यादा है, लेकिन यह सभी मिल कर औसतन 3650 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं.

डायरेक्टर टेक्निकल का दावा, नहीं होने देंगे कोयले की कमी
हाल ही में जिले के दौरे पर पहुंचे कोल इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर टेक्निकल विनय दयाल ने कोयला उत्पादन में आई कमी पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने अधिकारियों की बैठक ली और कोयला उत्पादन बढ़ाने पर उनका फोकस था. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में भी कोयले के दामों में बढ़ोतरी हुई है. इंपोर्ट (import) बंद हो गया है. एक तरफ उत्पादन कम हुआ है तो दूसरी तरफ कोयले की मांग में बढ़ोतरी हुई है.

यह भी पढ़ें- कोरबा में 'गेवरा कोयला खदान' का नहीं होगा विस्तार

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