चेन्नई : कहते हैं कि हौसला अगर बुलंद हो तो मंजिल एक न एक दिन जरूर मिलती है. कर्नाटक की चेतना ने इस कहावत को सच साबित कर दिया है. जिंदगी की तमाम तकलीफों से जूझते हुए एक गरीब परिवार की होनहार बेटी ने अपनी कड़ी मेहनत से जज बन कर अपने मां- बाप ही नहीं, बल्कि गांव का भी नाम रोशन किया है.
बता दें, चेतना दक्षिणपूर्व जिले स्थित धर्मस्थला गांव के नारिया में एक गरीब परिवार में पैदा हुई. चेतना रमन्ना पूजारी और सीता की बेटी हैं. बता दें रमन्ना पूजारी और सीता के तीन बेटे और एक बेटी हैं. गरीब पिता मजदूरी करके घर में दो वक्त की रोटी कमाते हैं. मां घर में दो पैसा लाने के लिए बीड़ी बांधती हैं. इन सभी परेशानियों को देख चेतना ने अपने माता-पिता की मदद करने के लिए शिक्षा छोड़ कर नौकरी करने का फैसला किया था, लेकिन मां ने शिक्षा जारी रखने के लिए मजबूर किया और मां-बेटी मैंगलोर चली गईं. जिसके बाद चेतना ने एसडीएम लॉ कॉलेज में एलएलबी कोर्स में दाखिला लिया और उसमें सफलता भी अर्जित की.
चेतना की पढ़ाई
चेतना ने कक्षा पहली से छठवीं तक पेरने कन्नड़ मीडियम स्कूल में पढ़ाई की.
सातवीं कक्षा की शिक्षा कान्यादि सरकारी स्कूल में पूरी की.
शासकीय महाविद्यालय बेलथांगडी से चेतना ने बारवीं तक की पढ़ाई पूरी की.
2016 में मैंगलोर के श्री धर्मस्थला मंजुनाथेश्वरा लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की.
कानून करियर की शुरुआत
चेतना ने कर्नाटक बेलथांगडी के वकील केशव पी. बेलालु के कार्यालय में अपना कानूनी करियर शुरू किया.
कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी.ए पाटिल के नेतृत्व में क्लार्क अनुसंधान सहायक के रूप में कार्य किया.
कर्नाटक उच्च न्यायालय में वकील शिवप्रसाद शांतनगौदर के कार्यालय में एक जूनियर वकील के रूप में काम किया.
सफलता ने थामा हाथ
कर्नाटक के धर्मस्थला गांव की चेतना कर्नाटक उच्च न्यायालय की 2020 सिविल जज परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई है.
गर्व है मुझे चेतना पर : मां
ईटीवी भारत से बात करते हुए चेतन की मां सीता ने कहा बच्चे बिना तनाव के शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. मैंने सिर्फ पहली कक्षा तक पढ़ाई की, लेकिन अपनी बेटी को पढ़ाने में दिन-रात मेहनत की. बच्चों को शिक्षित करना समाज में एक मुश्किल काम है. बेटी की उपलब्धि वास्तव में मुझे गौरवान्वित किया है. चेतना ने कड़ी मेहनत की. चेतना जैसी बेटी पाकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं और गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.
मां ने कहा था अच्छे दिन आएंगे : चेतना
ईटीवी भारत से सिविल जज चेतना ने फोन पर बात की. चेतना ने कहा पिता और मां ने दिन-रात कड़ी मेहनत करके मुझे शिक्षित किया है. पैसे की समस्या के बावजूद माता-पिता ने हमारी मांग पूरी की. मां हमेशा कहती थी अच्छे दिन आएंगे, जीवन कठिन होने पर दुखी मत होना. एलएलबी की पढ़ाई के दौरान मुझे चार साल के लिए घर से कॉलेज तक का सफर रोज तय करना पड़ा, क्योंकि मेरे पास हॉस्टल में रहने के लिए पैसे नहीं थे. लेकिन मैंने मेहनत कर अपने मां-बाप का नाम रोशन किया है.