बेंगलुरू : नए सेशन 2022-23 के दौरान कर्नाटक के कॉलेजों में प्री यूनिवर्सिटी कोर्स करने वाले स्टूडेंट को यूनिफॉर्म पहनना ही होगा. हिजाब विवाद को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने प्री यूनिवर्सिटी कोर्स (Pre University Course) में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दिया है.
कर्नाटक में एसएसएलसी (क्लास-10) के रिजल्ट गुरुवार को घोषित किए गए. इस साल लगभग 8.53 लाख छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिनमें 85.63 प्रतिशत स्टूडेंट पास हो गए. शुक्रवार से कॉलेजों में प्री यूनिवर्सिटी कोर्सेज में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 2020-21 अकैडमिक ईयर में सरकार ने यूनिफॉर्म को अनिवार्य नहीं बनाया गया था, इसलिए पिछले एजुकेशनल सेशन के दौरान राज्य के कई कॉलेजों में हिजाब को लेकर विवाद सामने आया था. इससे सबक लेते हुए सरकार ने एडमिशन से पहले ही प्री यूनिवर्सिटी कोर्स (Pre-University Course) में पढ़ने वाले छात्रों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है. शिक्षा विभाग की ओर से जारी नई गाइडलाइन में कॉलेज यूनिफॉर्म को अनिवार्य बनाया गया है.
एजुकेशन डिपार्टमेंट का कहना है कि नए सेशन के नियम से कॉलेज मैनेजमेंट को क्लासरूम में हिजाब पर बैन लगाने का अधिकार मिल जाएगा. सरकार के इस फैसले पर कई पैरेंट्स और छात्रों ने आपत्ति दर्ज कराई है. हालांकि पिछले साल कर्नाटक हाई कोर्ट की स्पेशल बेंच ने हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए साफ कर दिया था कि सरकार के आदेश के मुताबिक छात्रों को यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य होगा. हाई कोर्ट ने यूनिफॉर्म पहनने के नियम को चुनौती देने वाली और कक्षाओं में हिजाब पहनने के अधिकार की मांग करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया. इसके बाद से यह मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है.
इस बीच शिक्षा विभाग ने नई गाइडलाइन जारी कर हिजाब को लेकर किसी भी तरह के असमंजस को खत्म कर दिया. गाइडलाइन में कहा गया है कि सभी छात्र स्कूल डिवेलपमेंट और मैनेजमेंट कमिटी की ओर से निर्धारित यूनिफॉर्म ही पहनेंगे. यदि किसी कॉलेज या स्कूल ने यूनिफॉर्म का निर्धारण नहीं किया तो यह स्टूडेंट ऐसी ड्रेस पहनकर क्लास में आएंगे, जिससे छात्रों के बीच समानता और एकता बनी रहे. गाइडलाइन में यह रेखांकित किया कि ड्रेस के कारण किसी भी हालत में सार्वजनिक व्यवस्था भंग नहीं होनी चाहिए.
बता दें कि पिछले एजुकेशनल सेशन में कर्नाटक में हिजाब विवाद काफी लंबा चला था. उडुपी से शुरू हुए इस विवाद का असर पूरे राज्य में दिखा था. इसके धार्मिक और राजनीतिक रंग लेने कारण देश और विदेश की मीडिया में भी इससे जुड़ी घटनाएं सुर्खियां बनी थीं. हिजाब विवाद के बाद ही राज्य में मुस्लिम कारोबारियों के बहिष्कार, हलाल मीट और अजान का मुद्दा गरमाया था.
(आईएएनएस)