रांचीः गरीब परिवारों को थोड़ी राहत देने के लिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने पेट्रोल सब्सिडी योजना चला रखी है. जिसके तहत अधिकतम 10 लीटर हर महीने पेट्रोल खरीदने पर प्रति लीटर 25 रुपये की सब्सिडी उन्हें मिलेगी. सरकार की यह योजना 26 जनवरी से लागू है. शुरुआत में तो इसका लाभ लेने के लिए दो पहिया वाहन रखने वाले गरीबों ने रुचि दिखाई. मगर धीरे धीरे इसकी जटिल प्रक्रिया के कारण लोग सब्सिडी का लाभ नहीं ले रहे हैं.
हकीकत यह है कि जनवरी में 1.25 लाख लोगों ने पेट्रोल सब्सिडी योजना का लाभ लिया. मगर मार्च में संख्या घटकर 23 हजार के करीब हो गई है. रांची के हरमू के रहने वाले कुश कुमार कहते हैं कि सब्सिडी का लाभ लेना बेहद ही मुश्किल है. पहले मोबाइल ऐप के जरिए राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी के सभी कागजात और पेट्रोल का बिल आदि देना पड़ता है. उसके बाद ही आपको सब्सिडी की राशि मिलेगी. यदि इसमें कुछ भी गड़बड़ रहा तो आपको इस लाभ से हाथ धोना पड़ेगा. ऐसे में हर महीने 250 रुपया पाने के लिए कौन मशक्कत करेगा. नगड़ी के मो. मुर्शिद बताते हैं कि जानकारी के अभाव में भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि लाख कोशिशों के बाबजूद उन्हें सब्सिडी की राशि नहीं मिल सकी.
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सरकार चलायेगी जागरुकता अभियानः खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित इस योजना का लाभ उम्मीदों के अनुरूप नहीं मिलने के बाद विभाग अब गरीबों के बीच जागरुकता अभियान चलाने की तैयारी में है. खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव भी मानते हैं कि गरीबों को पेट्रोल सब्सिडी का लाभ कई कारणों से नहीं मिल रहा हैं. उन्होंने कहा कि विभाग के पास इस योजना के तहत पर्याप्त राशि है और सरकार गरीबों को पेट्रोल सब्सिडी की राशि देना चाहती है मगर कुछ भ्रम भी फैलाया गया है. जिस वजह से गरीब इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मोटरसाइकिल रखने वाले गरीबों के बीच यह भ्रम फैला दिया गया है कि यदि वे इसका लाभ लेंगे तो राशनकार्ड खत्म हो जाएगा. ऐसी कोई बात नहीं है इसके अलावे एक बार रजिस्ट्रेशन कर लेने के बाद हमेशा राशि मिलती रहेगी. ऐसा भी नहीं है इसके लिए हर महीने आवेदन करना होगा तभी सब्सिडी राशि उन्हें मिलेगी. बहरहाल हर दिन बढ़ रहे पेट्रोल के दाम से हर कोई परेशान है ऐसे में सरकार की इस योजना से गरीबों को थोड़ी सी ही सही मगर राहत देने की सरकार की मंशा है, लेकिन हकीकत यह है कि सब्सिडी पाने की जटिल प्रक्रिया और लोगों में जागरुकता की कमी के कारण सीएम सपोर्ट योजना उम्मीदों के अनुरूप सफल नहीं हो पा रही है.