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सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में घमासान, सीएम धामी ने लिया बड़ा फैसला, शुरू हुई सियासत

Uttarakhand Land Law उत्तराखंड में बीते दिनों सख्त भू कानून और मूल निवास 1950 को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ. जिसमें प्रदर्शनकारियों के साथ ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए अपने हकों की मांग की. जिसके बाद नये साल के पहले ही दिन उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस पर बड़ा फैसला लिया. राज्य की धामी सरकार ने बाहरी लोगों के लिए उत्तराखंड में कृषि और उद्यान के नाम पर जमीन खरीद पर रोक लगा दी.

Uttarakhand Land Law
सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में घमासान
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 1, 2024, 6:53 PM IST

Updated : Jan 1, 2024, 9:35 PM IST

सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में घमासान

देहरादून( उत्तराखंड): पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में इन दिनों सख्त भू कानून की मांग हो रही है. इसके साथ ही प्रदेशवासी मूल निवास 1950 लागू करने की मांग कर रहे हैं. जिससे उत्तराखंड के संसाधनों के साथ ही सरकारी नौकरियों में मूल निवासियों को फायदा मिल सके. इन दोनों मांगों को लेकर बीते दिनों राजधानी देहरादून में स्वाभिमान रैली का आयोजन किया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में युवा, महिलाएं, बुजुर्ग प्रर्शनकारी पहुंचे. सभी ने एक स्वर में सख्त भू कानून और मूल निवास 1950 के नारे के बुलंद किया. इसके बाद सीएम धामी ने भू कानून को लेकर आज एक बड़ा निर्णय लिया. जिसके बाद प्रदेश में घमासान शुरू हो गया है.

सीएम धामी ने खेला मास्टरस्ट्रोक: उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू किए जाने की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नए साल पर ही बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत अब उत्तराखंड राज्य से बाहर के लोग कृषि एवं उद्यान के नाम पर भूमि नहीं खरीद पाएंगे. इसके लिए सभी जिला अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भी दे दिए गए हैं. अभी तक यह प्रावधान था कि राज्य से बाहरी लोग राज्य में जिला अधिकारी की परमिशन के बाद नगर निगम से बाहर 250 वर्ग मीटर तक कृषि भूमि खरीद सकते थे. इसके लिए पहले उनका वेरिफिकेशन भी कराया जाता था, लेकिन अब जमीन खरीद पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. यह रोक भू कानून प्रारूप समिति की रिपोर्ट आने या फिर अगले आदेश तक के लिए लागू रहेगी.

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भू कानून पर सीएम धामी ने लिया बड़ा फैसला

पढ़ें- भू कानून समिति की रिपोर्ट का परीक्षण करेगी प्रारूप समिति, पांच सदस्यीय कमेटी हुई गठित


2004 में भू-कानून में किया गया था संशोधन: उत्तराखंड राज्य गठन के साथ ही इस बात की मांग उठी थी कि उत्तराखंड राज्य में सख्त भू कानून लागू किया जाए. जिस क्रम में साल 2004 में तात्कालिक मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने उत्तर प्रदेश जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 154 में संशोधन किया. जिसके तहत राज्य में जिसके पास 12 सितंबर 2003 से पहले अचल संपत्ति नहीं है उसको कृषि या औद्यानिकी के लिए भूमि खरीदने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी पड़ेगी. साथ ही नगर निगम क्षेत्र की परिधि से बाहर, राज्य से बाहरी लोग प्रदेश में सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे. इस निर्णय के बाद भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समेत तमाम संगठन सहमत नहीं हुए, बल्कि वो इस बात पर जोर देने लगे की हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी भू कानून लागू किया जाए.

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सख्त भू-कानून की मांग

पढ़ें- स्वाभिमान रैली को लेकर युवाओं में जोश HIGH, कुमाऊं से बड़ी संख्या में देहरादून पहुंचेंगे लोग

2007 में भू कानून को किया गया सख्त: प्रदेश में सख्त भू कानून लागू करने की मांग का मामला न थमने के चलते तत्कालिक मुख्यमंत्री ने बड़ा निर्णय लिया. जिसके तहत तात्कालिक मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने साल 2002 में बनाए गए वह कानून को और अधिक सख्त किया. इसके बाद नगर निगम परिधि से बाहर जमीन खरीदने की सीमा को घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया. उस दौरान इस निर्णय के बाद सख्त भू कानून की मांग उठा रहे लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन मामला इसी पर आकर अटक गया कि अगर इसी तरह का सख्त भू कानून उत्तराखंड में लागू रहेगा तो तमाम उद्योगों को प्रदेश में स्थापित करने में तमाम दिक्कतें हो सकती हैं.

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सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में घमासान

पढ़ें- हमकैं चैं आपण अधिकार' आज देहरादून में गरजेंगे लोग, 'मूल निवास स्वाभिमान महारैली'


2018 में बंदिशों को किया गया समाप्त: साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट से पहले तात्कालिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भू कानून के नियमों में बड़ा बदलाव किया. उन्होंने उत्तराखंड में जमीनों के खरीदने की रह खोल दी. दरअसल, 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालिक सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भू कानून को लेकर एक नया अध्यादेश 'उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम,1950 में संशोधन का विधेयक' पारित किया. जिसमें धारा 143 (क), धारा 154(2) जोड़ी गई. जिसके चलते पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया. इसके अलावा, उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर में भूमि की चकबंदी (सीलिंग) को भी खत्म कर दिया.

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उत्तराखंड में सख्त भू-कानून

पढ़ें- उत्तराखंड में मूल निवास Vs स्थायी निवास की बहस, जानिए आजादी से लेकर अब तक की सिलसिलेवार कहानी


2021 में भू कानून के लिए गठित हुई कमेटी: साल 2018 में तात्कालिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के छूट के बाद उत्तराखंड राज्य में सख्त भू कानून को लेकर एक बार फिर आवाज बुलंद होने लगी. जिसके चलते साल 2021 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त भू-कानून लागू किए जाने को लेकर समिति का गठन किया. पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति में बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, रिटायर्ड आईएएस अरुण कुमार ढौंडियाल, रिटायर्ड आईएएस डी एस गर्ब्याल के सदस्य और तत्कालिक राजस्व सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी बतौर सदस्य सचिव शामिल के रूप में शामिल किया गया. भू कानून के लिए समिति गठित करने का उद्देश्य था कि जनहित और प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार करे.

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क्या है हिमाचल का भू कानून

पढ़ें- 'उठा जागा उत्तराखंडियों...' लोक गायक नरेंद्र नेगी की अपील, मूल निवास 1950 और भू कानून की महारैली में होंं शामिल


2022 में भू कानून कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट: भू-कानून के लिए पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने 5 सितंबर 2022 को रिपोर्ट शासन को सौंपी. समिति की ओर से सौंपी गई 80 पन्नो की रिपोर्ट में भू कानून से संबंधित 23 सुझाव दिए. जिसमें मुख्य रूप से प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित खरीद - बिक्री के बीच संतुलन बनाने को कहा गया. उस दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा सरकार, समिति के रिपोर्ट का अध्ययन कर, जनहित और प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार कर भू - कानून में संशोधन करेगी, मगर अभी तक समिति के संस्तुतियों पर कोई निर्णय नहीं हो पाया.

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देहरादून में स्वाभिमान रैली

पढ़ें- उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की फिर उठी मांग, गरजे राज्य आंदोलनकारी



2023 समिति की रिपोर्ट के परिक्षण के प्रारूप समिति गठित: अब उत्तराखंड में एक बार फिर सख्त भू कानून लागू किए जाने की मांग उठने लगी है. जिसके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा फैसला लिया. 22 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भू- कानून के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के विस्तृत परीक्षण के लिए प्रारूप समिति का गठन किया गया. एसीएस राधा रतूड़ी की अध्यक्षता मे गठित इस प्रारूप समिति में प्रमुख सचिव न्याय विभाग, सचिव राजस्व विभाग, सचिव सामान्य प्रशासन के साथ ही अपर सचिव मुख्यमंत्री जगदीश कांडपाल को शामिल किया गया. यह प्रारूप समिति, भू कानून के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने जो 5 सितंबर 2022 को शासन को रिपोर्ट सौंपी थी इसका विस्तृत परीक्षण करेगी. इसके बाद धामी सरकार प्रदेश में भू कानून को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी.

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सख्त भू कानून और मूल निवास 1950 की मांग

पढ़ें- 'उठा जागा उत्तराखंडियों...' लोक गायक नरेंद्र नेगी की अपील, मूल निवास 1950 और भू कानून की महारैली में करें प्रतिभाग

वही, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा पिछले साल मई महीने में कैबिनेट में इस बाबत चर्चा की गई कि प्रदेश में जो बाहरी लोग जमीन खरीद रहे उसका पहले सरकार वेरिफिकेशन करेगी. उसके बाद विधिक मान्यता दी जाएगी. लिहाजा, नए वर्ष पर सरकार ने निर्णय लिया है कि जो कृषि भूमि, बाहरी राज्य के लोगो की ओर से खरीदी जाती है उसपर अभी रोक लगा दी है. अन्य जमीनों के लिए वेरिफिकेशन जारी रहेगी. सरकार के इस निर्णय पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने कहा सीएम धामी का यह फैसला जनता की जीत है.

पढ़ें- उत्तराखंड भू कानून का ड्राफ्ट, हिमाचल के Land Law की दिखेगी छवि

वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा सीएम धामी के इस निर्णय में नया कुछ नही है. राज्य गठन के बाद निर्वाचित सरकार ने यह नियम बनाया था कि बाहरी व्यक्ति 500 वर्ग मीटर की भूमि खरीद सकता है, लेकिन कृषि भूमि खरीद ही नहीं सकता है. साल 2018 में भूमि अधिनियम में त्रिवेंद्र सरकार ने संशोधन कर खुली लूट की छूट दे दी. ऐसे में सबसे पहले वो कानून निरस्त होना चाहिए. उन्होंने कहा कांग्रेस हिमाचल प्रदेश की तरह ही प्रदेश में भू कानून लागू करने की पक्षधर है.

पढ़ें-Uttarakhand Land Law: धर्म स्थलों के बारे में ये है भू कानून समिति की रिपोर्ट, लागू हुई तो समझिए...


सीएम धामी के इस फैसले का राज्य आंदोलनकारी और क्षेत्रीय पार्टी यूकेडी ने स्वागत किया है. राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा सरकार का कोई भी आदेश राज्य हित में आयेगा उसका राज्य आंदोलनकारी स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा जमीनों का आवंटन किया गया उसकी जांच होनी चाहिए. साथ ही 371 की तर्ज पर प्रदेश में भू कानून लागू किया जाना चाहिए. यूकेडी के केंद्रीय प्रवक्ता पंकज ने कहा यूकेडी सरकार के आदेश का स्वागत करती है. साथ ही उन्होंने इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए भी देखा है.

सख्त भू-कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड में घमासान

देहरादून( उत्तराखंड): पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में इन दिनों सख्त भू कानून की मांग हो रही है. इसके साथ ही प्रदेशवासी मूल निवास 1950 लागू करने की मांग कर रहे हैं. जिससे उत्तराखंड के संसाधनों के साथ ही सरकारी नौकरियों में मूल निवासियों को फायदा मिल सके. इन दोनों मांगों को लेकर बीते दिनों राजधानी देहरादून में स्वाभिमान रैली का आयोजन किया गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में युवा, महिलाएं, बुजुर्ग प्रर्शनकारी पहुंचे. सभी ने एक स्वर में सख्त भू कानून और मूल निवास 1950 के नारे के बुलंद किया. इसके बाद सीएम धामी ने भू कानून को लेकर आज एक बड़ा निर्णय लिया. जिसके बाद प्रदेश में घमासान शुरू हो गया है.

सीएम धामी ने खेला मास्टरस्ट्रोक: उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू किए जाने की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नए साल पर ही बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत अब उत्तराखंड राज्य से बाहर के लोग कृषि एवं उद्यान के नाम पर भूमि नहीं खरीद पाएंगे. इसके लिए सभी जिला अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भी दे दिए गए हैं. अभी तक यह प्रावधान था कि राज्य से बाहरी लोग राज्य में जिला अधिकारी की परमिशन के बाद नगर निगम से बाहर 250 वर्ग मीटर तक कृषि भूमि खरीद सकते थे. इसके लिए पहले उनका वेरिफिकेशन भी कराया जाता था, लेकिन अब जमीन खरीद पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. यह रोक भू कानून प्रारूप समिति की रिपोर्ट आने या फिर अगले आदेश तक के लिए लागू रहेगी.

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2004 में भू-कानून में किया गया था संशोधन: उत्तराखंड राज्य गठन के साथ ही इस बात की मांग उठी थी कि उत्तराखंड राज्य में सख्त भू कानून लागू किया जाए. जिस क्रम में साल 2004 में तात्कालिक मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने उत्तर प्रदेश जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 154 में संशोधन किया. जिसके तहत राज्य में जिसके पास 12 सितंबर 2003 से पहले अचल संपत्ति नहीं है उसको कृषि या औद्यानिकी के लिए भूमि खरीदने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी पड़ेगी. साथ ही नगर निगम क्षेत्र की परिधि से बाहर, राज्य से बाहरी लोग प्रदेश में सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे. इस निर्णय के बाद भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समेत तमाम संगठन सहमत नहीं हुए, बल्कि वो इस बात पर जोर देने लगे की हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में भी भू कानून लागू किया जाए.

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सख्त भू-कानून की मांग

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2007 में भू कानून को किया गया सख्त: प्रदेश में सख्त भू कानून लागू करने की मांग का मामला न थमने के चलते तत्कालिक मुख्यमंत्री ने बड़ा निर्णय लिया. जिसके तहत तात्कालिक मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी ने साल 2002 में बनाए गए वह कानून को और अधिक सख्त किया. इसके बाद नगर निगम परिधि से बाहर जमीन खरीदने की सीमा को घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया. उस दौरान इस निर्णय के बाद सख्त भू कानून की मांग उठा रहे लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन मामला इसी पर आकर अटक गया कि अगर इसी तरह का सख्त भू कानून उत्तराखंड में लागू रहेगा तो तमाम उद्योगों को प्रदेश में स्थापित करने में तमाम दिक्कतें हो सकती हैं.

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2018 में बंदिशों को किया गया समाप्त: साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट से पहले तात्कालिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भू कानून के नियमों में बड़ा बदलाव किया. उन्होंने उत्तराखंड में जमीनों के खरीदने की रह खोल दी. दरअसल, 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालिक सीएम त्रिवेंद्र रावत ने भू कानून को लेकर एक नया अध्यादेश 'उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम,1950 में संशोधन का विधेयक' पारित किया. जिसमें धारा 143 (क), धारा 154(2) जोड़ी गई. जिसके चलते पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया. इसके अलावा, उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर में भूमि की चकबंदी (सीलिंग) को भी खत्म कर दिया.

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उत्तराखंड में सख्त भू-कानून

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2021 में भू कानून के लिए गठित हुई कमेटी: साल 2018 में तात्कालिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के छूट के बाद उत्तराखंड राज्य में सख्त भू कानून को लेकर एक बार फिर आवाज बुलंद होने लगी. जिसके चलते साल 2021 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त भू-कानून लागू किए जाने को लेकर समिति का गठन किया. पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति में बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, रिटायर्ड आईएएस अरुण कुमार ढौंडियाल, रिटायर्ड आईएएस डी एस गर्ब्याल के सदस्य और तत्कालिक राजस्व सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी बतौर सदस्य सचिव शामिल के रूप में शामिल किया गया. भू कानून के लिए समिति गठित करने का उद्देश्य था कि जनहित और प्रदेश हित को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट तैयार करे.

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2022 में भू कानून कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट: भू-कानून के लिए पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने 5 सितंबर 2022 को रिपोर्ट शासन को सौंपी. समिति की ओर से सौंपी गई 80 पन्नो की रिपोर्ट में भू कानून से संबंधित 23 सुझाव दिए. जिसमें मुख्य रूप से प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित खरीद - बिक्री के बीच संतुलन बनाने को कहा गया. उस दौरान सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा सरकार, समिति के रिपोर्ट का अध्ययन कर, जनहित और प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार कर भू - कानून में संशोधन करेगी, मगर अभी तक समिति के संस्तुतियों पर कोई निर्णय नहीं हो पाया.

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वही, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा पिछले साल मई महीने में कैबिनेट में इस बाबत चर्चा की गई कि प्रदेश में जो बाहरी लोग जमीन खरीद रहे उसका पहले सरकार वेरिफिकेशन करेगी. उसके बाद विधिक मान्यता दी जाएगी. लिहाजा, नए वर्ष पर सरकार ने निर्णय लिया है कि जो कृषि भूमि, बाहरी राज्य के लोगो की ओर से खरीदी जाती है उसपर अभी रोक लगा दी है. अन्य जमीनों के लिए वेरिफिकेशन जारी रहेगी. सरकार के इस निर्णय पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने कहा सीएम धामी का यह फैसला जनता की जीत है.

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वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा सीएम धामी के इस निर्णय में नया कुछ नही है. राज्य गठन के बाद निर्वाचित सरकार ने यह नियम बनाया था कि बाहरी व्यक्ति 500 वर्ग मीटर की भूमि खरीद सकता है, लेकिन कृषि भूमि खरीद ही नहीं सकता है. साल 2018 में भूमि अधिनियम में त्रिवेंद्र सरकार ने संशोधन कर खुली लूट की छूट दे दी. ऐसे में सबसे पहले वो कानून निरस्त होना चाहिए. उन्होंने कहा कांग्रेस हिमाचल प्रदेश की तरह ही प्रदेश में भू कानून लागू करने की पक्षधर है.

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Last Updated : Jan 1, 2024, 9:35 PM IST
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