उत्तराखंड: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक बार फिर से बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात करनी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र से देहरादून पहुंचने के बाद भगत सिंह कोश्यारी ने कुछ दिन तो आराम किया, लेकिन एक बार फिर से वह दिल्ली की उन राजनीतिक गलियों में निकल गए हैं जहां भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के बड़े नेता रहते हैं.
3 दिन दिल्ली में धूम मचाते रहे कोश्यारी: भगत सिंह कोश्यारी का बीजेपी नेताओं से मिलने का सिलसिला दिल्ली में लगभग 3 दिन तक चला. कुछ की तस्वीरें सामने आई हैं और कहा यह भी जा रहा है कि भगत सिंह कोश्यारी ने भारतीय जनता पार्टी के और नेताओं से भी मुलाकात की है. अब इन मुलाकातों के क्या मायने निकाले जाएं यह तो राजनीति पंडित ही जानें, लेकिन फिलहाल इन तस्वीरों ने एक बात तो साफ कर दी है कि भगत सिंह कोश्यारी गांव जाने से पहले संदेश जरूर दे रहे हैं की राजनीति में अभी उनका खेल खत्म नहीं हुआ है.
भगत दा के मन में क्या?: महाराष्ट्र से लौटने के बाद भगत सिंह कोश्यारी ने लगभग एक हफ्ता देहरादून के अपने आवास पर बिताया. इस दौरान उनके पास सरकार के मंत्री विधायक और मुख्यमंत्री भी पहुंचे. भगत सिंह कोश्यारी से जब जब यह सवाल पूछा गया कि आगे की रणनीति क्या है, उन्होंने तब तब यह जवाब दिया कि वह फिलहाल अपने गांव जाकर कुछ पढ़ना लिखना और अध्ययन करना चाहते हैं. लेकिन राजनीति को करीब से जानने वाले लोगों ने पहले ही कह दिया था कि भगत सिंह कोश्यारी अभी घर बैठने वाले नहीं हैं. हुआ भी यही.
एक हफ्ते भी देहरादून में नहीं रुके: देहरादून में उन्हें आए हुए एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि उनके कदम एक बार फिर से दिल्ली की तरफ बढ़ गए. हालांकि इस दौरान भगत सिंह कोश्यारी ने हरियाणा और दिल्ली में कई कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग किया. लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही इस दौरान उन्होंने बीजेपी के नेताओं से मुलाकात की जो पार्टी के थिंकटैंक माने जाते हैं. फिर उसमें उत्तराखंड के बीजेपी प्रभारी दुष्यंत कुमार हों या फिर भारतीय पार्टी में महामंत्री के पद पर बैठे बीएल संतोष.
भगत दा की फिर दिल्ली दौड़: भगत सिंह कोश्यारी ने बीते 5 दिनों में बीजेपी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की. इनमें सबसे प्रमुख नाम बीएल संतोष का है. बीएल संतोष मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन हैं. बताया जा रहा है कि उनसे मुलाकात में कई विषयों पर चर्चा हुई है. विषय क्या हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. भगत सिंह कोश्यारी ने दिल्ली में ही अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय संरक्षक और स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक ब्रह्मदेव शर्मा से भी मुलाकात की थी. इतना ही नहीं बीजेपी के ही एक और राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावडे से भी भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात की तस्वीरें सामने आई हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 में दिख सकता है कोश्यारी का दम: इस दौरान भगत सिंह कोश्यारी ने पंजाब और हरियाणा में कई राजनेता और गवर्नर के परिवारिक कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग किया है. हफ्ते भर पहले भगत सिंह कोश्यारी की मुलाकात देहरादून में ही बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड के प्रभारी दुष्यंत कुमार से भी हुई थी. उनसे मिलने के लिए खुद भगत सिंह कोश्यारी उनके आवास पर पहुंचे थे. इसमें कोई दो राय नहीं है कि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी को उत्तराखंड में लोकसभा सीट जीतने के लिए बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं का सहारा लेना पड़ेगा. ऐसे में भगत सिंह कोश्यारी एक बार फिर से बीजेपी की राजनीति में सक्रिय होंगे या फिर बीजेपी उन्हें आने वाले समय में उत्तराखंड में सक्रिय होने पर मजबूर करेगी, इसको लेकर हमने उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा से बातचीत की.
कोश्यारी को लेकर ये कहते हैं जानकार: राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि अगर भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल पद से हटने के बाद नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि भगत सिंह कोश्यारी को अपने पूरे राजनीतिक जीवन में खुलकर खेलने के लिए कोई पद नहीं मिला. वह मुख्यमंत्री भी रहे तो बेहद कम समय के लिए रहे. सांसद बने तो उनके जूनियर मंत्रियों को केंद्र में मंत्री बना दिया गया. वहां से भी उनको निराशा हाथ लगी. राज्य में भी जो वह चाहते थे, वह सपना पूरा नहीं कर पाए. राज्यसभा सांसद रहे और जिस कैलीबर के वह नेता हैं, उन्हें उतना काम करने के लिए पद और समय नहीं मिल पाया. वह भले ही कुछ भी कहें वह कहते रहें कि अब वह एकांतवास में रहेंगे. लेकिन यह संभव नहीं है.
चर्चा का विषय बने रहेंगे कोश्यारी: एक राजनेता के तौर पर आप आने वाले समय में देखेंगे कि उनके लगातार ऐसे बयान आएंगे जो उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा का विषय बनेंगे. वह कुछ ऐसा काम करेंगे जो वह चर्चा में रहेंगे. एक राजनेता के लिए घर में बैठना मुश्किल काम होता है. भगत सिंह कोश्यारी की दिल्ली यात्रा इसी का प्रमाण है. वह चाहते तो गवर्नर पद से हटने के बाद दिल्ली में नेताओं से मुलाकात करते जो उन्होंने पहले भी की है. अगर नहीं की थी तो करते हुए देहरादून आते. देहरादून आने के बाद जिस तरह से उनके बयान आ रहे थे कि उन्हें अब गांव में रहना है तो सीधे गांव चले जाते. लेकिन देहरादून में समय बिताने के बाद थकावट उतारने के बाद एक बार फिर से बीजेपी नेताओं से मुलाकात करना यह बताता है की भगत सिंह कोश्यारी राजनीति में सक्रिय रहेंगे. उनके अंदर जो कुछ भी है, उसको पूरा करने की कोशिश भी करते रहेंगे. हमारे सामने ऐसे कई प्रमाण हैं जो नेता पहले सक्रिय राजनीति में रहे फिर गवर्नर रहे और फिर सक्रिय राजनीति में आकर मंत्री मुख्यमंत्री बन गए.
बीजेपी बोली भगत दा के उत्तराखंड में रहने से मिलेगा फायदा: कोश्यारी की दिल्ली यात्रा और उत्तराखंड प्रवास पर बीजेपी नेता अभिमन्यु कुमार कहते हैं कि यह सम्मान की बात है कि उन्हें गवर्नर बनाया गया और वो भी महाराष्ट्र जैसे राज्य का. अब लोग यह देख रहे हैं कि वह बीजेपी नेताओं से क्यों मिल रहे हैं. अभिमन्यु कहते हैं कि उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है कि वह राज्यपाल पद मुक्त होने के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड में प्रवास कर रहे हैं. इससे बीजेपी हो या सरकार दोनों को उनके अनुभव का फायदा मिलेगा. रही बात दिल्ली में नेताओं से मुलाकात की तो जिस पार्टी ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है, उस पार्टी के नेताओं से मुलाकात करना कोई गलत बात तो नहीं है. परिवार के सदस्य हैं तो मुलाकात करना तो बनती है. अभिमन्यु कहते हैं कि उनका जिस तरह का अनुभव है, आने वाले समय में फिर वह चाहे लोकसभा चुनाव हों या पार्टी की दूसरी गतिविधियां, उन सभी पर उनकी राय मशविरा हमेशा ली जाएगी.
कांग्रेस बोली कथनी-करनी में है बहुत अंतर: वहीं कांग्रेस भी भगत सिंह कोश्यारी की बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद उन पर तंज कस रही है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसोनी का कहना है कि भले ही भगत दा महाराष्ट्र से कुछ भी बोल कर आए हों. चाहे वो कह रहे हों कि वह अब अध्ययन करेंगे. लेकिन जिस तरह से उनकी बीजेपी नेताओं से मुलाकात हो रही है, इससे साफ है कि वह अपनी जिंदगी भर की राजनीतिक विरासत किसी दूसरे के हाथ में नहीं सौंपने वाले हैं. अभी भी उनके मन में कुछ ना कुछ ऐसा चल रहा है जो किसी को नहीं बता रहे हैं. नेताओं से मुलाकात इस बात की ओर इशारा कर रही है कि उनके कहने में और करने में बहुत अंतर है.
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भगत सिंह कोश्यारी जब महाराष्ट्र के गवर्नर थे, तब भी उत्तराखंड की राजनीति में उनके चर्चे थे. अब वो वहां से यहां आ गए हैं, तब भी उनके चर्चे खूब हो रहे हैं. बहरहाल भगत दा की बीजेपी नेताओं से मुलाकातें तो यही बता रही हैं कि भगत सिंह कोश्यारी कुछ देर ठहरने के बाद फिर से कोई नई पारी खेल सकते हैं.