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Property Tax in JK: जम्मू-कश्मीर में संपत्ति कर लगाने की राजनीतिक दलों ने की आलोचना - जम्मू कश्मीर में संपत्ति कर

जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने संपत्ति कर लगाने के लिए केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधते हुए इस कदम को 'जन विरोधी' एवं 'अलोकतांत्रिक' करार दिया.

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Published : Feb 23, 2023, 7:48 AM IST

Updated : Feb 23, 2023, 11:31 AM IST

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर/जम्मू : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में संपत्ति कर लगाने को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी हैं. वरिष्ठ नेताओं ने उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधते हुए इस फैसले को जन विरोधी तथा अलोकतांत्रिक करार दिया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि संपत्ति कर लागू करने का फैसला जम्मू कश्मीर के लोगों को गरीबी के गर्त में धकेलने के भाजपा के बड़े एजेंडे का हिस्सा है.

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, "इसका मुख्य लक्ष्य जम्मू कश्मीर के लोगों को इतना गरीब बना देना है कि वह किसी और चीज की मांग कर ना सकें. देश के दक्षिणी भाग को देखिये, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन मुहैया कराया जा रहा है. वे रोजगार और सस्ते ईंधन की मांग नहीं कर रहे हैं. उन्हें केवल पांच किलो अनाज का इंतजार रहता है, जिससे वे अपने बच्चों का पेट पाल सकें. वे जम्मू कश्मीर में भी ऐसी स्थिति लाना चाहते हैं. यह जम्मू कश्मीर के लोगों को दफन करने के भाजपा के बड़े एजेंडे का हिस्सा है."

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 21 फरवरी को केंद्रशासित प्रदेश में संपत्ति कर लगाने की अधिसूचना जारी की, जो एक अप्रैल से लागू होगा. इस पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए आपदा है. जिस तरह भूकंप और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. उसी प्रकार हमारे लिए रोज नए-नए आदेश आते हैं. चाहे वह रोजगार से संबंधित हो, ध्वस्तीकरण अभियान हो या फिर संपत्ति कर हो.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन लोगों पर हर रोज आदेश थोप देते हैं, जिससे वे प्रशासन के सामने बेबस नजर आते हैं. उन्होंने कहा, "इन आदेशों के आगे लोग कुछ नहीं कर सकते हैं, सिवाय गुलामी के."

पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से उग्रवाद के कारण जम्मू कश्मीर की स्थिति ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है. उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोग संपत्ति कर का भुगतान नहीं कर सकते हैं. जब अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, मान लीजिए दस साल बाद, सरकार इस कर को लगाने के बारे में सोच सकती है, लेकिन अभी नहीं."

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर/जम्मू : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में संपत्ति कर लगाने को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने प्रतिक्रिया दी हैं. वरिष्ठ नेताओं ने उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधते हुए इस फैसले को जन विरोधी तथा अलोकतांत्रिक करार दिया है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि संपत्ति कर लागू करने का फैसला जम्मू कश्मीर के लोगों को गरीबी के गर्त में धकेलने के भाजपा के बड़े एजेंडे का हिस्सा है.

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने कहा, "इसका मुख्य लक्ष्य जम्मू कश्मीर के लोगों को इतना गरीब बना देना है कि वह किसी और चीज की मांग कर ना सकें. देश के दक्षिणी भाग को देखिये, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन मुहैया कराया जा रहा है. वे रोजगार और सस्ते ईंधन की मांग नहीं कर रहे हैं. उन्हें केवल पांच किलो अनाज का इंतजार रहता है, जिससे वे अपने बच्चों का पेट पाल सकें. वे जम्मू कश्मीर में भी ऐसी स्थिति लाना चाहते हैं. यह जम्मू कश्मीर के लोगों को दफन करने के भाजपा के बड़े एजेंडे का हिस्सा है."

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 21 फरवरी को केंद्रशासित प्रदेश में संपत्ति कर लगाने की अधिसूचना जारी की, जो एक अप्रैल से लागू होगा. इस पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा सरकार जम्मू-कश्मीर के लिए आपदा है. जिस तरह भूकंप और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. उसी प्रकार हमारे लिए रोज नए-नए आदेश आते हैं. चाहे वह रोजगार से संबंधित हो, ध्वस्तीकरण अभियान हो या फिर संपत्ति कर हो.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन लोगों पर हर रोज आदेश थोप देते हैं, जिससे वे प्रशासन के सामने बेबस नजर आते हैं. उन्होंने कहा, "इन आदेशों के आगे लोग कुछ नहीं कर सकते हैं, सिवाय गुलामी के."

पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से उग्रवाद के कारण जम्मू कश्मीर की स्थिति ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है. उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोग संपत्ति कर का भुगतान नहीं कर सकते हैं. जब अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, मान लीजिए दस साल बाद, सरकार इस कर को लगाने के बारे में सोच सकती है, लेकिन अभी नहीं."

Last Updated : Feb 23, 2023, 11:31 AM IST
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