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सरकार के साथ तालमेल बिठा वसूली करने वाले पुलिस अफसरों को होनी चाहिए जेल : सुप्रीम कोर्ट - police

सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों (police-officers)पर तल्ख टिप्पणी की है. आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह के आरोपी एक निलंबित आईपीएस अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जो पुलिस अधिकारी सरकार के साथ तालमेल बिठाते हैं और गलत माध्यमों से पैसा कमाते हैं, उन्हें सरकार बदलने के बाद इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे पुलिस अधिकारियों को जेल होनी चाहिए. जानिए क्या है पूरा मामला.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 28, 2021, 6:34 PM IST

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जो पुलिस अधिकारी आज की सरकार के साथ तालमेल बिठाते हैं और गलत माध्यमों से पैसा कमाते हैं, उन्हें सरकार बदलने के बाद खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे पुलिस अधिकारियों को जेल होनी चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि इस श्रेणी में आने वाले पुलिसकर्मियों की सुरक्षा नहीं की जानी चाहिए और उन्हें जेल में डाल दिया जाना चाहिए.

अदालत ने एक निलंबित आईपीएस अधिकारी के वकील को बताया कि उसका मुवक्किल हर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा नहीं ले सकता है और कहा कि लोग पैसा कमाना शुरू कर देते हैं, क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं. यही होता है अगर आप सरकार के साथ मिलकर ये सब काम करते हैं. आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा. पीठ ने कहा कि वह जबरन वसूली के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के लिए इच्छुक नहीं है.

आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह का मामला

शीर्ष अदालत निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने पहले छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह के मामले में सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

ऐसे अफसरों को सुरक्षा क्यों देनी चाहिए?

पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थे. पीठ ने कहा, जब आप सरकार के साथ अच्छे होते हैं, तो आप निकाल सकते हैं. फिर आपको ब्याज के साथ भुगतान करना होगा. पीठ ने आगे कहा कि यह देश में एक नया चलन है और सवाल किया कि ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों देनी चाहिए? सिंह के वकील ने कहा कि उनके जैसे अधिकारियों को सुरक्षा की जरूरत है. हालांकि, पीठ ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नहीं, उन्हें जेल जाना होगा.

अंतरिम संरक्षण दिया
हालांकि, शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सिंह को अंतरिम संरक्षण दिया और छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर को निर्धारित की है.

तीसरे मामले में अंतरिम सुरक्षा
यह तीसरा मामला है, जहां सिंह ने सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त को उन्हें अन्य दो मामलों में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी. इस मामले पर पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा किया था, जहां पुलिस अधिकारी सत्ता में पार्टी के साथ रहते हैं और बाद में जब एक अन्य राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो उसे निशाना बनाया जाता है.

पढ़ें- पटाखों पर SC की सख्त टिपण्णी- रोजगार की आड़ में अन्य नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते'

सिंह के खिलाफ राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की एक लिखित शिकायत के आधार पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. यह मामला उन प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप है कि उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी. उनके पास से कुछ दस्तावेज जब्त किए गए, जो सरकार के खिलाफ साजिश में उनके शामिल होने की ओर इशारा कर रहे थे.

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जो पुलिस अधिकारी आज की सरकार के साथ तालमेल बिठाते हैं और गलत माध्यमों से पैसा कमाते हैं, उन्हें सरकार बदलने के बाद खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसे पुलिस अधिकारियों को जेल होनी चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि इस श्रेणी में आने वाले पुलिसकर्मियों की सुरक्षा नहीं की जानी चाहिए और उन्हें जेल में डाल दिया जाना चाहिए.

अदालत ने एक निलंबित आईपीएस अधिकारी के वकील को बताया कि उसका मुवक्किल हर मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा नहीं ले सकता है और कहा कि लोग पैसा कमाना शुरू कर देते हैं, क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं. यही होता है अगर आप सरकार के साथ मिलकर ये सब काम करते हैं. आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा. पीठ ने कहा कि वह जबरन वसूली के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने के लिए इच्छुक नहीं है.

आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह का मामला

शीर्ष अदालत निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने पहले छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह के मामले में सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

ऐसे अफसरों को सुरक्षा क्यों देनी चाहिए?

पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थे. पीठ ने कहा, जब आप सरकार के साथ अच्छे होते हैं, तो आप निकाल सकते हैं. फिर आपको ब्याज के साथ भुगतान करना होगा. पीठ ने आगे कहा कि यह देश में एक नया चलन है और सवाल किया कि ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों देनी चाहिए? सिंह के वकील ने कहा कि उनके जैसे अधिकारियों को सुरक्षा की जरूरत है. हालांकि, पीठ ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नहीं, उन्हें जेल जाना होगा.

अंतरिम संरक्षण दिया
हालांकि, शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सिंह को अंतरिम संरक्षण दिया और छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर को निर्धारित की है.

तीसरे मामले में अंतरिम सुरक्षा
यह तीसरा मामला है, जहां सिंह ने सुरक्षा की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त को उन्हें अन्य दो मामलों में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी. इस मामले पर पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा किया था, जहां पुलिस अधिकारी सत्ता में पार्टी के साथ रहते हैं और बाद में जब एक अन्य राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो उसे निशाना बनाया जाता है.

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सिंह के खिलाफ राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की एक लिखित शिकायत के आधार पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. यह मामला उन प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप है कि उन्होंने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी. उनके पास से कुछ दस्तावेज जब्त किए गए, जो सरकार के खिलाफ साजिश में उनके शामिल होने की ओर इशारा कर रहे थे.

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