कोलकाता : विश्वभारती विश्वविद्यालय के अधिकारियों और नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के बीच विश्वविद्यालय परिसर के भीतर जमीन के एक 'विवादित हिस्से' को लेकर हुए विवाद के बाद पश्चिम बंगाल के बीरभूम के बोलपुर में एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने शांति बनाए रखने के लिए पुलिस हस्तक्षेप का आदेश दिया है. कार्यकारी मजिस्ट्रेट का आदेश नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के वकील द्वारा दायर एक याचिका के बाद दिया गया.
याचिका में जमीन के उस विवादित हिस्से को लेकर सेन के खिलाफ विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा संभावित निष्कासन अभियान पर कानून और व्यवस्था के उल्लंघन की आशंका व्यक्त की गई थी. यह आशंका व्यक्त की गई थी कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री की अनुपस्थिति में बेदखली की प्रक्रिया हो सकती है. सेन के वकील ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट से जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आग्रह किया, जो उनके मुवक्किल के कब्जे में है.
कार्यकारी मजिस्ट्रेट के आदेश में कहा गया है, शांतिनिकेतन पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को तत्काल मामले के निस्तारण तक क्षेत्र में शांति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है. विवाद महज 13 डिसमिल जमीन को लेकर है. इसकी शुरुआत तब हुई, जब विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने सेन पर अवैध रूप से 1.38 एकड़ जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया, जो उनके 1.25 एकड़ के कानूनी अधिकार से अधिक है.
हालांकि, नोबेल पुरस्कार विजेता ने इस आरोप का खंडन किया. उन्होंने कहा कि मूल 1.25 एकड़ जमीन उनके दादा स्वर्गीय क्षितिमोहन सेन को उपहार में दी गई थी, जो विश्वभारती विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति थे. बाद में, सेन के पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन, जो उसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थे, ने शेष 13 डिसमिल भूमि खरीदी, जो विवाद के केंद्र में है. पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में सेन को 1.38 एकड़ भूमि के पट्टे का अधिकार हस्तांतरित कर दिया है.
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