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दिल्ली हिंसा के दौरान मुस्लिम युवकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं

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Published : Mar 23, 2021, 9:54 PM IST

दिल्ली हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने के लिए पुलिस ने मुस्लिम युवकों से मारपीट की थी. इस मामले में मार-पीट करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं हो पाई है. ये बात दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दायर पूरक स्टेटस रिपोर्ट में कही है.

दिल्ली हिंसा
दिल्ली हिंसा

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने के लिए मुस्लिम युवकों से मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाई है. ये बात दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दायर पूरक स्टेटस रिपोर्ट में कही है.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संबंध में चार वीडियो क्लिप में तीन वीडियो दूर से बनाए गए हैं और कम मेगा पिक्सल वाले मोबाइल से बने हैं.

चौथे वीडियो में जिन पुलिसकर्मियों को मुस्लिम युवकों को मारते दिखाया गया है, उसमें पुलिसकर्मियों ने हेलमेट पहन रखा था. इसकी वजह से उनका चेहरा पहचाना नहीं जा सका. दिल्ली पुलिस ने कहा कि चारों वीडियो क्लिप को फॉरेंसिक लैब भेजा गया है ताकि उनकी वीडियो क्वालिटी सुधारी जा सके.

170 पुलिसकर्मियों से की गई पूछताछ

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए 170 पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जा चुकी है. ये सभी पुलिसकर्मी 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कानून-व्यवस्था की ड्यूटी संभाल रहे थे.

24 और 25 फरवरी 2020 को ज्योति नगर थाने में तैनात एसएचओ और कानून-व्यवस्था की स्थिति देख रहे पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की गई. मृत युवक फैजान के अलावा 20 अन्य युवकों की देखभाल के लिए नियुक्त सब-इंस्पेक्टर से भी पूछताछ की गई थी.

ज्योति नगर थाने का सीसीटीवी फुटेज काम नहीं कर रहा था

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संबंध में अभी तक कोई चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो क्लिप से कुछ फोटो निकालकर निजी विशेषज्ञों के अलावा सभी जिला पुलिस और दूसरे बलों के इंचार्जों को पहचान करने के लिए भेजा गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में पाया गया है कि 24 फरवरी को ज्योति नगर पुलिस थाने का सीसीटीवी तकनीकी खामियों की वजह से काम नहीं कर रहा था.

पुलिस की मारपीट का वीडियो हुआ था वायरल

दरअसल सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पांच मुस्लिम युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं.

ये युवक जमीन पर असहाय रूप से लेटे हुए हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है.

फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था. उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई.

पुलिस की पिटाई से स्थिति हुई खराब

याचिका में कहा गया है कि 25-26 फरवरी की दरम्यानी रात को फैजान ने अपनी मां किस्मातुन को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था और उसकी खूब पिटाई की गई थी.

याचिका में कहा गया है कि फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया था और उसे इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था. जब उसकी स्थिति खराब होने लगी और पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा गया.

जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें :- दिल्ली दंगा : उच्च न्यायालय ने तन्हा की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

ऐसे में इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए. इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम गठित की जाए जो फैजान की हिरासत में मौत की जांच करे. इस जांच की समय-समय पर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने के लिए मुस्लिम युवकों से मारपीट करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान नहीं कर पाई है. ये बात दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दायर पूरक स्टेटस रिपोर्ट में कही है.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संबंध में चार वीडियो क्लिप में तीन वीडियो दूर से बनाए गए हैं और कम मेगा पिक्सल वाले मोबाइल से बने हैं.

चौथे वीडियो में जिन पुलिसकर्मियों को मुस्लिम युवकों को मारते दिखाया गया है, उसमें पुलिसकर्मियों ने हेलमेट पहन रखा था. इसकी वजह से उनका चेहरा पहचाना नहीं जा सका. दिल्ली पुलिस ने कहा कि चारों वीडियो क्लिप को फॉरेंसिक लैब भेजा गया है ताकि उनकी वीडियो क्वालिटी सुधारी जा सके.

170 पुलिसकर्मियों से की गई पूछताछ

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए 170 पुलिसकर्मियों से पूछताछ की जा चुकी है. ये सभी पुलिसकर्मी 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में कानून-व्यवस्था की ड्यूटी संभाल रहे थे.

24 और 25 फरवरी 2020 को ज्योति नगर थाने में तैनात एसएचओ और कानून-व्यवस्था की स्थिति देख रहे पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की गई. मृत युवक फैजान के अलावा 20 अन्य युवकों की देखभाल के लिए नियुक्त सब-इंस्पेक्टर से भी पूछताछ की गई थी.

ज्योति नगर थाने का सीसीटीवी फुटेज काम नहीं कर रहा था

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस संबंध में अभी तक कोई चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो क्लिप से कुछ फोटो निकालकर निजी विशेषज्ञों के अलावा सभी जिला पुलिस और दूसरे बलों के इंचार्जों को पहचान करने के लिए भेजा गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में पाया गया है कि 24 फरवरी को ज्योति नगर पुलिस थाने का सीसीटीवी तकनीकी खामियों की वजह से काम नहीं कर रहा था.

पुलिस की मारपीट का वीडियो हुआ था वायरल

दरअसल सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पांच मुस्लिम युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं.

ये युवक जमीन पर असहाय रूप से लेटे हुए हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है.

फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था. उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई.

पुलिस की पिटाई से स्थिति हुई खराब

याचिका में कहा गया है कि 25-26 फरवरी की दरम्यानी रात को फैजान ने अपनी मां किस्मातुन को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था और उसकी खूब पिटाई की गई थी.

याचिका में कहा गया है कि फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया था और उसे इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था. जब उसकी स्थिति खराब होने लगी और पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा गया.

जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें :- दिल्ली दंगा : उच्च न्यायालय ने तन्हा की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

ऐसे में इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए. इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम गठित की जाए जो फैजान की हिरासत में मौत की जांच करे. इस जांच की समय-समय पर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के दिशा-निर्देश जारी किए जाएं.

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