मेरठः समूचा देश राजू श्रीवास्तव के निधन(Raju Srivastava passes away) पर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त कर रहा है. साहित्याकार भी देश के इतने महान कलाकार को शब्दसुमन अर्पित कर रहे हैं. मेरठ में कवि हरिओम पंवार(Poet Hariom Panwar) ने राजू श्रीवास्तव को हंसी के देवता की संज्ञा दी है. वहीं, कवयित्री अनामिका जैन अंबर(Poet jain Amber) ने कहा कि 'बिखर जाती है लड़ी माला की मोती फूटते क्यों हैं, बिना जिनके रहा जाता नहीं वो रुठते क्यों हैं. जमीं से उठकर अंबर तक पहुचंते हैं चमकते हैं, मगर फिर यही सितारे अक्सर टूटते क्यों हैं.'
वरिष्ठ कवि हरिओम पंवार ने कहा कि 'राजू श्रीवास्तव तो पत्थर को भी हंसाने का हुनर रखते थे. उन्होंने कहा कि शायद देवताओं ने सोचा हो कि धरती के इंसान इतना हंस रहे हैं इतनी बीमारियों के बाद भी तो उन्हें मालूम चला कि कॉमेडी का इतना बड़ा कलाकार है, जो पत्थर को भी हंसा देता है. पत्थर भी हंसने को मजबूर होते हैं. तो ऊपर वाले ने कहा कि बुलाओ इसको यहां भी बड़ी उदासी है.'
उन्होंने कहा कि 'ऐसा लगता है कि शायद ऊपर भी देवताओं में उदासी छाई हुई है इसलिए खुशियां बांटने के लिए राजू श्रीवास्तव को बुला लिया.' हरिओम पंवार ने कहा कि 'हमारी धरती का राजू श्रीवास्तव उस लोक में देवताओं ने बुला लिया. शायद देवता हंसना भूल गए हों. इसलिए राजू भाई हंसाना हंसी के देवताओं को. उन्हें हंसी देना मुस्कुराहट देना. उन्होंने उपरवाले से प्रार्थना की कि राजू को बहुत मान सम्मान देना अगर तुमको अपनी उदासियां दूर करनी हैं. हरिओम पंवार ने कहा कि लाखों करोड़ों उनके प्रशंसकों को दुख है. इतना हंसाने वाला रुलाएगा ऐसा कभी नहीं सोचा था.'
पढ़ेंः राजू श्रीवास्तव की यादें! आगरा वालों को आखिरी बार यूं गुदगुदा कर गए थे कॉमेडी किंग
हरिओम पंवार ने बताया कि राजू श्रीवास्तव के पिता के निधन के समय भी वे मंच पर मौजूद थे. उन्होंने बताया कि 'राजू श्रीवास्तव के पिता मेरी आंखों के सामने ही पढ़ते-पढ़ते गिर पड़े थे. ये सूचना राजू भैया को उन्होंने ही दी थी. उन्होंने बार-बार यही कहा कि साहित्य से जुड़े हुए लोगों की ओर से प्रार्थना है कि प्रभु उन्हें अपने चरणों में जगह देना.
राजू को याद करते हुए पंवार ने कहा कि वे छोटे भाई की तरह चिपटते थे. हंस पड़ते थे. मुझे अच्छा लगता था सहजता उनका अदभुत गुण था. उनके हंसी के ठहाकों को याद करते हुए एक भी ऐसा व्यंग्य नहीं था कि जिसमें किसी को दुख पहुंचाने की भावना रही हो. सख्त से सख्त व्यंग्य से किसी का दिल नहीं दुखा. किसी को तीर मारा तो सामने वाला मानों यूं कहने लगा कि एक और तीर मारो अच्छा लगा.'
वहीं, कवयित्री अनामिका जैन अम्बर ने कहा कि 'राजू श्रीवास्तव हम सबके दिलों में रहते हैं. सवा महीने से लोग उनके वापस आने का इंतजार कर रहे थे. सबके मन में एक ही प्रश्न था कि हम तो आपका इंतजार कर रहे थे. आप यूं क्यों हमें छोड़कर चले गए. उन्होंने 'बिखर जाती हैं लड़ी माला की मोती फूटते क्यों हैं, बिना जिनके रहा जाता नहीं वो रुठते क्यों हैं. जमीं से उठकर अंबर तक पहुचंते हैं चमकते हैं, मगर फिर यही सितारे अक्सर टूटते क्यों हैं.
उन्होंने कहा कि राजू श्रीवास्तव एक कलाकार कॉमेडियन केवल हमारे दिल में नहीं रहते थे बल्कि वो प्रेरणास्रोत थे. अनामिका अंबर ने कहा कि राजू श्रीवास्तव ने वर्षों की तपस्या के साथ उस मुकाम को हासिल किया था. वे युगों-युगों तक याद किए जाएंगे.
पढ़ेंः अंतिम संस्कार के लिए राजू श्रीवास्तव का परिवार दिल्ली के लिए रवाना