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राजा महेंद्र प्रताप सिंह : जिन्होंने दान कर दी अपनी जमीन, आज प्रतिमा लगाने के लिए भी नहीं जगह - हाथरस में महेंद्र सिंह के नाम से विश्वविद्यालय

हाथरस के रहने वाले राजा महेंद्र प्रताप को कौन नहीं जानता. एएमयू से लेकर बीएचयू तक को बनाने में उन्होंने अपनी जमीन दे दी. यहां तक की अपनी सारी जमीन दान में दे दी. लेकिन आज आलम यह है कि उनकी एक प्रतिमा स्थापित करने के लिए दो गज जमीन के लिए विवाद हो रहा है और जहां प्रतिमा है भी, वहां गंदगी का अंबार लगा रहता है.

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Published : Sep 13, 2021, 9:57 PM IST

हाथरस : एक जमाना था कि जहां तक नजर जाती थी, वह जमीन राजा महेंद्र प्रताप की होती थी. आज आलम यह है कि राजा साहब की प्रतिमा के लिए हाथरस जिले में दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हो रही है. हैरत की बात तो यह है कि जो जमीन कभी राजा महेंद्र प्रताप की हुआ करती थी. जिस पर उनकी प्रतिमा भी लगी हुई है, वह उन्हीं के अपने परिवार के लोगों के चलते विवादित हो गई है. उस पर मुकदमा चल रहा है. उन्हीं की बिरादरी के लोग राजा साहब की प्रतिमा के लिए उस वक्त भी दो गज जमीन देने को तैयार नहीं हैं, जब उनके नाम पर अलीगढ़ में कल यानी 14 सितम्बर को विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने प्रधानमंत्री खुद आ रहे हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट

दरअसल, प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कल यानी मंगलवार को अलीगढ़ (Aligarh) जिला मुख्‍यालय से 30 किलोमीटर दूर लोधा में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्‍य विश्‍वविद्यालय (Raja Mahendra Pratap Singh State University) की आधारशिला (foundation stone) रखेंगे. इस बात की जानकारी पर उनकी मूर्ति के आस-पास से कूड़ा हटाया गया. साथ ही रंग रोगन भी किया गया.

आपको बता दें, जहां पर राजा महेंद्र प्रताप की प्रतिमा लगी हुई है, वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ था. लेकिन अलीगढ़ में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के आने की जानकारी होते ही आनन-फानन में वहां पर सफाई कराई गई है. बेहाल पड़ी राजा साहब की प्रतिमा का रंग रोगन किया गया. हालांकि, लोगों का कहना था कि इससे पहले भी राजा जी की प्रतिमा स्थल के पास सफाई के लिए प्रयास किया गया था. इसके लिए अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन अब से पहले कभी ना तो यहां सफाई हुई और ना ही पुताई.


जमीन है विवादित, कोर्ट में चल रहा मुकदमा

नगर पंचायत के अधिकारी बताते हैं कि जहां राजा साहब की मूर्ति लगी हुई है, वह जमीन विवादित है. उस जमीन पर कब्जा है. हालांकि उन्होंने बताया कि समय-समय पर यहां सफाई होती रहती है. उन्होंने यह भी बताया कि यह विवादित जमीन है, इसका कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. जिसकी जमीन है, वह नगर पालिका के सफाई करने का विरोध करते हैं. जिस स्थान पर राजा महेंद्र प्रताप की बदहाल मूर्ति लगी है. वह जमीन धर्मवीर सिंह की है. वह बताते हैं कि राजा साहब की यह मूर्ति बिना उनकी स्वीकृति के लगी हुई है. अभी भी उनकी कोई स्वीकृति नहीं है. अलबत्ता उनका कहना है कि किसी अच्छी जगह पार्क बनाया जाए, जहां वह भी दस-बीस हजार रुपए खर्च कर देंगे. फिलहाल वह मूर्ति यहां से हटावाना चाहते हैं.

कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना में दान कर दी अपनी जमीन

आपको बता दें, कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिए थे. उन्होंने 32 वर्ष निर्वासित रहकर देश की आजादी के लिए जंग लड़ा. अफगानिस्तान के काबुल में 1915 में बनी अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति रहे. आपको बता दें, राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जन्मस्थली हाथरस का कस्बा मुरसान है. कस्बा में आज भी शाही परिवार का किला मौजूद है. उसमें राजा साहब के वंशज रहते हैं. राजा साहब ने अपने जीवन काल में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, वृंदावन के प्रेम महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना में अपनी जमीन दान में दी थी. वह 1957 में मथुरा लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए थे.

'राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर हो हाथरस जिले का नाम'

देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राजा साहब के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय बनाए जाने से हाथरस के कस्बा मुरसान के लोग काफी खुश हैं. राजा साहब के वंशज इसे गौरव का विषय बता रहे हैं और प्रदेश तथा केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि हाथरस जिले का नाम राजा साहब के नाम पर हो और उनकी यादगार में ऐसा स्मारक बने जिसमें उनकी प्रतिमा लगे, लाइब्रेरी हो और राजा साहब के बारे में नई पीढ़ी को जानकारी देने वाला साहित्य इसमें रखा जाए. साथ ही राजा साहब के वंशज व मुरसान के लोग चाहते हैं कि राजा महेंद्र प्रताप के नाम से कस्बा मुरसान में राजकीय कन्या महाविद्यालय बने. जिसमें उनकी बहन बेटियां शिक्षा प्राप्त कर सकें.

पढ़ेंः अफगान संसद में PM मोदी ने पढ़े थे 'अटल' के विरोधी राजा महेंद्र प्रताप के कसीदे

हाथरस : एक जमाना था कि जहां तक नजर जाती थी, वह जमीन राजा महेंद्र प्रताप की होती थी. आज आलम यह है कि राजा साहब की प्रतिमा के लिए हाथरस जिले में दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हो रही है. हैरत की बात तो यह है कि जो जमीन कभी राजा महेंद्र प्रताप की हुआ करती थी. जिस पर उनकी प्रतिमा भी लगी हुई है, वह उन्हीं के अपने परिवार के लोगों के चलते विवादित हो गई है. उस पर मुकदमा चल रहा है. उन्हीं की बिरादरी के लोग राजा साहब की प्रतिमा के लिए उस वक्त भी दो गज जमीन देने को तैयार नहीं हैं, जब उनके नाम पर अलीगढ़ में कल यानी 14 सितम्बर को विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने प्रधानमंत्री खुद आ रहे हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट

दरअसल, प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कल यानी मंगलवार को अलीगढ़ (Aligarh) जिला मुख्‍यालय से 30 किलोमीटर दूर लोधा में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्‍य विश्‍वविद्यालय (Raja Mahendra Pratap Singh State University) की आधारशिला (foundation stone) रखेंगे. इस बात की जानकारी पर उनकी मूर्ति के आस-पास से कूड़ा हटाया गया. साथ ही रंग रोगन भी किया गया.

आपको बता दें, जहां पर राजा महेंद्र प्रताप की प्रतिमा लगी हुई है, वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ था. लेकिन अलीगढ़ में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के आने की जानकारी होते ही आनन-फानन में वहां पर सफाई कराई गई है. बेहाल पड़ी राजा साहब की प्रतिमा का रंग रोगन किया गया. हालांकि, लोगों का कहना था कि इससे पहले भी राजा जी की प्रतिमा स्थल के पास सफाई के लिए प्रयास किया गया था. इसके लिए अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन अब से पहले कभी ना तो यहां सफाई हुई और ना ही पुताई.


जमीन है विवादित, कोर्ट में चल रहा मुकदमा

नगर पंचायत के अधिकारी बताते हैं कि जहां राजा साहब की मूर्ति लगी हुई है, वह जमीन विवादित है. उस जमीन पर कब्जा है. हालांकि उन्होंने बताया कि समय-समय पर यहां सफाई होती रहती है. उन्होंने यह भी बताया कि यह विवादित जमीन है, इसका कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. जिसकी जमीन है, वह नगर पालिका के सफाई करने का विरोध करते हैं. जिस स्थान पर राजा महेंद्र प्रताप की बदहाल मूर्ति लगी है. वह जमीन धर्मवीर सिंह की है. वह बताते हैं कि राजा साहब की यह मूर्ति बिना उनकी स्वीकृति के लगी हुई है. अभी भी उनकी कोई स्वीकृति नहीं है. अलबत्ता उनका कहना है कि किसी अच्छी जगह पार्क बनाया जाए, जहां वह भी दस-बीस हजार रुपए खर्च कर देंगे. फिलहाल वह मूर्ति यहां से हटावाना चाहते हैं.

कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना में दान कर दी अपनी जमीन

आपको बता दें, कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिए थे. उन्होंने 32 वर्ष निर्वासित रहकर देश की आजादी के लिए जंग लड़ा. अफगानिस्तान के काबुल में 1915 में बनी अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति रहे. आपको बता दें, राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जन्मस्थली हाथरस का कस्बा मुरसान है. कस्बा में आज भी शाही परिवार का किला मौजूद है. उसमें राजा साहब के वंशज रहते हैं. राजा साहब ने अपने जीवन काल में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, वृंदावन के प्रेम महाविद्यालय सहित कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना में अपनी जमीन दान में दी थी. वह 1957 में मथुरा लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए थे.

'राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर हो हाथरस जिले का नाम'

देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राजा साहब के नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय बनाए जाने से हाथरस के कस्बा मुरसान के लोग काफी खुश हैं. राजा साहब के वंशज इसे गौरव का विषय बता रहे हैं और प्रदेश तथा केंद्र सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि हाथरस जिले का नाम राजा साहब के नाम पर हो और उनकी यादगार में ऐसा स्मारक बने जिसमें उनकी प्रतिमा लगे, लाइब्रेरी हो और राजा साहब के बारे में नई पीढ़ी को जानकारी देने वाला साहित्य इसमें रखा जाए. साथ ही राजा साहब के वंशज व मुरसान के लोग चाहते हैं कि राजा महेंद्र प्रताप के नाम से कस्बा मुरसान में राजकीय कन्या महाविद्यालय बने. जिसमें उनकी बहन बेटियां शिक्षा प्राप्त कर सकें.

पढ़ेंः अफगान संसद में PM मोदी ने पढ़े थे 'अटल' के विरोधी राजा महेंद्र प्रताप के कसीदे

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