नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिए जाने का एक साल पूरा होने के अवसर पर गुरुवार को शिक्षा व कौशल विकास के क्षेत्र से जुड़े देश भर के नीति नियंताओं, छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करेंगे.
कई कार्यक्रमों की होगी शुरुआत
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने बुधवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी करेंगे.
PMO ने कहा, ''प्रधानमंत्री कार्यक्रम में 'एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट' का शुभारंभ करेंगे जो उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए कई प्रवेश और निकास का विकल्प प्रदान करेगा. इसके साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम और उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए दिशानिर्देश भी जारी करेंगे.''
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की जाने वाली अन्य पहलों में ग्रेड 1 के छात्रों के लिए तीन महीने का नाटक आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल ''विद्या प्रवेश'', माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में भारतीय सांकेतिक भाषा, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training - NCERT) द्वारा शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए तैयार किए गए एकीकृत कार्यक्रम निष्ठा 2.0, सफल (सीखने के स्तर के विश्लेषण के लिए संरचित मूल्यांकन), सीबीएसई स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिए एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढांचा और पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समर्पित एक वेबसाइट शामिल हैं.
नए केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी रहेंगे उपस्थित
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Education Minister Dharmendra Pradhan) भी उपस्थित रहेंगे.
इसके अलावा, यह कार्यक्रम राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा ढांचे (National Digital Education Architecture - NDEAR) और राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी फोरम (National Educational Technology Forum - NETF) के शुभारंभ का भी साक्षी बनेगा.
पीएमओ ने कहा, ''यह सारी पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे शिक्षा क्षेत्र को अधिक जीवंत और सुगम बनाने में मदद मिलेगी.''
उसने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सीखने के परिदृश्य को बदलने वाला, शिक्षा को समग्र बनाने और एक आत्मानिर्भर भारत के लिए मजबूत नींव बनाने के लिए मार्गदर्शक के रूप में है.
यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है और 34 वर्षीय पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह लाई गई है.
पीएमओ ने कहा कि सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है.
पिछले साल 29 जुलाई को मिली थी मंजूरी
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को पिछले साल 29 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी. इस नीति में शिक्षा की पहुंच, समता, गुणवत्ता, वहनीयता और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है.
नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के छह प्रतिशत हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत ही 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय' का नाम बदल कर 'शिक्षा मंत्रालय' करने को भी मंज़ूरी दी गई है.
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली पढ़ाई से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बदलाव किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का पूर्ण रूप से विकास और उन्हें विश्व स्तर पर सशक्त बनाना है.
नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है. इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है.
(पीटीआई-भाषा)