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PM Modi बोले- दुनिया से 5 साल पहले भारत से टीबी होगी खत्म, गांधी जी के एक किस्से को भी किया याद

PM Modi ने वाराणसी में विश्व टीबी समिट का उद्घाटन करके देश में इस बीमारी को खत्म करने के लिए चल रहे अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही महात्मा गांधी के लेप्रोसी अस्पताल के उद्घाटन के लिए नहीं जाने के पीछे की वजह और उद्देश्य भी बताया.

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Published : Mar 24, 2023, 3:34 PM IST

वाराणसी: एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से टीबी को लेकर के एक बड़े आंदोलन की शुरुआत कर दी. उन्होंने विश्व टीबी दिवस पर आयोजित वर्ल्ड टीबी समिट का उद्घाटन किया. ये सम्मेलन तीन दिन चलेगा. जिसमें 30 देशों के मंत्री व विशेषज्ञ के साथ लगभग 12 सौ लोग हिस्सा ले रहे हैं.

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने टीबी से संबंधित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. इसके बाद मंच पर पहुंचकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे. हर हर महादेव के उद्बोधन के साथ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के एक किस्से को भी याद किया.

गांधी जी के लेप्रोसी अस्पताल का उद्घाटन न करने जाने की वजह बताईः कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लेप्रोसी को समाप्त करने के लिए बहुत काम किया था. जबकि वह सामान्य आश्रम में रहते थे. एक बार उन्हें अहमदाबाद के लेप्रोसी अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया. तब गांधी जी ने लोगों से कहा कि मैं उद्घाटन के लिए नहीं आऊंगा. मुझे खुशी तब होगी जब आप लेप्रोसी के अस्पताल को ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएं और मैं आऊं. यानी, गांधी जी लेप्रोसी को समाप्त करके अस्पताल को ही बंद करना चाहते थे.

गुजरात में कैसे बंद हुआ लेप्रोसी अस्पतालः पीएम ने कहा कि गांधी जी के निधन के बाद भी अस्पताल दशकों तक ऐसे ही चलता रहा. साल 2001 में जब गुजरात के लोगों ने मुझे सेवा का अवसर दिया तो मेरे मन में था कि गांधी जी का जो एक काम ताला लगाने का रह गया है, उसे मैं पूरा करूं, तो लेप्रोसी के खिलाफ अपने अभियान को नई गति दी और नतीजा क्या हुआ. गुजरात में 2007 में मेरे मुख्यमंत्री रहते उस लेप्रोसी अस्पताल को ताला लगा और वह बंद हुआ. गांधी जी का सपना पूरा हुआ. उन्होंने कहा कि यह संकल्प जनभागीदारी से पूरा हुआ. इसमें लोगों ने बड़ी भूमिका निभाई.

सबका प्रयास नया रास्ता निकालता हैः पीएम ने कहा कि, मेरे लिए बहुत खुशी की बात यह है कि, वर्ल्ड टीबी समिट काशी में हो रही है. सौभाग्य से मैं काशी का सांसद भी हूं. काशी नगरी वह शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों व परिश्रम की साक्षी रही है. काशी इस बात की गवाही देती है कि चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जब सब का प्रयास होता है नया रास्ता भी निकलता है. मुझे विश्वास है कि, टीवी जैसे बीमारी के खिलाफ हमारे वैश्विक संकल्प को काशी एक नई ऊर्जा देगी. मैं वर्ल्ड टीबी समिट में देश-विदेश से अवकाश आए सभी अतिथियों का भी ह्रदय से स्वागत करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं.

नौ साल में नई सोच और अप्रोच के साथ शुरू हुआ टीबी का इलाजः पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया है, वह वाकई अभूतपूर्व है. भारत के यह प्रयास आज पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए. क्योंकि, यह टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है. बीते 9 वर्षों में भारत में टीवी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चों पर एक साथ काम किया है. उन्होंने कहा कि, टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने बहुत बड़ा काम किया है. वह है, जन सहभागिता. भारत ने जो यूनिक अभियान चलाया, यह जानना विदेश से आए हमारे अतिथियों के लिए बेहद दिलचस्प होगा.

टीबी मरीजों को गोद लेने का अभियानः पीएम मोदी ने कहा कि हमने टीबी मुक्त भारत के अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से निक्षय मित्र बनाने का आवाह्न किया. इस अभियान के बाद 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया है. आपको जानकर हैरानी होगी, हमारे देश में 10-12 साल के बच्चे भी निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे कितने ही बच्चे हैं जिन्होंने अपनी गुल्लक तोड़कर टीबी मरीजों को गोद लिया है. टीबी के मरीजों के लिए इन निक्षय मित्रों का आर्थिक सहयोग 1000 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है. टीबी के खिलाफ दुनिया में इतना बड़ा कम्युनिटी इंस्टिट्यूट चलना अपने आप में प्रेरक है. मुझे खुशी है कि विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीय भी बड़ी संख्या में इस प्रयास का हिस्सा बने हैं और मैं आपका भी आभारी हूं कि आपने वाराणसी के पांच लोगों के लिए घोषणा कर दी है.

75 लाख मरीजों को मिला है लाभः पीएम मोदी ने बताया कि, निक्षय मित्र अभियान में एक बड़े चैलेंज से निपटने के लिए टीबी के मरीजों के लिए बहुत मदद की है. टीबी मरीजों को देखते हुए दो हजार अट्ठारह में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की घोषणा की गयी. तब से अब तक टीबी मरीजों के लिए दो हजार करोड़ रुपए उनके सीधे बैंक खातों में भेजे गए हैं.करीब 75 लाख मरीजों को इसका लाभ मिला है.अब निक्षय मित्रों से मिली शक्ति टीबी के मरीजों को नई ऊर्जा दे रही है.

टीबी से जंग के लिए यूनिक मॉडल तैयार करने वाला भारत इकलौता देशः पीएम मोदी ने कहा कि, टीबी मुक्त होने के लिए भारत तकनीकी का भी ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रहा है. हर टीबी मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए हमने निक्षय सेवा पोर्टल बनाया है. जिस पर हम डाटा साइंस का आधुनिक तरीकों से प्रयोग कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय एवं आईसीएमआर ने मिलकर नेशनल डिजिटल के लिए एक नए मेथड लेवल तैयार किया है. ऐसा मॉडल तैयार करने वाला डब्ल्यूएचओ के अलावा भारत इकलौता देश है.

सम्मानित होने वालों को दी बधाईः उन्होंने कहा कि, ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज भारत में टीबी के मरीजों की संख्या कम हो रही है. यहां कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर को टीवी फ्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. जिला स्तर पर भी बेहतरीन कार्य करने के लिए भी कई अवार्ड दिए गए हैं. मैं सफलता को प्राप्त करने वाले सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. ऐसे ही नतीजों से प्रेरणा लेते हुए भारत में एक बड़ा संकल्प लिया है कि,भारत 2025 तक टीबी को खत्म करें. दुनिया से 5 साल पहले यहां ये बिमारी समाप्त होगी.

ये भी पढ़ेंः PM Modi बोले-एक साल में बनारस आए 7 करोड़ से ज्यादा पर्यटक, पूड़ी-कचौड़ी, लस्सी का भी किया जिक्र

वाराणसी: एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से टीबी को लेकर के एक बड़े आंदोलन की शुरुआत कर दी. उन्होंने विश्व टीबी दिवस पर आयोजित वर्ल्ड टीबी समिट का उद्घाटन किया. ये सम्मेलन तीन दिन चलेगा. जिसमें 30 देशों के मंत्री व विशेषज्ञ के साथ लगभग 12 सौ लोग हिस्सा ले रहे हैं.

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने टीबी से संबंधित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया. इसके बाद मंच पर पहुंचकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे. हर हर महादेव के उद्बोधन के साथ प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के एक किस्से को भी याद किया.

गांधी जी के लेप्रोसी अस्पताल का उद्घाटन न करने जाने की वजह बताईः कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लेप्रोसी को समाप्त करने के लिए बहुत काम किया था. जबकि वह सामान्य आश्रम में रहते थे. एक बार उन्हें अहमदाबाद के लेप्रोसी अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया. तब गांधी जी ने लोगों से कहा कि मैं उद्घाटन के लिए नहीं आऊंगा. मुझे खुशी तब होगी जब आप लेप्रोसी के अस्पताल को ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएं और मैं आऊं. यानी, गांधी जी लेप्रोसी को समाप्त करके अस्पताल को ही बंद करना चाहते थे.

गुजरात में कैसे बंद हुआ लेप्रोसी अस्पतालः पीएम ने कहा कि गांधी जी के निधन के बाद भी अस्पताल दशकों तक ऐसे ही चलता रहा. साल 2001 में जब गुजरात के लोगों ने मुझे सेवा का अवसर दिया तो मेरे मन में था कि गांधी जी का जो एक काम ताला लगाने का रह गया है, उसे मैं पूरा करूं, तो लेप्रोसी के खिलाफ अपने अभियान को नई गति दी और नतीजा क्या हुआ. गुजरात में 2007 में मेरे मुख्यमंत्री रहते उस लेप्रोसी अस्पताल को ताला लगा और वह बंद हुआ. गांधी जी का सपना पूरा हुआ. उन्होंने कहा कि यह संकल्प जनभागीदारी से पूरा हुआ. इसमें लोगों ने बड़ी भूमिका निभाई.

सबका प्रयास नया रास्ता निकालता हैः पीएम ने कहा कि, मेरे लिए बहुत खुशी की बात यह है कि, वर्ल्ड टीबी समिट काशी में हो रही है. सौभाग्य से मैं काशी का सांसद भी हूं. काशी नगरी वह शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों व परिश्रम की साक्षी रही है. काशी इस बात की गवाही देती है कि चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो जब सब का प्रयास होता है नया रास्ता भी निकलता है. मुझे विश्वास है कि, टीवी जैसे बीमारी के खिलाफ हमारे वैश्विक संकल्प को काशी एक नई ऊर्जा देगी. मैं वर्ल्ड टीबी समिट में देश-विदेश से अवकाश आए सभी अतिथियों का भी ह्रदय से स्वागत करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं.

नौ साल में नई सोच और अप्रोच के साथ शुरू हुआ टीबी का इलाजः पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया है, वह वाकई अभूतपूर्व है. भारत के यह प्रयास आज पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए. क्योंकि, यह टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है. बीते 9 वर्षों में भारत में टीवी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चों पर एक साथ काम किया है. उन्होंने कहा कि, टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने बहुत बड़ा काम किया है. वह है, जन सहभागिता. भारत ने जो यूनिक अभियान चलाया, यह जानना विदेश से आए हमारे अतिथियों के लिए बेहद दिलचस्प होगा.

टीबी मरीजों को गोद लेने का अभियानः पीएम मोदी ने कहा कि हमने टीबी मुक्त भारत के अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से निक्षय मित्र बनाने का आवाह्न किया. इस अभियान के बाद 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया है. आपको जानकर हैरानी होगी, हमारे देश में 10-12 साल के बच्चे भी निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे कितने ही बच्चे हैं जिन्होंने अपनी गुल्लक तोड़कर टीबी मरीजों को गोद लिया है. टीबी के मरीजों के लिए इन निक्षय मित्रों का आर्थिक सहयोग 1000 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है. टीबी के खिलाफ दुनिया में इतना बड़ा कम्युनिटी इंस्टिट्यूट चलना अपने आप में प्रेरक है. मुझे खुशी है कि विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीय भी बड़ी संख्या में इस प्रयास का हिस्सा बने हैं और मैं आपका भी आभारी हूं कि आपने वाराणसी के पांच लोगों के लिए घोषणा कर दी है.

75 लाख मरीजों को मिला है लाभः पीएम मोदी ने बताया कि, निक्षय मित्र अभियान में एक बड़े चैलेंज से निपटने के लिए टीबी के मरीजों के लिए बहुत मदद की है. टीबी मरीजों को देखते हुए दो हजार अट्ठारह में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की घोषणा की गयी. तब से अब तक टीबी मरीजों के लिए दो हजार करोड़ रुपए उनके सीधे बैंक खातों में भेजे गए हैं.करीब 75 लाख मरीजों को इसका लाभ मिला है.अब निक्षय मित्रों से मिली शक्ति टीबी के मरीजों को नई ऊर्जा दे रही है.

टीबी से जंग के लिए यूनिक मॉडल तैयार करने वाला भारत इकलौता देशः पीएम मोदी ने कहा कि, टीबी मुक्त होने के लिए भारत तकनीकी का भी ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर रहा है. हर टीबी मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए हमने निक्षय सेवा पोर्टल बनाया है. जिस पर हम डाटा साइंस का आधुनिक तरीकों से प्रयोग कर रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय एवं आईसीएमआर ने मिलकर नेशनल डिजिटल के लिए एक नए मेथड लेवल तैयार किया है. ऐसा मॉडल तैयार करने वाला डब्ल्यूएचओ के अलावा भारत इकलौता देश है.

सम्मानित होने वालों को दी बधाईः उन्होंने कहा कि, ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज भारत में टीबी के मरीजों की संख्या कम हो रही है. यहां कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर को टीवी फ्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. जिला स्तर पर भी बेहतरीन कार्य करने के लिए भी कई अवार्ड दिए गए हैं. मैं सफलता को प्राप्त करने वाले सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. ऐसे ही नतीजों से प्रेरणा लेते हुए भारत में एक बड़ा संकल्प लिया है कि,भारत 2025 तक टीबी को खत्म करें. दुनिया से 5 साल पहले यहां ये बिमारी समाप्त होगी.

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