नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) इंडोनेशिया की अपनी बहुत छोटी लेकिन उपयोगी यात्रा के बाद भारत पहुंचे. पीएम ने जकार्ता में 20वें आसियान-भारत और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और इसके भविष्य के पाठ्यक्रम को तैयार करने पर आसियान भागीदारों के साथ व्यापक चर्चा की.
इससे पहले जकार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संपर्क, व्यापार और डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्रों में भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए गुरुवार को 12 सूत्री प्रस्ताव पेश किया और साथ ही कोविड-19 महामारी के बाद एक नियम आधारित विश्व व्यवस्था बनाने का आह्वान भी किया. इंडोनेशिया की राजधानी में आयोजित आसियान-भारतीय शिखर सम्मेलन में मोदी ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की.
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#WATCH प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के जकार्ता की अपनी यात्रा के समापन के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे। pic.twitter.com/1VcrXWxoXh
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समुद्री सहयोग पर एक संयुक्त बयान में, दोनों पक्ष शांति, प्रगति और साझा समृद्धि के लिए आसियान-भारत साझेदारी को लागू करने के लिए कार्य योजना के व्यावहारिक कार्यान्वयन के माध्यम से ठोस कार्यों के साथ अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर सहमत हुए. इसमें कहा गया है कि ब्लू इकानॉमी, अंतरिक्ष और खाद्य सुरक्षा सहित कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के अलावा हिंद-प्रशांत में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में भारत की ओर से की गई पहल का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की गई.
खाद्य सुरक्षा पर एक अलग संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा देकर खाद्य सुरक्षा और पोषण पर सहयोग को मजबूत करने का फैसला किया. इस 12 सूत्री प्रस्ताव के तहत प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तपोषण और साइबर दुष्प्रचार के खिलाफ सामूहिक लड़ाई और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने का भी आह्वान किया. भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शिखर सम्मेलन में समुद्री सहयोग और खाद्य सुरक्षा पर दो संयुक्त बयानों को भी स्वीकार किया गया.
सम्मेलन में अपने संबोधन में मोदी ने कहा, 'मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्रगति और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करना सभी के साझा हित में है.' ग्लोबल साउथ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल अक्सर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाता है. आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है. भारत, अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के जकार्ता की अपनी यात्रा के समापन के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे, उन्होंने वहां 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
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(फाइल फोटो) pic.twitter.com/OY1C3wa2Wk
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(फाइल फोटो) pic.twitter.com/OY1C3wa2Wkप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के जकार्ता की अपनी यात्रा के समापन के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचे, उन्होंने वहां 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया था।
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अपने आरंभिक संबोधन में मोदी ने कहा कि आसियान भारत की हिंद-प्रशांत पहल में एक प्रमुख स्थान रखता है और नई दिल्ली इसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, 21वीं सदी एशिया की सदी है. यह हमारी सदी है. इसके लिए कोविड-19 के बाद नियम आधारित विश्व व्यवस्था का निर्माण करना और मानव कल्याण के लिए सभी के प्रयासों की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने इस बात की भी पुष्टि की कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति का केंद्रीय स्तंभ है और यह आसियान की केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत पर उसके दृष्टिकोण का पूरी तरह से समर्थन करता है.
उन्होंने कहा, 'हमारा इतिहास और भूगोल भारत तथा आसियान को जोड़ता है. साझा मूल्यों के साथ-साथ क्षेत्रीय एकता, शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय दुनिया में साझा विश्वास भी हमें एक साथ बांधता है.' उन्होंने कहा कि समूह भारत की हिंद-प्रशांत पहल में प्रमुख स्थान रखता है. पिछले साल दोनों पक्षों के संबंध व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचे थे. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहला शिखर सम्मेलन था.
मोदी ने कहा, 'आज वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में भी हमारे आपसी सहयोग में हर क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है. यह हमारे संबंधों की मजबूती और लचीलेपन का प्रमाण है.' अपने आरंभिक संबोधन में उन्होंने कहा, 'आसियान मायने रखता है क्योंकि यहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है और आसियान विकास का केंद्र है क्योंकि आसियान क्षेत्र वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.' प्रधानमंत्री ने भारत-आसियान सहयोग को मजबूत करने के लिए पेश 12 सूत्री प्रस्ताव में संपर्क, डिजिटल बदलाव, व्यापार और आर्थिक भागीदारी, समकालीन चुनौतियों का समाधान, लोगों के बीच संपर्क और रणनीतिक भागीदारी को प्रगाढ़ करना शामिल है.
प्रस्ताव के तहत, भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशिया-भारत-पश्चिमी एशिया-यूरोप को जोड़ने वाले एक मल्टी-मॉडल संपर्क और आर्थिक गलियारे की स्थापना का आह्वान किया और आसियान देशों के साथ भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को साझा करने की पेशकश की. प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल बदलाव और वित्तीय संपर्क में सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत कोष की भी घोषणा की.
प्रस्ताव के हिस्से के रूप में उन्होंने आसियान और पूर्वी एशिया के आर्थिक एवं अनुसंधान संस्थान (ईआरआईए) को समर्थन के नवीनीकरण की घोषणा की ताकि संबंधों को बढ़ाने के लिए ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य किया जा सके. मोदी ने आसियान देशों को भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित किए जा रहे पारंपरिक दवाओं के वैश्विक केंद्र में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत तथा सामुदायिक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिए भारत के नेतृत्व वाले वैश्विक जन आंदोलन 'मिशन लाइफ' (पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली) पर मिलकर काम करने का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री ने जन-औषधि केंद्रों के माध्यम से लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने में भारत के अनुभव को साझा करने की भी पेशकश की. उन्होंने आसियान देशों को आपदा रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और आपदा प्रबंधन में सहयोग का आह्वान किया. प्रधानमंत्री ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और खाद्य एवं दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला सहित वैश्विक चुनौतियों से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक सहकारी दृष्टिकोण का भी आह्वान किया.
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन, मिशन लाइफ और 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' जैसी पहलों पर प्रकाश डाला. मोदी ने कहा, 'वसुधैव कुटुम्बकम यानी 'एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य. यह भावना भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय भी है.' आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुआ. इसने दिसंबर 1995 में एक पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में एक शिखर स्तरीय साझेदारी का स्वरूप लिया. दोनों पक्षों के बीच संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गए. आसियान के 10 सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं. भारत और आसियान के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से मजबूत हुए हैं, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
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(पीटीआई-भाषा)