नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में ओडिशा के रहने वाले बिजय और अमरेश की सरहना की है. पीएम मोदी ने कहा कि देशवासियों ने अभी कुछ दिन पहले विश्व गौरेया दिवस मनाया . Sparrow यानी गोरैया. कहीं इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहीं घान चिरिका कहा जाता है. पहले हमारे घरों की दीवारों पर, आस-पास के पेड़ों पर गोरैया चहकती रहती थी, लेकिन अब लोग गोरैया को ये कहकर याद करते हैं कि पिछली बार, बरसों पहले, गोरैया देखा था. आज इसे बचाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे ही एक साथी हैं बिजय कुमार काबी. बिजय ओडिशा के केंद्रपाड़ा के रहने वाले हैं. केंद्रपाड़ा समुंद्र के किनारे है. इसलिए इस जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन पर समुद्र की ऊंची लहरों और साइक्लोन (Cyclone) का खतरा रहता है. इससे कई बार बहुत नुकसान भी होता है. बिजय ने महसूस किया कि अगर इस प्राकृतिक तबाही को कोई रोक सकता है तो वो प्रकृति ही रोक सकती है. फिर क्या था - बिजय ने, बड़ाकोट गांव से अपना मिशन शुरू किया.
उन्होंने 12 साल, साथियों 12 साल, मेहनत करके, गांव के बाहर, समुद्र की तरफ 25 एकड़ का मैंगग्रोव जंगल खड़ा कर दिया. आज ये जंगल इस गांव की सुरक्षा कर रहा है. ऐसा ही काम ओडिशा के ही पारादीप जिले में एक इंजीनियर अमरेश सामंत ने किया है. अमरेश ने छोटे छोटे जंगल लगाए हैं, जिनसे आज कई गांवों का बचाव हो रहा है. मैं हृदय से उनके इस प्रयासों को बहुत बधाई देता हूं.
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आपको बता दें कि अमरेश ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के बिसवाली गांव के रहने वाले हैं. उनका मूल नाम अमरेश नरेश सामंता है. उन्होंने छोटे-छोटे तकरीबन 20 जंगल लगाए हैं. वह 1995 में वृक्षारोपण अभियान से जुड़े. उन्होंने जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जाजपुर, खोरधा, कटक, पुरी, गंजम और नयागढ़ जिलों में 20 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं.